Durga puja Mahalaya 2024:दुर्गा पूजा का महालया कब है इस साल, जानिए इस दिन का महत्व और क्यों सुना जाना है इसे

Durga puja Mahalaya 2024 Countdown दुर्गा पूजा का महालय कब है? महालया एक नयी शुरूआत का प्रतीक है।इस दिन नवरात्रि की शुरुआत होती है। पितृपक्ष का आखिरी दिन होता है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 11 Sep 2024 4:47 AM GMT
Durga puja Mahalaya 2024:दुर्गा पूजा का महालया कब है इस साल, जानिए इस दिन का महत्व और क्यों सुना जाना है इसे
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Durga puja Mahalaya 2024 दुर्गा पूजा का महालय कब है?: महालया से दूर्गा पूजा की शुरुआत है। महालया को नवरात्रि और पितृपक्ष की संधिकाल भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करके माता से घर में आगमन के लिए प्रार्थना किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन पितृ देवों को जल तिल अर्पित किया जाता है ।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दुर्गा पूजा के पहले महालया का अपना अलग ही महत्व होता है। इस दिन को बंगाल में बड़े ही खास तरीके से मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि महालया अच्छे से सेलिब्रेट किया जाता है।धर्म शास्त्र के अनुसार, महालया अमावस्या तिथि को होते है, जिसे बहुत ही शुभ माना गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन पितरों की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। इस दिन सुबह-सुबह लोग रेडियो या टेलीविजन पर "महालय" के पारंपरिक गीत और चंडीदाश पाठ सुनते हैं, जिसमें देवी दुर्गा के पृथ्वी पर आगमन और असुरों के साथ उनके युद्ध का वर्णन होता है।

महालया का समय देवी दुर्गा के महिसासुर मर्दिनी के रूप में उनकी महिमा का बखान करता है, जो अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं ।

महालया क्या है

महालया शब्द संस्कृत के दो शब्दों, महा और आलय से बना है, जिनका अर्थ है "महान निवास" या "देवी का घर।" इस दिन देवी दुर्गा भगवान शिव के निवास कैलाश से पृथ्वी पर अपने भक्तों के लिए अवतरित होने के लिए अपनी यात्रा शुरू करती हैं।महालया नवरात्रि और दुर्गा पूजा के शुरुआत का दिन है। कहा जाता है कि महालया के दिन ही पितरों को विदाई दी जाती है और माता का धरती पर स्वागत किया जाता है। माना जाता है कि माता नवरात्रि में धरती पर आने के लिए महालया के दिन ही कैलाश पर्वत से सपरिवार विदा हो कर नीचे आती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस साल महालया और पितृपक्ष अमावस्या दोनों एक ही दिन होगी। महालया और पितृ पक्ष की अमावस्या 2 अक्टूबर 2024 के दिन मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मूर्तिकार मां दुर्गा की आंखें तैयार करता है। इसके साथ मां दुर्गा की मूर्तियों के अंतिम रूप भी देना शुरू कर देता है।“महालय अमावस्या तर्पणम” और दुर्गा देवी का मनमोहक वर्णन सुनते हैं।

महालया का महत्व

महालया को ब्रह्म मुहूर्त में सुना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महालया बंगाली समुदायों में विशेष महत्व रखता है। बंगाल में महालया के दिन बड़े ही जोरों शोरों से तैयारी होती है। इस दिन यहां धूमधाम देखने में आती है। बंगाल के लोग इस दिन का बहुत ही बेसब्री से इंतजार होता है। शास्त्र के अनुसार, इस दिन से ही नवरात्रि और दुर्गा पूजा की शुरुआत हो जाती है।वस्त्र और भोजन ब्राह्मणों को भेंट किए जाते हैं, जो उन्हें ग्रहण करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि तर्पण या श्राद्ध करने से कालसर्प दोष या उसके नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

महालया पर क्या नहीं करें

स दिन लोग अपने पितरों का श्राद्ध व तर्पण करके पृथ्वी लोक से विदा करते हैं। जानें इस दिन क्या करें और क्या नहीं- - महालया अमावस्या के दिन मांसाहार, शराब, प्याज, लहसुन, बैंगन और मसूर दाल का सेवन करने से बचना चाहिए क्योंकि यह एक शुभ दिन माना गया है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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