×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Ganesh Lakshami ji ki Aarti :दिवाली की पूजा में जरूर करें ये तीन आरती, तभी भरेगा घर में धन-दौलत, पूजा होगी सफल

Ganesh Lakshami ji ki Aarti Lyrics दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए उनकी आरती करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। माता लक्ष्मी जी की आरती को शुक्रवार, गुरुवार, वरलक्ष्मी व्रत, वैभव लक्ष्मी तथा दीपावली के दिन पूजन के बाद आरती किया जाता है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 31 Oct 2024 10:09 AM IST (Updated on: 31 Oct 2024 10:09 AM IST)
Maa Lakhami Ki Aarti
X

सांकेतिक तस्वीर सोशल मीडिया

Maa Lakhami Ki Aarti :लक्ष्मी जी, जो धन, समृद्धि, और सौभाग्य की देवी हैं, की पूजा करते हुए यह आरती उनके प्रति श्रद्धा और आभार व्यक्त करने का एक विशेष माध्यम है। हर पूर्णिमा, विशेषकर दिवाली के पर्व पर, लक्ष्मी जी की आरती करने से परिवार में खुशहाली और समृद्धि का आशीर्वाद माना जाता है। आरती के मधुर बोल मन में एक नई ऊर्जा का संचार होता है, जो न केवल आर्थिक समृद्धि बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक संतोष का भी प्रतीक है। देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए उनकी आरती का गायन करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। माता लक्ष्मी जी की आरती को शुक्रवार, गुरुवार, वरलक्ष्मी व्रत, वैभव लक्ष्मी तथा दीपावली के दिन पूजन के बाद आरती किया जाता है।

दिवाली की रात अमहालक्ष्मी का कोई विशेष मंत्र जाप या पूजा करने वाले हैं तो इस मंत्र के साथ आरती का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार आरती के बिना कोई भी पूजा संपन्न नहीं होती। खासकर कि दिवाली की पूजा। दिवाली की रात सभी प्रकार की साधनाओं के बाद लक्ष्मी जी की आरती जरूर करें। इस आरती के एक-एक शब्द मां लक्ष्मी के प्रति आपके समर्पण को बताते हैं। यदि समर्पण के साथ कोई भी आराधना की जाए तो वह फलित जरूर होती है। जानते हैं कौन सी आरती इस रात करनी चाहिए जो महालक्ष्मी को प्रसन्न करती है

कार्तिक माह की अमावस्या यानी दिवाली पर लक्ष्मी जी की पूजा और आरती का खास महत्व होता है। आरती के बिना पूजा अधूरी होती है। दिवाली पर लक्ष्मी जी की आरती में कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है। दिवाली की आरती घी की बत्तियों से करनी चाहिए। आरती में अपनी श्रद्धा के अनुसार बत्तियों की संख्या एक, पांच, नौ, ग्यारह या इक्किस हो सकती है। कुछ लोग लक्ष्मी जी की आरती मंत्रों से करते हैं लेकिन ऊँ जय लक्ष्मी माता, आरती बहुत से लोग करते हैं। लेकिन पहले गणेश जी की आरती करें फिर मां लक्ष्मी की....

गणेश जी की आरती

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी ।

माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी ॥

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा ।

लडुअन का भोग लगे, संत करे सेवा ॥

अंधें को आँख देत, कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

सूरश्याम शरण आए सफल कीजे सेवा |

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

महालक्ष्मी की आरती

महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।

हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥

पद्मालये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।

सर्वभूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥

उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता ।

सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता ।

जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता ।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्‍गुण आता ।

सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता ।

खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता ।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता ।

उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥

आरती के बाद कपूर जलाकर घर के हर कोने में जरूर दिखाएं। कपूर के कई आध्यात्मिक फायदे हैं। यह निगेटिव एनर्जी को घर से दूर करता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

कुबेर जी की आरती

ॐ जय यक्ष कुबेर हरे,

स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।

शरण पड़े भगतों के,

भण्डार कुबेर भरे।

॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥

शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,

स्वामी भक्त कुबेर बड़े।

दैत्य दानव मानव से,

कई-कई युद्ध लड़े ॥

॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥

स्वर्ण सिंहासन बैठे,

सिर पर छत्र फिरे,

स्वामी सिर पर छत्र फिरे।

योगिनी मंगल गावैं,

सब जय जय कार करैं॥

॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥

गदा त्रिशूल हाथ में,

शस्त्र बहुत धरे,

स्वामी शस्त्र बहुत धरे।

दुख भय संकट मोचन,

धनुष टंकार करे॥

॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥

भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,

स्वामी व्यंजन बहुत बने।

मोहन भोग लगावैं,

साथ में उड़द चने॥

॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥

बल बुद्धि विद्या दाता,

हम तेरी शरण पड़े,

स्वामी हम तेरी शरण पड़े,

अपने भक्त जनों के,

सारे काम संवारे॥

॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥

मुकुट मणी की शोभा,

मोतियन हार गले,

स्वामी मोतियन हार गले।

अगर कपूर की बाती,

घी की जोत जले॥

॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥

यक्ष कुबेर जी की आरती,

जो कोई नर गावे,

स्वामी जो कोई नर गावे ।

कहत प्रेमपाल स्वामी,

मनवांछित फल पावे।

॥ इति श्री कुबेर आरती ॥



\
Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story