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Diwali Puja Time 2024: जानिये दीपावली शुभ समय व राशियों के अनुसार पूजन

Diwali Puja Time 2024: इस वर्ष कार्तिक मास त्रयोदशी दिनांक २९ अक्टूबर दिन मंगलवार को ११:०० बजे पूर्वाह्न से प्रारम्भ होकर ३० अक्टूबर दिन बुधवार को मध्याह्न १:०५ तक है। धन्वंतरि जयंती ३० अक्टूबर को है

Devendra Bhatt (Guru ji)
Published on: 24 Oct 2024 10:19 PM IST (Updated on: 25 Oct 2024 11:53 AM IST)
Diwali Puja Time 2024:
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Diwali Puja Time 2024:

Diwali Puja Time 2024: सनातन हिंदू धर्म संस्कृति में कार्तिक मास पवित्र मास माना जाता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी धनतेरस से प्रारंभ होकर नरक चतुर्दशी , अमावस्या की रात्रि दीपावली एवम शुक्ल प्रतिपदा सहित भाईदूज और गोवर्धन पूजा तक पंच दिवसीय पर्व मनाया जाता है।इस वर्ष कार्तिक मास त्रयोदशी दिनांक २९ अक्टूबर दिन मंगलवार को 11:00 बजे पूर्वाह्न से प्रारम्भ होकर 30 अक्टूबर दिन बुधवार को मध्याह्न 1:05 तक है। धन्वंतरि जयंती 30 अक्टूबर को है परन्तु धनतेरस दिनांक 29 अक्टूबर को ही मनाई जायेगी । धनतेरस को माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति एवं धातुओं से बने समान आभूषण/ बर्तन /सिक्के/ घर गृहस्थी के अन्य सामान खरीदे जाते हैं साथ ही सन्ध्या काल उपरांत मृत्यु नाश हेतु दरवाजे पर चतुवर्ति नवदीप दीपदान भी किया जाता है। इस दिन राहु काल 02:51 से 04:14 बजे तक है।

जिसमें धनतेरस की खरीददारी से परहेज करें। खरीददारी हेतु 11:00 बजे से मध्याह्न 01:05 तक एवम् सन्ध्या काल में 07:14 से 08:28 बजे तक लग्न व चौघडिया की दृष्टि से अत्यंत शुभ है। इसके अतिरिक्त भी खरीद हेतु , राहु काल को छोड़कर, प्रत्येक समय शुभ व दोष रहित है। जो साधक 29 अक्टूबर को धनतेरस की खरीद न कर सकें वे 30 अक्टूबर दिन बुधवार को पूर्वाह्न 10:41 बजे से मध्याह्न 12:04 बजे तक खरीद कर सकते हैं। कार्तिक चतुर्दशी 30 अक्टूबर दिन बुधवार को मध्याह्न 01:05 से प्रारम्भ होगा। इस दिन धनवंतरी जयन्ती मनाईं जाती है।‌ इसके साथ ही वायु पुराण में उल्लेख के अनुसार सायं 04:05 बजे से 06:32 के मध्य मेष लग्न में हनुमान जन्मोत्सव मनाया जायेगा। रात्रि काल में भोजनोपरान्त घर के बाहर नरक चतुर्दशी का दीप जलाया जाता है। इस दीपदान से सभी रोग, दोष, अपशकुन, आसुरी शक्तियों को बाहर निकाल कर आगामी वर्ष को शुभ फलदायी बनाया जाता है।

31 अक्टूबर को रात्रि में मनाया जायेगा

कार्तिक अमावस्या दिनांक 31 अक्टूबर दिन गुरुवार को अपराह्न 03:12 बजे से प्रारंभ होगा जो 01 नवम्बर दिन शुक्रवार को सूर्यास्त के पूर्व 05:14 बजे समाप्त होगा। चूंकि दीपावली अमावस्या की रात्रि प्रधान त्योहार है अतः दीपोत्सव 31 अक्टूबर को रात्रि में मनाया जायेगा। सायं काल में सूर्यास्त 05:33 बजे होगा तथा दीप पूजन सूर्यास्त के 2 घटी (48 मिनट) के भीतर करना शुभ होता है। महालक्ष्मी गणेश पूजन हेतु शुभ वृष लग्न सायं 06:28 से 08:28 के मध्य है। अतः गृहस्थ इस अवधि में माता लक्ष्मी और गणेश पूजन किया जाना चाहिए। यहां ध्यातव्य है कि व्यापारी समुदाय द्वारा महानिशा पूजन का विधान अपनाया जाता है। महानिशा पूजा हेतु सिंह लग्न रात्रि 12:56 से 03:10 बजे तक शुभ मुहूर्त है।

मेषादि राशियों हेतु अपनाए जाने वाले महा लक्ष्मी पूजन पद्धति आपको वर्ष भर सुख संपत्ति की कमी नहीं होने देते। सभी राशियों के साधक

"ॐ महालक्ष्म्यै नमाे नम:ॐ विष्णुप्रियायै नमाे नम:ॐ धनप्रदायै नमाे नम:ॐ विश्वजनन्यै नमाे नम: ।।"

मंत्र से आराधना प्रारंभ करें।

मेष राशि

इस राशि का स्वामी मंगल ग्रह होता है। राशि का प्रतीक रंग रक्त वर्ण का होता है। अतः महालक्ष्मी पूजन में मेष राशि के जातकों लाल पुष्प से पूजन करना चाहिए। धातुओं में तांबा अधिक शुभ है अतः प्रारंभ में गणेश आराधना के समय तांबे के पात्र में लाल मोदक अर्पित किया जाना चाहिए।

वृष राशि

इस राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है। असुर गुरु शुक्राचार्य धन संपन्नता प्रदान करने वाले है। इस राशि के साधक के लिए श्वेत वस्त्र धारण करके श्वेत पुष्प और थाली में पूजन शुभ है। गाय के कच्चा दुग्ध से गौरी गणेश का स्नान करे। मिष्ठान में संदेश नामक मिठाई अर्पित करें।

मिथुन राशि

इस राशि का स्वामी ग्रह बुध है। मिथुन राशि का प्रतीक रंग हरा होता है। इस राशि के साधक को पान के पत्ते पर महालक्ष्मी गणेश की स्थापना करनी चाहिए। पान के पत्ते पर भोग हेतु मोदक अर्पित करें। बुद्ध ग्रह , छाया ग्रह राहु का मित्र होता है। अतः भोग में शहद की अनिवार्यता होती चाहिए।

कर्क राशि

का स्वामी ग्रह चंद्रमा है। ये ऐश्वर्या सुख सम्पन्नता का सूचक है। इस राशि के साधक को चांदी के पात्र में महालक्ष्मी और गणेश के भोग हेतु प्रसाद चढ़ाना चाहिए। सूखे फल में काजू भी भोग लगाएं। चांदी का पायल महालक्ष्मी को एवं चांदी का सिक्का श्री गणेश को अर्पित करें।

सिंह राशि

का स्वामी सूर्य है। सूर्य सभी ग्रहों का राजा है। इस राशि के साधक को नारंगी रंग के पुष्प यथा कमल के पुष्प पर माता लक्ष्मी और श्री गणेश को स्थापित करके फल इत्यादि का भोग लगाना चाहिए। स्वर्ण का आभूषण देवी को समर्पित करें। कुबेर यंत्र की भी साधना आवश्यक है।

कन्या राशि

इस राशियों के साधक को हरे रंग के वस्त्र माता लक्ष्मी को समर्पित करना चाहिए। आम्र पल्लव से खीर का भोग लगाएं। श्री गणेश को हरा दुर्बा अर्पित करें।

तुला राशि

श्वेत वस्त्र धारण करके पूजन करें। अस्टधातु से देवी को प्रसन्न करें। पूजन के समय नारियल का चढ़ावा चढ़ावे। किसी देवी मंदिर में भी नारियल चढ़ाएं।

वृश्चिक राशि

देवी की आराधना लाल चंदन से करें। गुड़हल का फूल चढ़ाए । ॐ नमः भगवते वासुदेवाय मंत्र का ध्यान करें । धन कुबेर की मूर्ति को भी प्रतिष्ठित करें।

धनु राशि

देव गुरु बृहस्पति इस राशि के स्वामी हैं। देवी को स्वर्ण आभूषण चढ़ाए। पीतल के पात्र में केला और लड्डू चढ़ाएं। श्री सूक्त का भी पाठ करें। पीला गेंदे के पुष्प से माता का सेज सुसज्जित करें तत्पश्चात माता को उसपर प्रतिष्ठित करें।

मकर एवं कुंभ राशि

दोनो राशियों के स्वामी शनि देव है। इन राशियों के जातक को दीपावली की संध्या के समय पीपल के वृक्ष के नीचे तेल का दीपदान अवश्य करना चाहिए । स्टील के बर्तन में पूजन सामग्री रखें। लौह धातु एवं काले वस्त्र तथा तिल को किसी मंदिर में दान करें।

मीन राशि

लाल रंग के चुनरी से माता को श्रृंगार करें। गंगा जल या गाय के कच्चे दूध से श्री गणेश व माता लक्ष्मी को अभिसिंचित करें। यथा शक्ति स्वर्ण आभूषण माता को अर्पित करें। पीले वस्त्र का आसन श्री गणेश को प्रदान करें । कुबेर मंत्र का भी जाप करें ।

"ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।"

यह माता लक्ष्मी का महा मंत्र है। इसका जाप करने से स्थिर धन, दौलत और वैभव प्राप्त होता है।


"ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।"

माता लक्ष्मी के इस मंत्र का जाप करने से आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती हैं।


ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये, धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

धन कुबेर के इस मंत्र के जाप से पूजन को पूर्ण करें। धन संपत्ति प्राप्ति के साथ ही स्वस्थ और निरोगी काया प्राप्त करेंगे।

मां पीतांबरा कल्याण करें, दीपावली की मंगलकामना




Shalini Rai

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