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दुर्गा सप्तशती चमत्कार और वरदान है

Ram Nvami 2024: किसी भी प्रकार की चिंता है, किसी भी प्रकार का मानसिक विकार यानी की मानसिक कष्ट है। तो दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय के पाठ से इन सभी दुष्चिंताओं से मुक्ति मिलती है।

Kanchan Singh
Published on: 11 April 2024 10:41 AM GMT
Know the miracles and blessings of Durga Saptashati lesson
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जानें दुर्गा सप्तशती पाठ के चमत्कार और वरदान: Photo- Social Media

दुर्गा सप्तशती एक ऐसा वरदान है, एक ऐसा प्रसाद है, जो भी प्राणी इसे ग्रहण कर लेता है। वह प्राणी धन्य हो जाता है। जैसे मछली का जीवन पानी में होता है, जैसे एक वृक्ष का जीवन उसके बीज में होता है, वैसे ही माँ के भक्तों के लिए उनका जीवन, उनके प्राण, दुर्गा सप्तशती में स्थित होते है। इसके हर अध्याय का एक खास और अलग उद्देश्य बताया गया है, और ये देवी के विभिन्न शक्तियां को जागृत करने के 13 ब्रह्मास्त्र कह सकते हैं।

जानें दुर्गा सप्तशती पाठ के चमत्कार-

दुर्गा सप्तशती के पाठों का महत्व

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1. मार्कण्डेय पुराण में वर्णित चमत्कारिक देवी महात्म्य में माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन।

2. इसे स्वयं ब्रह्मा जी ने मनुष्यों की रक्षा के लिए बेहद गुप्त और परम उपयोगी मनुष्य का कल्याण कारी देवी कवच बताया गया है। स्वयं ब्रह्मदेव ने कहा है, कि जो मनुष्य दुर्गा सप्तशती का पाठ करेगा, वह परम सुख भोगेगा।

3. इस दुर्गा सप्तशती को शत चंडी, नवचंडी अथवा चंडीपाठ भी कहा गया है।

4. ये एक जागृत तंत्र विज्ञान है, दुर्गा सप्तशती पाठ के श्लोको का असर निश्चित रूप से होता है। और तीव्र गति से इसका प्रभाव पड़ता है। इसमें ब्रह्माण्ड की तीव्र शक्तिओ का ज्ञान छुपा है।

5.यदि मनुष्य सही तरीके से और सही विधि से पढ़ लेता है तो मनुष्य के जीवन की समस्त परेशानियों का अंत सुनिश्चित है।

Photo- Social Media

दुर्गा सप्तशती पाठ का फल

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दुर्गा सप्तशती अध्याय – 1

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किसी भी प्रकार की चिंता है, किसी भी प्रकार का मानसिक विकार यानी की मानसिक कष्ट है। तो दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय के पाठ से इन सभी मानसिक विचारों और दुष्चिंताओं से मुक्ति मिलती है।

इंसान की चेतना जागृत होती है और विचारों को सही दिशा मिलती है। किसी भी प्रकार के नेगेटिव विचार आप पर हावी नहीं होते हैं। अतः दुर्गा सप्तशती के पहले अध्याय से आपको हर प्रकार की मानसिक चिंताओं से मुक्ति मीलती है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 2

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दुर्गा सप्तशती के दूसरे अध्याय के पाठ से मुकदमे में विजय मिलती है। किसी भी प्रकार का आपका झगड़ा हो, वाद विवाद हो, उसमें शांति आती है,और आपके मान, सम्मान की रक्षा होती है।दूसरा पाठ विजय के लिए होता है। लेकिन आपका उद्देश्य आपकी मंशा सही होनी चाहिए तभी ये पाठ फल देता है। अगर आप झूठ की बुनियाद मैं कभी इस अध्याय का पाठ करते हैं और चाहते हैं कि माँ आपकी सहायता करें,तो ये आपकी बहुत बड़ी भूल है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 3

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तीसरे अध्याय का पाठ शत्रुओं से छुटकारा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। दोस्तों शत्रुओं का भय व्यक्ति के जीवन में बहुत पीड़ा का कारण होता है क्योंकि भय ग्रस्त व्यक्ति चाहे वो कितनी भी सुख सुविधा में रह रहा हो कभी भी सुखी नहीं रह सकताहै अतः इस अध्याय के पाठ करने से आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार के भय नष्ट हो जाते हैं। अगर आपके गुप्त शत्रु हैं जिनका पता नहीं चलता और जो सबसे ज्यादा हानि पहुंचा सकते हैं तो ऐसे शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए तीसरे अध्याय का पाठ करना सर्वोत्तम होता है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 4

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दुर्गा सप्तशती का चौथा अध्याय माँ की भक्ति प्राप्त करने के लिए उनकी शक्ति उनकी ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए और उनके दर्शनों के लिए सर्वोत्तम है। वैसे तो इस ग्रंथ के हर अध्याय के हर शब्द में माँ की ऊर्जा निहित है। फिर भी माँ की निष्काम भक्ति महसूस करने के लिए और दर्शनों के लिए यह अध्याय सर्वश्रेष्ठ जान पड़ता है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 5

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पांचवे अध्याय के प्रभाव से हर प्रकार के भय का नाश होता है। चाहे वो भूत प्रेत की बाधा हो,या बुरे स्वप्न परेशान करते हो। या व्यक्ति हर जगह से परेशान हो,तो पांचवें अध्याय के पाठ से इन सभी चीजों से मुक्ति मिलती है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 6

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इस अध्याय का पाठ किसी भी प्रकार की तंत्र बाधा हटाने के लिए किया जाता है।इसके अलावा आपको लगता है कि आपके ऊपर जादू ,टोना किया गया हो,आपके परिवार को बांध दिया हो,या राहु और केतु से आप पीड़ित हो तो छठवें अध्याय का पाठ इन सभी कष्टों से आपको मुक्ति दिलाता है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 7

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किसी भी विशेष कामना की पूर्ति के लिए सातवाँ अध्याय सर्वोत्तम है। अगर सच्चे और निर्मल दिल से माँ की पूजा की जाती है और सातवें अध्याय का पाठ किया जाता है तो व्यक्ति की कामना पूर्ति अवश्य होती हैं।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 8

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-अगर आपका कोई प्रिय आपसे बिछड़ गया हैं, कोई गुमशुदा है और आप उसे ढूँढकर थक चूके हैं तो आठवें अध्याय का पाठ चमत्कारिक फल प्रदान करता है।

-बिछड़े हुए लोगों से मिलने के लिए। इसके अलावा वशीकरण के लिए भी इस अध्याय का पाठ किया जाता है,लेकिन वशीकरण सही व्यक्ति के लिए किया जा रहा है,

-सही मंशा के साथ किया जा रहा हो, इसका ध्यान रखना बहुत आवश्यक है,नहीं तो फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। इसके अलावा धन लाभ के लिए धन प्राप्ति के लिए भी आठवें अध्याय का पाठ बेहद शुभ माना जाता है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 9

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- नौवा अध्याय का पाठ संतान के लिए किया जाता है। पुत्र प्राप्ति के लिए या संतान से संबंधित किसी भी परेशानी के निवारण के लिए दुर्गा सप्तशती के नवम अध्याय का पाठ किया जाता है। इसके अलावा संतान की उन्नति प्रगति के लिए तथा किसी भी प्रकार की खोई हुई अमूल्य वस्तु की प्राप्ति के लिए भी नौवें अध्याय का पाठ करना उत्तम होता है। यह आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने में सहायक है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 10

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-अगर संतान गलत रास्ते पर जा रही है तो ऐसी भटकी हुई संतान को सही रास्ते पर लाने के लिए दसवां अध्याय सर्वश्रेष्ठ है। अच्छे और योग्य पुत्र की कामना के साथ अगर दसवें अध्याय का पाठ किया जाए, तो योग्य संतान की प्राप्ति होती हैं और प्राप्त संतान सही रास्ते पर चलती है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 11

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-अगर आपके व्यापार में हानि हो रही है,पैसों का जाना रुक नहीं रहा है,किसी भी प्रकार से धन की हानि आपको हो रही हो,तो इस अध्याय का पाठ करना चाहिए। इसके प्रभाव से आपके अनावश्यक खर्चे बंद हो जाते है। और घर में सुख शांति का वास रहता है।

Photo- Social Media

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 12

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-इस अध्याय का पाठ करने से व्यक्ति को मान सम्मान की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जिस व्यक्ति पर गलत दोषारोपण कर दिया जाता है,जिससे उसके सम्मान की हानि होती है तो ऐसी स्थिती से बचने के लिए दुर्गा सप्तशती के 12 वें अध्याय का पाठ करना चाहिए।

-रोगों से मुक्ति के लिए भी 12 वें अध्याय का पाठ करना असीम लाभकारी है। कोई भी ऐसा रोग जिससे आप बहुत सालो से दुखी है और डॉक्टर की दवाइयों का कोई असर नहीं हो रहा है। तो 12 वे अध्याय का पाठ आपको अवश्य करना चाहिए।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 13

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-तेरहवें अध्याय का पाठ माँ भगवती की भक्ति प्रदान करता है। किसी भी साधना के बाद माँ की पूर्ण भक्ति के लिए इस अध्याय का पाठ अति महत्वपूर्ण है। किसी विशेष मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए, किसी भी इच्छित वस्तु की प्राप्ति के लिए, इस अध्याय का पाठ अत्यंत प्रभावी माना गया है।

Shashi kant gautam

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