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चैत्र नवरात्रि:पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा, इस मंत्र से होगा कल्याण

शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार होती हैं और इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 12 April 2021 9:42 AM GMT
पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा
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सोशल मीडिया  से फोटो

लखनऊ : 13 अप्रैल से शुरू हो रही नवरात्रि ( Navratri )के नौ दिन मां भगवती की उपासना कर मां आदिशक्ति की विशेष कृपा पाई जा सकती है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री ( Maa Shailputri ) की पूजा की जाती है। माता आदि शक्ति के पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। शैल का अर्थ पर्वत होता है और मां का ये स्वरुप हिमालय की पुत्री का है इसलिए देवी का नाम शैलपुत्री पड़ा। यह माता सती का ही रुप है।

शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार होती हैं और इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है।

प्रथम रूप से जुड़ी मान्यता

ऐसा माना जाता है कि प्रजापति दक्ष ने शिव (Lord Shiva ) का अपमान करने के लिए एक यज्ञ का आयोजन किया। शिव और अपनी पु्त्री सती को इस यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया। जब सती को इस बात का पता चला तो उन्होंने शिव से उस यज्ञ में जाने की आज्ञा मांगी, लेकिन शिव ने उन्हें ऐसा करने से मना किया। बिना निमंत्रण कहीं जाना अच्छा नहीं माना जाता है। फिर भी सती जिद्द कर शिव से आज्ञा ले यज्ञ में गई। वहां पहुंचने पर सभी अतिथियों ने उनका बिना बुलाएं आने पर अपमान किया। तब सती को अहसास हुआ कि उन्होंने शिव की बात न मान कर भूल की है।

सती उस अपमान को सह न सकी और तुरन्त यज्ञाग्नि में कूद यज्ञ को भंग कर दिया। शिव को जब इस घटना के बारे में पता चला तो अपने गणों को भेजकर यज्ञ को पूर्णत विध्वंस कर दिया। सती ने ही अगला जन्म पर्वतराज हिमालय के घर लिया। वहां मां का नाम शैलपुत्री रखा गया। इस स्वरुप में भी देवी ने शिव को ही अपना आराध्य माना।

प्रथम दिन मां की आराधना ( Worship) करने से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है जिससे रोग-शोक आदि का नाश होता है। भगवती का यह रुप अपने भक्तों के मन पर राज करता है। इस दिन योगी का मन मूलाधार चक्र में स्थित रहती है। इस स्थान पर देवी आद्य शक्ति कुंडलिनी के रुप में रहती है।


सांकेतिक तस्वीर कलश स्थापना की सोशल मीडिया े

ऐसे करें मां शैल की आराधना

पहले दिन स्नानादि कर माता की चौकी पर जाएं। आसन लगाकर माता की प्रतिमा के समक्ष बैठे। सर्वप्रथम धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं। मां को पुष्पों की माला चढाएं। देवी की प्रतिमा को रोली का तिलक लगाएं। जिस देवी का व्रत हो, उस देवी के निमित्त 2 लौंग, पान, सपुारी, ध्वजा और नारियल चढ़ाएं। पूजन करने से पहले हाथ में चावल लेकर संकल्प करें। देवी के मंत्रों का उच्चारण करें। दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती, महिषासुरमर्दिनी स्तोत्र या दुर्गा स्तुति का पाठ करें। पाठ समाप्त होने पर आरती करें। देवी की प्रतिमा के सामने दण्डवत प्रणाम करें। भगवती के जयकारे लगाएं। जमीन पर थोड़ा जल डालकर उस जल का तिलक लगाएं। ऐसा न करने पर पूजा का फल आपको नहीं मिलेगा। क्योंकि बिना जल का तिलक करें पूजा स्थल से उठने पर उस पूजा का फल इन्द्र देव ले लेते है।

पूजा का शुभ मुहूर्त

घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 05:58 से 10:14 तक, अवधि – 04 घण्टे 16 मिनट, घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त – 11:56 am से 12:47 pm, घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है। प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 12, 2021 को 08:00 am बजे प्रतिपदा तिथि समाप्त – अप्रैल 13, 2021 को 10:16 ऍम

इस मंत्र से 'या देवी सर्वभुतेषू विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।' वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ही चैत्र नवरात्रि या किसी भी नवरात्री की शुरुआत होती है। इस दिन कलश स्थापना और मां के प्रथम शैलपुत्री के पूजन के साथ नवरात्रि शुरू होती है। नवरात्रि के पावन पर्व पर मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-उपासना बहुत ही विधि-विधान से की जाती है। मां शैलपुत्री का दर्शन कलश स्थापना के साथ ही प्रारम्भ हो जाता है। नवरात्र व्रत में नौ दिन व्रत रहकर माता का पूजन बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ किया जाता है। लेकिन जो लोग नौ दिन व्रत नहीं रह पाते वे सिर्फ माता शैलपुत्री का पूजन कर नवरात्रि का फल पा सकते है।


सोशल मीडिया से मां शैलपुत्री स्वरुप की तस्वीर



मंत्र , ध्यान और भोग


वन्दे वांछित लाभाय चन्द्राद्र्वकृतशेखराम्।


वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्॥


अर्थात- देवी वृषभ पर विराजित हैं। शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है। ये नवदुर्गा में प्रथम दुर्गा है। नवरात्रि के प्रथम दिन देवी उपासना के अंतर्गत शैलपुत्री का पूजन करना चाहिए। मां शैलपुत्री को भोग के रुप में सफेद चीज पसंद गै। खासकर मां के चरणों में गाय का घी अर्पित करने से भक्तों को रोग कष्ट और आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है और उनका मन एवं शरीर दोनों ही निरोगी रहता है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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