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Garuda Purana: मृत्यु के समय क्यों आंखें हो जातीं हैं ऐसी, जानिए क्या बताया गया है गरुण पुराण में

Garuda Purana: गरुण पुराण को हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ माना गया है। मृत्यु के बाद व्यक्ति की आत्मा और शरीर से सम्बंधित कई जानकारियां इसमें वर्णित हैं जिसे जानकर आप भी हैरान रह जायेंगे।

Shweta Srivastava
Published on: 11 Dec 2023 10:45 AM IST (Updated on: 11 Dec 2023 10:45 AM IST)
Garuda Purana: मृत्यु के समय क्यों आंखें हो जातीं हैं ऐसी, जानिए क्या बताया गया है गरुण पुराण में
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Garuda Purana: मृत्यु के बाद हमारी आत्मा का क्या होता है इस बारे में तो कई शोध किये जा रहे हैं लेकिन गरुण पुराण में कई ऐसी बातें पहले से ही वर्णित हैं जिन्हे जानकार आपके भी होश उड़ जायेंगे। मृत्यु के समय शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं जिसके पीछे का कारण शायद ही किसी को पता होगा। जैसे आंखों का उलट जाना या मुंह का टेढ़ा हो जाना लेकिन इस बारे में गरुण पुराण में विस्तार से बताया गया है आइये जानते हैं।

मृत्यु के बाद क्यों टेढ़ी हो जातीं हैं आँखें

जीवन है तो मृत्यु भी है ये एक ऐसा सच है जिसे कोई नहीं टाल सकता और इसका सामना हर किसी को कभी न कभी करना ही पड़ता है। धरती पर जन्म लेने वाला हर एक प्राणी मृत्यु का सामना भी करता है। लेकिन मनुष्य जिस तरह से इन दुनिया में आता है उसका यहाँ से जाना उसके ठीक विपरीत होता है। जन्म के समय जहाँ सभी रोते हुए आते थे वहीँ मृत्यु के समय व्यक्ति की सांसे रुक जाती है। इतना ही नहीं मृत्यु के समय शरीर में कई ऐसी असामान्य चीज़ें होतीं हैं जिसे जानने के बाद आप हैरान रह जायेंगे। आपने देखा या सुना होगा कि मृत्यु के समय कुछ लोगों की आंखे उलट जाती हैं।

गरुड़ पुराण में इसके बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें कहा गया है कि ऐसा तब होता है जब आत्मा शरीर से बाहर निकलती है। लेकिन वहीँ अब ये सवाल भी उठता है कि आत्मा तो मृत्यु के समय सभी के शरीर से निकलती है तो फिर सबके साथ एक जैसी घटना क्यों नहीं होती? इसके पीछे की वजह आपके होश उड़ा देगी।

गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक माना जाता है जिसमे भगवान् विष्णु अपने वाहन पक्षीराज गरुड़ को मृत्यु के समय की स्थिति का वर्णन करते हुए कहते हैं कि," एक मनुष्य अपने जीवन या मृत्यु के दौरान कई तरह के शारीरिक कष्ट प्राप्त करता है, जो उसे उसके कर्मों के आधार पर मिलते हैं। इसी तरह जो लोग शारीरिक कष्ट होते हुए भी मोह माया में बंधकर अधिक जीना चाहते हैं, जिन्हे अपने परिवार से अधिक मोह होता है ऐसी मनुष्यों की आंखें अंत समय में काम नहीं करतीं हैं उन्हें सुनाई देना भी बंद हो जाता है। साथ ही उनका गला बैठ जाता है। ऐसा मनुष्य जब मौत यानी यमदूत को अपने सामने खड़ा पाते हैं तो वो उनसे कुछ कहना चाहते हैं लेकिन वो कुछ भी कह पाने में असमर्थ होते हैं। तब जीने की ज़्यादा यमदूत उनकी आत्मा को बलपूर्वक शरीर से अलग कर देते हैं। ऐसे में इन मनुष्यों की आंखें जैसे ही शरीर से अलग होती है तो इनकी आंखें उलट जाती है।

नोट : यहां दी गयी जानकारी सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। न्यूज़ट्रैक इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।



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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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