गणेश जी का वाहन मूषक कैसे बना | गणेश जी के चूहे का क्या नाम है, जानिए गणेश चतुर्थी पर मूषक से जुड़ी कथा

Ganesh Ji ka Vahan Mushak Kaise Bana: गणेश पुराण के अनुसार सतयुग में एक असुर मूषक (चूहे) के रूप में पाराशर ऋषि के आश्रम में आया और पूरा आश्रम कुतर-कुतर कर नष्ट कर दिया। इससे परेशान होकर आश्रम के सभी ऋषियों ने मूषक के आतंक को खत्म करने के लिए गणेशजी के प्रार्थना की। तब गणेशजी वहां प्रकट हुए और उन्होंने मूषक को काबू करने की बहुत कोशिशें की, लेकिन सभी प्रयास विफल हो गये।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 7 Sep 2021 7:53 AM GMT
Ganesh Ji ka vahan Mushak kaise bana ganesh ji ke chuhe ka naam kya hai ganesh chaturthi kab hai
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सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Ganesh Chaturthi Special- गणपति गणेश जी की सवारी चूहा

गणेश चतुर्थी 2021 का त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश उत्सव के रूप में मनाया मनाया जाता है। इस बार 10 सितंबर 2021 को गणेश चतुर्थी है। इस दिन गणेश जी का अवतरण हुआ था। पूरे भारत खासकर महाराष्ट्र में गणेश उत्सव की अपनी महिमा रहती है। वैसे तो हर महिने की चतुर्थी तिथि का धार्मिक महत्व है, लेकिन गणेश महोत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को होता है। गणेशजी के धरती पर आगमन का पर्व है और इसलिए ही भक्तगण गणेश चतुर्थी के दिन गणेशजी की प्रतिमा की स्थापना करते हैं। लेकिन इसी के साथ उनकी सवार चूहा को रखना भी शुभ माना गया हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किस तरह चूहा गणेशजी की सवारी बना। इसके पीछे भी एक कथा हैं जो बताने जा रहे हैं। तो जानते हैं कैसे चूहा, गणेशजी की सवारी बना।

गणेश जी का वाहन मूषक कैसे बना

धर्म ग्रंथों के अनुसार हजारों युग पहले एक बहुत ही भयंकर असुरों का राजा था – गजमुख। वह बहुत शक्तिशाली बनना और धन चाहता था और सभी देवी-देवताओं को अपने वश में करना चाहता था इसलिए हमेशा भगवान् शिव से वरदान के लिए तपस्या करता था। शिव जी से वरदान पाने के लिए वह अपना राज्य छोड़ कर जंगल में जा कर रहने लगा और शिवजी से वरदान प्राप्त करने के लिए, बिना पानी पिए भोजन खाएं रात-दिन तपस्या करने लगा।


सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

कुछ साल बीत गए, शिवजी उसके अपार तप को देखकर प्रसन्न हो गए और शिवजी उसके सामने प्रकट हुए। शिवजी नें खुश हो कर उसे दैविक शक्तियाँ प्रदान किया जिससे वह बहुत शक्तिशाली बन गया। सबसे बड़ी ताकत जो शिवजी ने उसे प्रदान किया कि उसे किसी भी शस्त्र से नहीं मारा जा सकता। असुर गजमुख को अपनी शक्तियों पर गर्व हो गया और वह अपने शक्तियों का दुर्पयोग करने लगा और देवी-देवताओं पर आक्रमण करने लगा। शिव, विष्णु, ब्रह्मा और गणेश ही उसके आतंक से बचे हुए थे। गजमुख चाहता था की हर कोई देवता उसकी पूजा करें। सभी देवता शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी के शरण में पहुंचे और अपनी जीवन की रक्षा के लिए गुहार करने लगे। यह सब देख कर शिवजी ने गणेश को असुर गजमुख को यह सब करने से रोकने के लिए भेजा।

गणेश जी ने गजमुख के साथ युद्ध किया और असुर गजमुख को बुरी तरह से घायल कर दिया। लेकिन तब भी वह नहीं माना। उस राक्षक ने स्वयं को एक मूषक चूहा के रूप में बदल लिया और गणेश जी की और आक्रमण करने के लिए दौड़ा। जैसे ही वह गणेश जी के पास पहुंचा गणेश जी कूद कर उसके ऊपर बैठ गए और गणेश जी ने गजमुख को जीवन भर के लिए मुस में बदल दिया और अपने वाहन के रूप में जीवन भर के लिए रख लिया। बाद में गजमुख भी अपने इस रूप से खुश हुआ और गणेश जी का प्रिय मित्र भी बन गया।


गणेश जी के चूहे का क्या नाम है

गणेश पुराण के अनुसार प्रथम पूज्य भगवान गणेश का चूहा पूर्व जन्म में एक गंधर्व था जिसका नाम क्रोंच था। एक बार देवराज इंद्र की सभा में गलती से क्रोंच का पैर मुनि वामदेव के ऊपर पड़ गया। मुनि वामदेव को लगा कि क्रोंच ने उनके साथ शरारत की है। गणेश पुराण में दिया गया है जहां भगवान गणेश का चूहा पूर्व जन्म में एक गंधर्व था। गणेश जी तीव्र बुद्धि और समझ वाले देवता है और चूहा भी ऐसा ही चंचल प्राणी होता है। गणेश जी इस बुद्धि और चंचल मन को नियंत्रित करते हैं। गणेश जी की उपासना बिना मूषक के करने पर मनोकामनाएं पूरी नहीं होती हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार सतयुग में एक असुर मूषक (चूहे) के रूप में पाराशर ऋषि के आश्रम में आया और पूरा आश्रम कुतर-कुतर कर नष्ट कर दिया। इससे परेशान होकर आश्रम के सभी ऋषियों ने मूषक के आतंक को खत्म करने के लिए गणेशजी के प्रार्थना की। तब गणेशजी वहां प्रकट हुए और उन्होंने मूषक को काबू करने की बहुत कोशिशें की, लेकिन सभी प्रयास विफल हो गये।

अंत में गणेशजी ने अपना पाश फेंककर मूषक को बंदी बना लिया। बंदी होते ही मूषक ने गणेशजी से प्रार्थना की कि मुझे मृत्यु दंड न दिया जाये। गणेशजी ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और वर मांगने के लिए कहा। कुतर्क स्वभाव होने कारण मूषक ने गणेशजी से ही कहा कि आप ही मुझसे कुछ मांग लीजिए। इस पर गणेशजी हंसे और बोले कि तू मुझे कुछ देना चाहता है तो मेरा वाहन बन जा। मूषक इसके लिए राजी हो गया, लेकिन जैसे ही गणेशजी उसके ऊपर सवार हुए तो वह दबने लगा। उसने फिर गणेशजी के प्रार्थना की कि कृपया मेरे अनुसार अपना भार करें। तब गणेशजी ने मूषक के अनुसार अपना भार कर लिया। तब से मूषक गणेशजी का वाहन है।


सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)


गणेश चतुर्थी सितंबर कब है?

भाद्र मास की चतुर्थी तिथि 10 सितंबर को चतुर्थी तिथि आरंभ- 00.17 (10 सितंबर 2021) से चतुर्थी तिथि समाप्त- 21.57 (10 सितंबर 2021)। इसलिए गणेश उत्सव 10 सितंबर को ही मनाई जाएगी।

चंद्र दर्शन से बचने का समय – 09.12 से 20.54 (10 सितंबर 2021)

सुबह मुहूर्त- 06.03 AM से 08.33 AM तक

गणेश चतुर्थी के दिन दोपहर गणेश पूजा – 11.04 AM से 13.32 PM

अभिजीत मुहूर्त – 11.30 AM से 12.20 PM

अमृत काल – 06.52 AM से 08.28 AM

ब्रह्म मुहूर्त – 04.10 AM से 05.55 AM

विजय मुहूर्त- 01.59 PM से 02.49 PM

गोधूलि बेला- 05.55 PM से 06.19 PM

निशिता काल- 11.32 PM से 12.18 AM, 11 सितंबर

रवि योग- 05.42 AM से 12.58 PM

गणेश चतुर्थी के दिन षोड्शोपचार विधि से गणेश जी की पूजा की जाती है। इस दिन फूल अक्षत, दुर्वा, लड्डू और मोदक से विघ्नहर्ता भगवान गणेश को प्रसन्न किया जाता है। प्रथम पूज्य भगवान गणेश को जो भी जातक या व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से पूजता और ध्यान करता है। उनके हर कष्ट को पार्वती पुत्र लंबोदर हर लेते हैं। गजानन की भक्ति के लिए इस दिन सुबह स्नान कर प्रात: घर में गणेश जी की नई मू्र्ति लाए और विधि-विधान से स्थापित करें। फिर पूजा व्रत कर संकल्प लें और जीवन में समृद्धि व खुशहाली के लिए ऋद्धि-सिद्धि बुद्धि के दाता से कामना करें।


Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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