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Gayatri Mantra Jaap Benefits in Hindi : गायत्री मंत्र का रोज करते हैं जाप, कहीं न कर बैठे गलती इसलिए इन बातों पर जरूर दें ध्यान
Gayatri Mantra Jaap Benefits in Hindi : गायत्री मंत्र के जाप से ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग आसान लगने लगता है।विद्वानों ने और शास्त्रों में कहा है कि आत्मा को शुद्ध -पवित्र करने का काम गायत्री मंत्र से होता है। इससे जप तप का मार्ग सुगम होता है।
Gayatri Mantra Jaap
जब हमारा मन किसी काम में नहीं लगता है तो हम इससे बाहर निकलने के लिए ईश्वर की शरण में जाते हैं।वहां जातक हमें कुछ हद शांति मिलती है। इसके हम मंदिर जाते, पूजा करते या मंत्र से ईश्वर सानिध्य पाने की कोशिश करते हैं।
पहले लोग ईश्वर को पाने के लिए हजारों हजार साल तक तपस्या करते थे, तब जाकर कही ईश्वर की प्राप्ति होते है। आज भी ईश्वर प्राप्ति का मार्ग सुगम नहीं है। धर्म ग्रंथों में ईष्टदेव को खुश करने के लिए कई उपाय बताए गए है। कभी पूजा तो कभी मंत्र जप से भगवान को खुश किया जाता है। मंत्रों के जाप से ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग आसान लगने लगता है। हम सबने बचपन से वैदिक गायत्री मंत्र के जाप के बारे में सुना और पढ़ा है। बहुतों ने इसका जाप भी किया होगा , लेकिन क्या आप जानते है 24 अक्षर के इन मंत्रों में ईश्वर की कितनी शक्ति है। वैदिक ग्रंथों में गायत्री मंत्र में छिपे रहस्य को बताया गया है। हिंदू धर्म में वेदों का स्थान सर्वोच्च है। इन्हें ब्रह्म-ज्ञान भी कहते हैं। इन ब्रह्म विज्ञान की संख्या 24 है और गायत्री मंत्र में भी 24 अक्षर ही निहित है। ब्रह्म विज्ञान में 4 वेद, 4 उपवेद, 4 ब्राह्मण, 6 दर्शन और 6 वेदांग हैं। इनका जोड़ 24 है।
शास्त्रों में कहा गया है कि गायत्री मंत्र के जाप से नेगेटिविटी दूर हो जाती है और हमारे मन-मस्तिष्क में नयी ऊर्जा का प्रवाह होता है। गायत्री मंत्र का रोज शुद्ध उच्चारण करने से मन में एकाग्रता बढ़ती है, इसलिए इसे सभी मंत्रों महामंत्र कहा जाता है। गायत्री मंत्र को सविता मंत्र वेद ग्रन्थ की माता और सबसे उतम मंत्र कहते हैं।
गायत्री मंत्र का अर्थ और महत्व
विद्वानों ने और शास्त्रों में कहा है कि आत्मा को शुद्ध -पवित्र करने का काम गायत्री मंत्र करते हैं। इससे जप तप का मार्ग सुगम होता है। इसका प्रतिदिन तीन बार जाप करना चाहिए। सूर्योदय से पहले दोपहर और सूर्यास्त के बाद मन में नित्य जाप करना चाहिए।
ॐ भूर्भुव: स्व:
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो न: प्रचोदयात्।
इस मंत्र का अर्थ है सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, वो परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।
ॐ = ईश्वर हमारी सबकी मदद करने वाला हर कण में मौजूद है
भू = पृथ्वी जो सम्पूर्ण जगत के जीवन का आधार और प्राणों से भी प्रिय है
भुवः = सभी दुःखों से रहित, जिसके संग से सभी दुखों का नाश हो जाता है
स्वः = वो स्वयं:, जो सम्पूर्ण जगत का धारण करते हैं
तत् = उसी परमात्मा के रूप को हम सभी
सवितु = जो सम्पूर्ण जगत का उत्पादक है
र्वरेण्यं = जो स्वीकार करने योग्य अति श्रेष्ठ है
भर्गो = शुद्ध स्वरूप और पवित्र करने वाला चेतन स्वरूप है
देवस्य = भगवान स्वरूप जिसकी प्राप्ति सभी करना चाहते हैं
धीमहि = धारण करें
धियो = बुद्धि को
यो = जो देव परमात्मा
नः = हमारी
प्रचोदयात् = प्रेरित करें, अर्थात बुरे कर्मों से मुक्त होकर अच्छे कर्मों में लिप्त हों
गायत्री मंत्र के 24 शब्द कौन सी माला से जाप करना चाहिए?
इस मंत्र को करने की भी एक विधि होती हैं। आप जब भी गायत्री मंत्र का जप करें तो हमेशा रुद्राक्ष की माला से ही करना चाहिए। दिन में कम से कम इस मंत्र का जप ७ पर करना हैं। सुबह के समय करने से मन को शांति मिलती है।तुलसी या चन्दन की माला का प्रयोग करें. - ब्रह्म मुहूर्त में यानी सुबह पूर्व दिशा की ओर मुख करके गायत्री मंत्र का जाप करें और शाम को पश्चिम दिशा में मुख कर जाप करें. - इस मंत्र का मानसिक जाप किसी भी समय किया जा सकता है.
गायत्री मंत्र को लेकर विज्ञान क्या कहता है।
गायत्री मंत्र से पाप दूर रहता है। गायत्री मंत्र को सबसे पवित्र मंत्र मानते है। माना जाता है कि सभी 4 वेदों का सार इस एक गायत्री मंत्र में समाहित है। शास्त्रों के अनुसार यह मंत्र वेदों का श्रेष्ठ मंत्र है। गायत्री मंत्र की शुरुआत "ॐ" शब्द से होती है। ॐ शब्द का उच्चारण आपके होठ, जीभ, तालू, गले के पिछले हिस्से और खोपड़ी में कम्पन पैदा करता है। ऐसा माना जाता है कि हार्मोंस के रिलीज की वजह से दिमाग शांत रहता है। गायत्री मंत्र के उच्चारण से जीभ, होठ, स्वर रज्जु और दिमाग में होने वाली कम्पन की वजह से हाइपोथेलेमस ग्रंथि से हार्मोंस का स्त्राव होता है। इस हार्मोंस की स्त्राव की वजह से इन्सान को खुश रखें वाले हार्मोंस शरीर से बाहर निकलते है। ये हार्मोंस इन्सान में शारीरिक विकारों से लड़ने की क्षमता बनाये रखते है।
मंत्र के उच्चारण के दौरान आपको लम्बी सांसे लेनी पड़ती है जो आपकी सांस लेने की शक्ति को मजबूत करती है, इससे न कि आपका फेफड़ा मजबूत होता है बल्कि सांस लेने से आपका रक्त संचार भी अच्छा बना रहता है। मंत्र के उच्चारण साथ ही शरीर के अगल-अलग हिस्सों में होने वाले कम्पन, दिमाग में होने वाले रक्त संचार को काबू में रखते है। इस मंत्र के उच्चारण दिमाग और शरीर में मौजूद नसों में बेहतर तालमेल स्थापित करने में मदद करता है।
गायत्री मंत्र के लाभ
गायत्री मंत्र कुल 24 अक्षरों से मिलकर बना है, इन 24 अक्षरों को देवी-देवताओं का स्मरण बीज माना गया है। इन 24 अक्षरों को शास्त्रों और वेदों के ज्ञान का आधार भी बताया गया है। गायत्री मंत्र की उत्पति भगवान ब्रम्हा जी के द्वारा वेदों के रूप में अपने चारों मुखों से हुआ था। ऐसा माना जाता है कि यह गायत्री मंत्र पहले सिर्फ देवी-देवताओं के लिए ही था। इस मंत्र के रचियता महर्षि विश्वामित्र ने की थी। गायत्री मंत्र के जाप से मस्तिष्क नियन्त्रण में रहता है। जल्दी गुस्सा नहीं आता, सब्र नहीं खोते, पढ़ाई में मन ना लगना जैसी समस्याएं भी इस मंत्र के उच्चारण से दूर हो जाती है।
गायत्री मंत्र के जाप से मन शांत रहता है। हर तरह की बाधा दूर होती है। बच्चों को पढ़ाई में मन लगता है । चेहरे पर गजब की चमक आती है। किसी तरह की की बीमारी नहीं होती। इस मंत्र का जाप करने वाला इंसान कभी कोई अनिष्ट नहीं करता है।
गायत्री मंत्र के जाप से तन और मन शांत होता है। स्मरण शक्ति बढ़ती है। गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से क्रोध, इर्ष्या, गुस्सा आना जैसी समस्याएं दूर होती है। मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। आपका भाग्य भी बदल जाता है। आप नकारात्मक शक्ति से दूर रहते है। आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है। इसके उच्चारण से बुद्धि का विकास होता है। हमेशा सकारात्मक विचार ही आते है। काई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है। इससे आपकी संतान की समस्या भी दूर होती है। गायत्री मंत्र का नियमित जप करने से चेहरे व त्वचा में चमक आती है और आँखों का तेज बढ़ता है।
गायत्री मंत्र के जाप का तरीका
प्रातःकाल में स्नान के बाज धुले कपड़े पहनकर गायत्री मंत्र का जाप करें। एकांत और शांत स्थान पर जाप करें। गायत्री मंत्र का जाप चमड़े के बने आसन पर नहीं करना चाहिए इसका जाप ऊनी और रेशमी आसनों पर बैठकर करना चाहिए। गायत्री मंत्र के जाप में गिनती जरूर करनी चाहिए, क्योंकि बिना गिनती के गायत्री का जाप निर्थक और राक्षसीय जाप है प्रातःकाल में उठते समय अस्ट कर्मों को जीतने के लिए गायत्री मंत्र का 8 बार जाप करना चाहिए।
सुबह पूजा में बैठे तब 108 बार इसका जप करना चाहिए। हमेशा जब आप घर से पहली बार बाहर जाते है तो समृद्धि, सफलता, सिद्धि और उच्च जीवन के लिए इसका उच्चारण करना चाहिए। मन्दिर में प्रवेश के दौरान इसका उच्चारण करना चाहिए। हमेशा रात में सोने से पूर्व एक बार इसका उच्चारण जरूर करना चाहिए। गायत्री मंत्र सबके कल्याण एक स्रोत है। गायत्री मंत्र एक ऐसा मंत्र है, जिसकी उपासना भगवान स्वयं भी करते हैं। इसलिए इसके गुणों का वर्णन करना असंभव है। इस मंत्र के जप से हृदय शुद्ध होता है।
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