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Ganga Dussehra 2024 Kab Hai गंगा दशहरा 2024 में कब है?, जानिए शुभ मुहूर्त और स्नान का शुभ योग

Ganga Dussehra Kab Hai: गंगा दशहरा का दिन कब है, इस दिन का धार्मिक महत्व कब है, जानिए कैसा रहेगा....

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 13 Jun 2024 11:45 AM IST (Updated on: 13 Jun 2024 3:33 PM IST)
Ganga Dussehra 2024 Kab Hai गंगा दशहरा 2024 में कब है?, जानिए शुभ मुहूर्त और स्नान का शुभ योग
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Ganga Dussehra 2024 Kab Hai गंगा दशहरा 2024 कब है? ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) होता है। हिंदू धर्मशास्त्रों में गंगा दशहरा का अपना महत्व है। इस दिन किया गया पुण्य क्रम का दोगुना फल मिलता है। गंगा नदी में स्नान से सारे पाप धूल जाते हैं। ब्रह्मलोक से आई शिव के जटा में समाई और भगीरथ प्रयासों से धरती पर आई गंगा के मनुष्य लोक में अवतरित होने का दिन गंगा दशहरा ज्येष्ठ मास में पड़ता है। इस साल 2024 में गंगा दशहरा 16 जून को पड़ रहा है।

गंगा दशहरा का शुभ मुहूर्त

धर्म ग्रंथों के अनुसार शिव की जटा में रहने वाली गंगा जी का पृथ्वी पर उदगम ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हस्त नक्षत्र में हुआ था। गंगा दशहरा 16 जून 2024 को है। इस दिन गंगा स्नान के लिए ब्रह्म मुहूर्त सबसे अच्छा होता है। इसके अलावा इस दिन सुबह 07.08 - सुबह 10.37 तक शुभ मुहूर्त है।इस दिन रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है।

दशमी तिथि प्रारम्भ - जून 16, 2024 को 02:32 AM बजे

दशमी तिथि समाप्त - जून 17, 2024 को 04:43 AM बजे

हस्त नक्षत्र प्रारम्भ - जून 15, 2024 को 08:14 AM बजे

हस्त नक्षत्र समाप्त - जून 16, 2024 को 11:13 AM बजे

व्यतीपात योग प्रारम्भ - जून 14, 2024 को 07:08 PM बजे

व्यतीपात योग समाप्त - जून 15, 2024 को 08:11 PM बजे

निशिता काल- 11.39 PM से 12. 20 AM तक 17जून

रवि योग- गंगा दशहरा के दिन सुबह से रवि योग रहेगा।

गंगा दशहरा का महत्व

मां गंगा को भगीरथ में अपने पितरों की मुक्ति के लिए धरती पर उतारा था। तब से आज तक मां गंगा मनुष्य के पाप कर्मों को धोती रहती है।

जो भी मनुष्य गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करता है। उसके सारे बुरे कर्म धूल जाते हैं। गंगा के स्पर्श से मनुष्य को कई जन्मों का पुण्य मिलता है।

गंगा दशहरा के दिन सुबह गंगा नदी में स्नान करके सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है। साथ ही पान के पत्ते पर फूल और अक्षत रखकर जल में प्रवाहित कर दिया जाता है।

दशहरा का मतलब है 10 विकारों का नाश होता है। इसलिए दशहरा के दिन शुद्ध मन से मां गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के समस्त पाप धुल जाते हैं।

गंगा दशहरा मां गंगा के अवतरण का दिन या कहे धरती पर मां गंगा का जन्मदिवस गंगा जयंती । इस दिन अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए भगीरथ ने स्वर्ग से धरती पर मां गंगा को लाए थे। मां गंगा को भगीरथ में अपने पितरों की मुक्ति के लिए धरती पर उतारा था। तब से आज तक मां गंगा मनुष्य के पाप कर्मों को धोती रहती है। जो भी मनुष्य गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करता है। उसके सारे बुरे कर्म धूल जाते हैं। गंगा के स्पर्श से मनुष्य को कई जन्मों का पुण्य मिलता है।

स्कंदपुराण, भविष्यपुराण, शिवपुराण आदि ग्रंथों में मां गंगा की महिमा का बखान है और बताया गया है कि कैसा कालो काल से मां गंगा पतित पावन धरती को पवित्र कर रही है। साथ में शिव भगवान कैसे मां गंगा को अपनी जटा में धारण करते हैंं। महर्षि व्यास ने गंगा की जलधारा और उसके रहस्य का बखान पद्मपुराण में किया है। गंगाजल से लाइलाज बीमारियों का इलाज संभव है। सालों साल गंगा जल को रख लिया जाए तब भी उसमें कीड़े नहीं पड़ते हैं।

गंगा दशहरा की पूजा विधि (Ganga Dussehra Puja Vidhi)

इस दिन सूर्योदय से पहले सुबह उठकर साफ-सफाई करने के बाद गंगा नदी में स्नान करें, अगर संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल से स्नान करें और घर में भी गंगाजल छिड़के।

उसके बाद गंगाजल मिलाकर सूर्य को जल चढ़ाए, साथ में गंगाजल से ही शिव का अभिषेक करें। ध्यान पूजा व्रत और मंत्र जाप से मां गंगा का ध्यान करें और मोक्ष की कामना करें।

उसके बाद जरूरतमंदों को दान में वस्त्र जूता चप्पल, मिट्टी का मटका और छाता , सत्तू दान करें।

घर में माता-पिता और बुजुर्गों को सम्मान दें साथ में पितरों को जल चढ़ाए। आसपास सरोवर, तलाब या गंगा नदी में दीपदान करें ।

इस दिन बुराई चोरी झूठ फरेब से बचना चाहिए।

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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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