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पति-पत्नी करते हैं साथ में भोजन, तो जान लें क्या कहता है धर्मशास्त्र

महिलाओं को स्नान करने के बाद ही भोजन पकाना चाहिए। सबसे पहले तीन रोटियां एक गाय, एक कुत्ते और एक कौओं के लिए निकाल दें।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 9 April 2021 2:49 AM GMT
धर्म के अनुसार भोजन के इन नियमों का पालन करें
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  सोशल मीडिया से फोटो

लखनऊ: भोजन जीवन के लिए जरूरी है। इसके बिना जीव कुछ दिनों तक ही जीवित रह सकता है। शास्त्रों में भोजन करने से जुड़े कुछ नियम दिए गए हैं जिनका पालन करना घर में सकारात्मकता का संचार करता है। भोजन के ये नियम महाभारत भीष्म पितामह ने अर्जुन को बताए थे। इन नियमों का वैज्ञानिक दृष्टि से भी बड़ा महत्व माना जाता हैं। तो इन नियमों के बारे में...

पति-पत्नी को भोजन नहीं

भीष्म पितामह के अनुसार, एक ही थाली में पति-पत्नी को भोजन नहीं करना चाहिए। ऐसी थाली मादक पदार्थों में भरी मानी जाती है। उनका कहना था कि पत्नी को हमेशा पति के बाद ही भोजन करना चाहिए। इससे घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। याद रखें कि भोजन करने से पहले पंचांग दो हाथ, दो पैर और मुंह धोकर ही भोजन करना चाहिए। इसके अलावा भोजन से पहले अन्नदेवता व अन्नपूर्णा माता का ध्यान करके ही भोजन की शुरूआत करनी चाहिए।



दरिद्रता का सामना

अर्जुन को दिए गए संदेशों में कहा था कि थाली को अगर किसी का पैर लग जाए तो उसका त्याग कर देना चाहिए। बाल गिरे हुए भोजन को ग्रहण करने से दरिद्रता का सामना करना पड़ सकता है। भाई को एक ही थाली में भोजन करना चाहिए। ऐसी थाली अमृत के सामान होती है, जिससे घर में सुख -समृद्धि और धन धान्य आता है।

तीन रोटियां एक गाय, एक कुत्ते और एक कौआ

महिलाओं को स्नान करने के बाद ही भोजन पकाना चाहिए। सबसे पहले तीन रोटियां एक गाय, एक कुत्ते और एक कौओ के लिए निकाल दें। इसके बाद अग्निदेव को भोग लगाकर ही सभी परिवार को भोजन परोसें। पूरे परिवार को एक-साथ बैठकर भोजन करना चाहिए। इससे ना सिर्फ देवता खुश होते हैं बल्कि परिवार में भी प्यार बना रहता है। अलग-अलग भोजन करने से परिवार के सदस्यों में दरार आती है।

किसी का झूठा भोजन ना करें

आधा खाया फल, मिठाइयां, किसी का झूठा भोजन ना करें। इसके अलावा फूंक मारा, श्राद्ध, बासी और बाल गिरा हुआ भोजन भी नहीं करना चाहिए। भोजन के समय मौन रहे या सिर्फ सकारात्मक बातें ही करें।

भोजन का विधान

प्रात और साय काल ही भोजन का विधान है। ऐसा इसलिए क्योंकि पाचन क्रिया की जटाअग्नि सूर्यास्त से 2 घंटे बाद तक और सूर्यास्त से 2 घंटे पहले तक प्रबल रहती है। एक समय भोजन करने वाले व्यक्ति को योगी और दो समय भोजन ग्रहण करने वाले व्यक्ति को भोगी कहा जाता है। भोजन हमेशा पूर्व और उत्तर की ओर करके ही खाना चाहिए। मान्यता है कि दक्षिण दिशा में किया हुआ भोजन प्रेत को प्राप्त होता है जबकि पश्चिम दिशा की ओर मुख करके भोजन खाने से रोग की वृद्धि होती है।



खड़े होकर खाना भी अनुचित

कभी भी बिस्तर पर बैठकर, हाथ और टूटे-फूटे बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसे अन्न देवता का अपमान माना जाता है। इसके अलावा मल-मूत्र, कलह-कलेश, पीपल, वतवृक्ष के नीचे भी भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। परोसे हुए भोजन की निंदा, जूते पहनकर और खड़े होकर खाना भी अनुचित माना गया है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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