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Ganesh Utsav 2023 Kab Hai: भाद्रपद में गणेश उत्सव 2023 में कब मनाई जायेगी?,जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि

Ganesh Chaturthi 2023 Kab Hai:प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी का जन्म भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। पार्वती नंदन गणेश को प्रथम पूज्य का आशीर्वाद मिला है। इस दिन से 10 दिनों तक गणेश जी पूजा होती है और गणेशोत्सव मनाते है। जानते कब है गणेश चतुर्थी का दिन...

Suman Mishra। Astrologer
Published on: 10 Aug 2023 6:01 PM IST (Updated on: 10 Aug 2023 6:02 PM IST)
Ganesh Utsav 2023 Kab Hai: भाद्रपद में गणेश उत्सव 2023 में कब मनाई जायेगी?,जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि
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सांकेतिक तस्वीर, सोशल मीडिया

Ganesh Chaturthi Kab Hai: गणेश उत्सव 2023 में कब मनाई जायेगी?:

प्रथम पूज्य देव गणपति देव का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी को हुआ था। मान्यता है कि गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी (Ganesh Chaturthi ) की दोपहर काल में, सोमवार, स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में हुआ था। इसलिए यह चतुर्थी विनायक चतुर्थी भी कहलाती है। यह कलंक चतुर्थी के नाम से भी जानी जाती है

वैसे तो पूरे भारत में गणेश चतुर्थी का यह उत्सव मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र (Maharastra) में यह बहुत धूमधाम से मनाते है। भाद्र मास ( Bhadra Maas) की गणेश चतुर्थी लगभग दस दिनों तक चलता है, इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है। गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि का दाता भी माना जाता है। इसलिए धर्मानुसार इसी दिन से विद्याध्ययन का शुभारंभ होता था। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से गणेश जी का उत्सव गणपति प्रतिमा की स्थापना कर उनकी पूजा की जाती है और अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की विदाई की जाती है।

गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूूर्त

गणेश चतुर्थी 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12ः39 पर हो रही है,

जिसका समापन अगले दिन 19 सितंबर 2023 को दोपहर 01ः43 पर होगा।

गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को मनाई जाएगी। बप्पा की स्थापना का समय 19 सितंबर 2023 को सुबह 11ः07 से 01ः34 तक रहेगा। लोग 5 दिन, 7 दिन या 10 दिनों के लिए बप्पा की स्थापना करते हैं. इसके अनुसार ही विसर्जन करते हैं।

गणेश पूजन के लिए दोपहर मुहूर्त

11:01:23 से 13:28:15 तक
अवधि :
2 घंटे 26 मिनट
चन्द्र दर्शन नहीं करना है
12:41:35 से 20:10:00 तक 18, सितंबर को
चन्द्र दर्शन नहीं करना है :
09:45:00 से 20:42:59 तक 19, सितंबर को
गणेश चतुर्थी विसर्जन - 28 सितंबर

गणेश चतुर्थी पूजा विधि

गणेश चतुर्थी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत होकर गणेश जी की प्रतिमा बनाई जाती है। यह प्रतिमा सोने, तांबे, मिट्टी या गाय के गोबर से अपने सामर्थ्य के अनुसार बनाई जा सकती है। इसके पश्चात एक कोरा कलश लेकर उसमें जल भरकर उसे कोरे कपड़े से बांधा जाता है। तत्पश्चात इस पर गणेश प्रतिमा की स्थापना की जाती है। इसके बाद प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाकर षोडशोपचार कर उसका पूजन किया जाता है। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाया जाता है। गणेश प्रतिमा के पास पांच लड्डू रखकर बाकि ब्राह्मणों में बांट दिये जाते हैं। गणेश जी की पूजा सांय के समय करनी चाहिये। पूजा के पश्चात दृष्टि नीची रखते हुए चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिये। इसके पश्चात ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उन्हें दक्षिणा भी दी जाती है।

. मान्यता है की इस दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए वरना कलंक का भागी होना पड़ता है। अगर भूल से चन्द्र दर्शन हो जाए तो इस दोष के निवारण के लिए नीचे लिखे मन्त्र का 28, 54 या 108 बार जाप करें। श्रीमद्भागवत के दसवें स्कन्द के 57वें अध्याय का पाठ करने से भी चन्द्र दर्शन का दोष समाप्त हो जाता है।
अगर गलती से चन्द्र दर्शन हो जाए तो इस आप चन्द्र दर्शन दोष निवारण मन्त्र का जाप करें
सिंहःप्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः।। लेकिन गणेश जी की पूजा में तुलसीदल न चढ़ाये। तुलसी को छोड़कर बाकी सब पत्र-पुष्प गणेश जी को प्रिय हैं। गणेश पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा करने का विधान है। मतान्तर से गणेश जी की तीन परिक्रमा भी की जाती है। इस दिन गणेश जी के सिद्धिविनायक रूप की पूजा व व्रत किया जाता है।



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Suman Mishra। Astrologer

Suman Mishra। Astrologer

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