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इस पूर्णिमा पर करें यह अचूक उपाय तो बन जाएगा आपका भाग्य
सहारनपुर: मनुष्य कितना भी पैसा कमा लें, कितनी भी संपत्ति अर्जित कर लें, लेकिन इसके बावजूद वह किसी न किसी समस्या से परेशान रहता है। इन तमाम परेशानियों का कारण वह खुद भी है। यदि आपके जीवन भी परेशानियों से भरा है तो इन दिक्कतों से छुटकारा पाने का मौका आ रहा है। आगामी नौ जुलाई को देशभर में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। यह एक ऐसा मौका होता है, जब हम अपने गुरु के प्रति अपनी भावनाएं तो उजागर करते ही हैं, साथ ही गुरु के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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सहारनपुर के बेहट रोड स्थित श्री बालाजी धाम के संस्थापक गुरु श्री अतुल जोशी जी महाराज के अनुसार आगामी 9 जुलाई को गुरु पर्व मनाया जाएगा। वह गुरु की महिमा बताते हैं कि जैसे हम जानते हैं गु का अर्थ बुराई और रु का अर्थ होता दूर करना। अर्थात गुरु का अर्थ बुराई से अच्छाई की तरफ ले जाने वाला है। अध्यात्मिक भाषा में गुरु जीव और परमात्मा को मिलाने वाली कड़ी है।
‘हरि ने जन्म दियो जग माही, गुरु ने आवागमन छुड़ाही’
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भगवान ने जन्म के साथ साथ पांच चोर भी मानव के साथ लगा दिए हैं। काम, क्रोध, लोभ, माह व भेद, इनके प्रभाव से मुक्त होने का मार्ग सदगुरु की शरण में जाने पर मिलता है। गुरु साधना योग आदि की जानकारी देकर शिष्य को इनसे छुटकारा दिलाते हैं। गुरु शिष्य मिलन के अवसर पर गुरु स्पर्श द्वारा, दृष्टि द्वारा या वाणी द्वारा शिष्य को दीक्षित कर देता है। गुरु अपनी मानसिक तरंगों को शिष्य में प्रतिस्थापित कर उसे साधना पथ पर अग्रसर कर देते हैं। अब यह शिष्य पर निर्भर करता है कि वह मितना ग्रहण करें। पुस्तक पढ़कर कोई उपदेशक तो बन सकता है, परंतु उसमे गहराई तक उतरकर हीरे मोती निकालने का ज्ञान गुरु देते हैं।
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गुरु पूजा को ही व्यास पूजा भी कहा जाता है। सभी गुरुओं के मूल में भगवान वेद व्यास हैं, इसलिए शिष्यों को जब भी गुरु के पाए जो मो समर्पण भाव से जाना चाहिए। गुरु द्वारा दिया गया गुरुमंत्र का जाप निरंतर करना चाहिए, इससे आपका मानसिक, शारीरिक विकास होता है। गुरु के पास जाने से ईश्वर आपकी प्रार्थना जल्दी सुन लेता है, क्योंकि गुरु और संत ईश्वर के नजदीक होते हैं।
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इस गुरु पूर्णिमा पर करें यह उपाय
प्रात:काल उठकर सबसे पहले गुरु का स्मरण करते हुए उनको प्रणाम करें।
यदि आपके गुरु आपके शहर या आसपास ही रहते हैं तो गुरु व गुरु माता के लिए वस्त्र लेकर अवश्य जाएं।
गुरु देव के श्रीचरणों में पीले रंग के पुष्प अर्पित करें।
यथा योग्य गुरु देव को दक्षिणा प्रदान करें, यह आप पर निर्भर है कि आप दक्षिणा में क्या अपने गुरु देव को दे सकते हैं।
गुरु देव के श्रीचरणों में बैठकर उनकी प्रार्थना करें और अपने भाव प्रकट करें।