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Famous Butati Dham Rajasthan: राजस्थान का यह मंदिर है चमत्कारी, लाइलाज बीमारी का बिना दवा के इलाज,यकीन न हो तो दर्शन करके देख लें
Famous Butati Dham Rajasthan(बुटाटी धाम राजस्थान): भारत एक ऐसा देश है जहां धर्म पूजा-पाठ पर लोगों की अटूट आस्था है। इसी आस्था और विश्वास पर लोगों के कई काम बन जाते है। आस्था का चमत्कार ज्याादातर यहां के मंदिरों में देखने को मिलता है आज एक ऐसे चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जहां लाइलाज बीमारी का इलाज होता है।
Famous Butati Dham Rajasthan
फेमस बुटाटी धाम राजस्थान
राजस्थान के नागौर से चालीस किलोमीटर दूर अजमेर-नागौर रोड पर कुचेरा कस्बे के पास बुटाटी धाम है,जिसे चतुरदास जी महाराज के मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां हर साल हजारों लोग लकवे के रोग से ठीक होकर जाते हैं। मान्यता है कि लगभग पांच सौ साल पहले संत चतुरदास जी का यहाँ पर निवास था।
कौन थे चतुरदास महाराज
वो चारण कुल में जन्में वे एक महान सिद्ध योगी थे और अपनी सिद्धियों से लकवा के रोगियों को रोगमुक्त कर देते थे। बुटाटी गांव के चारण कुल में जन्मे संत चतुरदास महाराज आजीवन ब्रह्मचारी रहे। युवावस्था में हिमालय पर्वत पर रहकर गहन तपस्या करने के बाद वे वापस बुटाटी गांव आ गए। यहां तपस्या व गौ सेवा करने लगे। बाद में वे देवलोक गमन हो गए।यहां की कथाओं के अनुसार उन्होंने अपने हिस्से की जमीन दान देने की बात कही। पूर्व में गांव के पश्चिम दिशा में केवल एक चबूतरे के निर्माण से शुरू हुआ बाबा की आस्था का केंद्र अब विशाल मन्दिर व धाम बन गया है। आज भी लोग लकवा से मुक्त होने के लिए इनकी समाधी पर सात फेरी लगाते हैं। यहाँ पर देश भर से प्रतिवर्ष लाखों लकवा मरीज एवं अन्य श्रद्धालु विशेष रूप से एकादशी एवं द्वादशी के दिन आते है।
लकवा का बुटाटी धाम में इलाज
आज भी उनकी समाधी पर परिक्रमा करने से लकवे से पीड़ित लोगों को राहत मिलती है। यहां नागोर से अलावा पूरे देशभर से लोग आते हैं। हर साल वैशाख, भादवा अौर माघ महीने में मेला लगता है। यहां नि:शुल्क रहने व खाने की व्यवस्था भी है। यहां कोई पण्डित महाराज या हकीम नहीं होता न ही कोई दवाई लगाकर इलाज किया जाता। यहां मंदिर में 7 दिन तक रहकर सुबह शाम फेरी लगाने से लकवे की बीमारी में सुधार होता है।हवन कुंड की भभूति लगाते हैं और बीमारी धीरे-धीरे अपना प्रभाव कम कर देती है। इस बात को लेकर डॉक्टर और साइंस के जानकार भी हैरान है कि बिना दवा से कैसे लकवे का इलाज हो सकता है। रोगी के जो अंग हिलते डुलते नहीं वे भी धीरे-धीरे काम करने लगते हैं। लकवे से व्यक्ति की आवाज बंद होती है वह भी धीरे-धीरे आ जाती है। यहां बहुत सारे लोगों को इस बीमारी से राहत मिली है।
लकवे के बारे में कहा जाता है कि यह बीमारी बमुश्किल ठीक होती है। सालों तक लंबा इलाज करवाने के बाद भी ज्यादातर लोग इस बीमारी से छुटकारा नहीं पाते। ऐसे में राजस्थान का बुटाटी धाम लोगों के लिए उम्मीद की नई किरण है। आप भी इस साल 2023 में किसी मंदिर या यात्रा पर जाना चाहते हैं तो चतुरदास महाराज के मंदिर बूटाटी धाम के दर्शन कर सकते हैं, हो सकता है आपकी भी जो इच्छा हो वो पूरी हो जाए।