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6 to 10 September Religious Significance: आज से आने वाले 4 दिन रहेंगे बहुत खास, इन कामों से होगा कल्याण
6 to 10 September Religious Significance : आज 8 से 10 सितंबर का धार्मिक महत्व । भाद्र माह में कुछ दिन शेष रह गए है तो उनमें से आने वाले 4 दिन बहुत उत्तम है। अगर किसी कारणवश पूरे मास आपने धार्मिक नियमों का पालन नहीं किया है तो आज से आने वाले 4 दिन आप धर्मानुसार भगवान का ध्यान दान और पूजा-व्रत कर सकते हैं। मतलब की आज से चार दिन 4 महत्वपूर्ण तिथियां पड़ रही है। इसमें है...
आज 6 से 10 सितंबर का धार्मिक महत्व
Today 6 to 10 September Religious Significance
हिंदू पंचांग के अनुसार 13 अगस्त 2022, से भाद्रमाह शुरू हो गया था और 10 सितंबर 2022 को इस माह का समापन होकर नए आश्विन मास की शुरूआत होगी। सनातन धर्मावलंबी पिछले 13 अगस्त से भाद्र माह से जुड़े नियमों का पालन कर रहे हैं। कहते है कि नियमों का पालन कर इस मास में गलतियों का प्रायश्चित भी कर सकते हैं। इस मास ईश्वर की कृपा पाने के लिए सदैव करें इन नियमों का पालन करना चाहिए। अब जब भाद्र माह में कुछ दिन शेष रह गए है तो उनमें से आने वाले 4 दिन बहुत उत्तम है। अगर किसी कारणवश पूरे मास आपने धार्मिक नियमों का पालन नहीं किया है तो आज से आने वाले 4 दिन आप धर्मानुसार भगवान का ध्यान दान और पूजा-व्रत कर सकते हैं।
मतलब की आज से चार दिन 4 महत्वपूर्ण तिथियां पड़ रही है। इसमें है...
6 सितंबर, मंगलवार को परिवर्तिनी एकादशी- इस माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान चिरनिद्रा से करवट लेते है और उनके वामन स्वरूप की पूजा की जाती है।
8 सितंबर, गुरुवार को प्रदोष व्रत, ओणम- इसके बाद बुधवार 8 सितंबर को त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है।
9 सितंबर, शुक्रवार को अनंत चतुर्थी, गणेश विसर्जन- 09 सितंबर को अनंत चतुर्दशी है।इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करते हैं। साथ ही इसी दिन गणेश जी का विसर्जन भी किया जाता है।
10 सितंबर, शनिवार को भाद्रपद पूर्णिमा व्रत, पित् पक्ष प्रारंभ- 10 सितंबर को भाद्रपद माह का आखिरी दिन पूर्णिमा तिथि है। इस दिन स्नान-दान और व्रत का विधान है। इसी दिन से आश्विन माह और पितृपक्ष का प्रारंभ होगा।
भाद्रपद माह का महत्व
इस मास में प्रकृति में हर तरफ हरियाली ही हरियाली रहती है। लोग इस मास में भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और लड्डू गोपाल को पूरे माह दही मिश्री से स्नान करवाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी दल अर्पित करें। इस माह आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए श्रीमद्भगवदगीता का पाठ करना चाहिए। मन को शुद्ध करने के लिए यह माह बेहद उपयोगी है। इस माह पलंग पर शयन नहीं करना चाहिए। जमीन पर चटाई बिछाकर शयन करना चाहिए। इस माह किसी से झूठ न बोलें। इस माह तेल से बनी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए। इस माह एक समय भोजन करना चाहिए। इस माह गुड़ का सेवन नहीं करना चाहिए और न ही किसी अन्य व्यक्ति के दिए हुए पके चावल खाने चाहिए।नारियल के तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। नहीं तो घर में दरिद्रता आती हैं।