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गीता के ज्ञान से ही दूर होगा निराशा, अंधकार का वातावरण

tiwarishalini
Published on: 2 Dec 2017 11:19 AM GMT
गीता के ज्ञान से ही दूर होगा निराशा, अंधकार का वातावरण
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मृत्युंजय दीक्षित

श्रीमद्भगवद्गीता भारत का ही नहीं अपितु समस्त सनातन संस्कृति का एक परम पूजनीय ग्रंथ है। यह एक ऐसा महान ग्रंथ है जो प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में ऊर्जा व उत्साह का संचार करता है। आज पूरा विश्व गीता को अपनाना चाह रहा है। गीता एक ऐसा पवित्र धर्म ग्रंथ है जो वर्तमान समय में युवाओं को सभी प्रकार की निराशा, अंधकार आदि से परे रखकर सफलता पाने का मंत्र नि:शुल्क सिखाता है। गीता आज के मानव को हर प्रकार का अनुशासन सिखाने का काम करती है। गीता एक ऐसा योग ग्रंथ है जिसमें हर प्रकार के योग का समन्वय है। जिसने गीता को समझ लिया वह व्यक्ति धन्य हो गया। आज भी सभी जगह निराशावादी वातावरण है तथा उसे पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। यह निराशावादी वातावरण केवल गीता के अध्ययन व ज्ञान से ही दूर किया जा सकता है।

गीता से मिली है नायकों को प्रेरणा

देश व विदेश के अनेकानेक महापुरुषों, देश को आजादी दिलाने वाले सभी नायकों को गीता से ही प्रेरणा मिली थी। महान क्रांतिकारी नेता लोकमान्य गंगाधर तिलक ने तो गीता रहस्य ही रच डाला। गीता के द्वितीय अध्याय का 47वां श्लोक कर्मण्येवाधिकारस्तेे मा फलेषु कदाचन-धैर्य धारण कराता है एवं मन को शांति देता है। आज का युवा चाहे जो क्षेत्र चुन लें उसे धैर्य और स्वयं को समर्पित किये बिना सफलता नहीं मिलेगी। गीता एक ऐसा ग्रंथ है जो हर समय हर युग में प्रासंगिक रहेगा। गीता कर्म और धर्म का समन्वय है। गीता जीने की कला को भी सिखाने वाला पवित्र ग्रंथ है।

गीता को भक्तिभाव से ग्रहण करें

महाभारत का युद्घ आरम्भ होने के पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। यह उपदेश केवल अर्जुन के लिए नहीं था अपितु उसे बाद के भविष्य के लिए प्रेरणादायी बन गया है। भगवान से गीता सुनने के बाद अर्जुन ने कृष्ण को परमब्रह्म स्वीकार कर लिया। गीता को भक्तिभाव से ग्रहण करना चाहिये। गीता में पांच मूल सत्यों का ज्ञान निहित है। गीता में सर्वथम ईवर के विज्ञान की ओर और फिर जीवों के स्वरूप की स्थिति की विवेचना की गयी है। गीता में कृति, काल तथा समस्त कार के कर्मों की भी व्याख्या की गयी है। गीता से हमें अवश्य सीखना चाहिए कि ईवर क्या है, जीव क्या है, कृति क्या है, दृश्य जगत क्या है, यह काल द्वारा किस प्रकार नियंत्रित किया जाता है और जीवों के कार्यकलाप क्या हैं? गीता में साफ कहा गया है कि कोई भी स्वतंत्र नहीं है। ईश्वर ही सबका नियंता व नियंत्रक है। ब्रह्म भी पूर्ण परम पुरुष के अधीन है।

गीता समस्त वैदिक ज्ञान का सार

समस्त हिन्दू समाज गीता ज्ञान को पूर्ण तथा अमोघ मानते हैं। गीता समस्त वैदिक ज्ञान का सार है। वैदिक ज्ञान शोध का विषय नहीं है। हमेें गीता को बिना किसी प्रकार की टीका टिप्पणी, विषय वस्तु में बिना किसी मनोकल्पना के स्वीकार करना चाहिये। गीता वैदिक ज्ञान की सर्वाधिक पूर्ण प्रस्तुति है। वैदिक ज्ञान दिव्य स्रोतों से मिलता है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो नित्य निरंतर मुझमें मनवाला हो, मेरा भक्त हो, मेरा पूजन करे और मुझे ही प्रणाम करे, वह मुझको ही प्राप्त होगा। गीता में कहा गया है कि जीव न तो कभी जन्मता है और न कभी मरता है। गीता एक दिव्य साहित्य है। इसे बहुत ध्यान से पढ़ऩा चाहिये। यदि कोई गीता के उपदेशों का पालन करे तो वह जीवन के दुुखों तथा चिंताओं से मुक्त हो सकता है। वह इस जीवन में सारे भय से मुक्त हो जायेगा। उसका अगला जीवन आध्यात्मिक होगा।

व्यक्तित्व के विकास में सहायक है गीता

यदि कोई गीता को निष्ठा एवं गंम्भीरता के साथ पढ़ता है तो भगवान की कृपा से उसके सारे पूर्व दुष्कर्मों के फलों का उस पर कोई भाव नहीं पड़ता। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्पष्ट कर दिया है कि जो सभी धर्मों को त्याग कर मेरी शरण में आता है वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है तथा वह भक्त के समस्त पापों को क्षमा भी कर देते हंै। गीता से व्यक्तित्व विकास की राह खुलती है। एक विकसित व्यक्तित्व के 26 गुण गीता में बताए गए हैं। भय, सत्वंशुद्धि, ज्ञान की प्राप्ति, भौतिक सम्पदा को दान करने की वृत्ति, इंद्रियों पर पूर्ण नियंत्रण, स्वार्थरहित कर्म, स्वाध्याय, तप, सहजता, अहिंसा, सत्य, अक्रोध, त्याग, शांति, दूसरों की निंदा नहीं करना, दया भाव, लोभ नहीं करना, मधुरता, गलती करने पर संकोच, निश्छल मन, तेज, क्षमाशीलता, धैर्य, पवित्रता, द्वेष नहीं करना ऐसे गुणों का स्वाभाविक विकास होता है। गीता के अध्ययन करने से इन सभी गुणों का विकास होता है। गीता का अध्ययन करने से ही पता चलता है कि विकास की कितनी अनंत संभावनाएं विद्यमान हैं।

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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