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महाशिवरात्रि पर है दुर्लभ संयोग,ऐसे करेंगे शिव की पूजा तो जल्द बनेंगे विवाह संयोग
जयपुर:शिवपुराण के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि है, महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव पार्वती का विवाह हुआ था। हर महाशिवरात्रि आती है लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाया जाता है। महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए अधिक होता है क्योंकि इस दिन शिव और शक्ति का मिलन होता है, जिसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की बेला कहा जाता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन सभी आध्यात्मिक शक्तियां जागृत हो जाती हैं और इस दिन महाशिवरात्रि का व्रत विधि अनुसार करने से पुण्य प्राप्त होता है। शिवरात्रि का व्रत रात में और भी सिद्ध कारी माना गया है, रात में शिव आराधना, ध्यान, योग, तप और साधना में करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है। इस महाशिवरात्रि पर कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं जिसके चलते महाशिवरात्रि का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। जानिए इस महाशिवरात्रि के दुर्लभ संयोग ...
महाशिवरात्रि पर इस साल 'महाशिवरात्रि सोमवार' के दिन है। सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है। सोमवार को शिवरात्रि का व्रत रखने वाले अविवाहितों का जल्द विवाह हो जाता है। इस दिन शिवजी का अभिषेक पंचामृत से करें तो अविवाहितों का विवाह का योग बन जाता है।
शिवरात्रि तिथि के अनुसार सर्वश्रेष्ठ 'श्रवण नक्षत्र' का संयोग बना है। चन्द्रमा इस नक्षत्र के स्वामी हैं और शिवजी के सिर पर चंद्रमा विराजमान है और इसे भगवान विष्णु के वामन अवतार का चरण चिह्न भी माना गया है। इस नक्षत्र में शिवपुराण के अनुसार धन, वैभव, सुख और समृद्धि के लिए शिवलिंग का अभिषेक गन्ने के रस से करना चाहिए।
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इस दिन 'शिव योग' बन रहा है। शिवरात्रि पर शिव योग में शिव की पूजा करने से पुण्य प्राप्त होता है। शिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा में केसर युक्त दूध से शिव का अभिषेक करने से नौकरी में सफलता का योग बनता है और घर में सुख समृद्धि आती है। शिवलिंग का अभिषेक करने के बाद शिवजी को भोग में खीर अर्पित करने से आत्मा को शांति, पितरों को शांति और नव गृह शांति के योग बनते हैं।
महाशिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि को सर्वसिद्धि योग भी कहा जाता है, इस योग में शिवरात्रि का व्रत भी है जिससे महाशिवरात्रि का महत्व कई गुना बढ़ गया है। सर्वार्थ सिद्धि में शिवरात्रि पर शिवतांडव स्तोत्र या शिव सहस्रनाम का पाठ करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है और इस सर्वसिद्धि योग में रुद्राभिषेक करने से आरोग्य जीवन प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है और आपके सभी कार्य सफल होते हैं।
शिवरात्रि का व्रत पांच मार्च को है और इस दिन 'धनिष्ठा नक्षत्र' है। वैदिक ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार 'धनिष्ठा नक्षत्र' में महाशिवरात्रि पूजाविधि अनुसार करने से रंक भी राजा बन जाता है। 27 नक्षत्रों में से 23वां 'धनिष्ठा नक्षत्र' का स्वामी मंगल और देवता वसु को माना गया है। 'धनिष्ठा नक्षत्र' में शिवलिंग की पूजा में शहद, लाल चंदन और गुलाब के इत्र से पूजा करना शुभ फलदाई माना गया है। शिवलिंग का अभिषेक इन तीनों चीजों से करने से गरीब भी धनवान बन जाता है।