Gopashtami 2024 : गोपाष्टमी पर करें ये काम, खुशहाल जीवन और मिलेगा आशीर्वाद

Gopashtami 2024 : कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष बार 9 नवंबर को कार्तिक शुक्ल अष्टमी गोपाष्टमी के रूप में मनाई जाएगी।

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Published on: 8 Nov 2024 9:52 AM GMT
Gopashtami 2024 : गोपाष्टमी पर करें ये काम, खुशहाल जीवन और मिलेगा आशीर्वाद
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एस.एस.नागपाल, ज्योतिषाचार्य

Gopashtami 2024 : कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष बार 9 नवंबर को कार्तिक शुक्ल अष्टमी गोपाष्टमी के रूप में मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि 8 नवम्बर को रात्रि मे 11 :56 से प्रारम्भ होकर 9 नवम्बर की रात्रि 10:45 तक है।

गौ माता की पूजा

गोपाष्टमी गायों की पूजा और प्रार्थना करने के लिए समर्पित एक त्यौहार है। इस दिन लोग गाय माता (गोधन) को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं और गायों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान प्रदर्शित करते हैं क्योंकि गायों को जीवन देने वाला माना जाता है।

हमारी सनातन संस्कृति में, गायों को ‘गौ माता’ कहा जाता है और उनकी देवी की तरह पूजा की जाती है। गायों को हिंदू धर्म और संस्कृति की आत्मा माना जाता है। देवताओं की तरह उनकी पूजा की जाती है। मान्यता है की गाय में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है इसलिए गाय हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखती हैं। गाय को आध्यात्मिक और दिव्य गुणों का स्वामी माना जाता है और यह देवी पृथ्वी का एक और रूप है।

गोपाष्टमी की पूर्व संध्या पर गाय की पूजा करने वाले व्यक्तियों को एक खुशहाल जीवन और अच्छे भाग्य का आशीर्वाद मिलता है। यह भक्तों को उनकी इच्छाओं को पूरा करने में भी मदद करता है।

पौराणिक कथा

- जब कृष्ण भगवान ने अपने जीवन के छठे वर्ष में कदम रखा। तब वे अपनी मैया यशोदा से जिद्द करने लगे कि वे अब बड़े हो गये हैं और वे गाय चराना चाहते हैं। उनके हठ के आगे मैया को हार माननी पड़ी और मैया ने उन्हें पिता नन्द बाबा के पास इसकी आज्ञा लेने भेज दिया। वह दिन गोपाष्टमी का था। जब श्री कृष्ण ने गाय पालन शुरू किया गौ चरण करने के कारण ही, श्री कृष्णा को गोपाल या गोविन्द के नाम से भी जाना जाता है।

- ब्रज में इंद्र का प्रकोप इस तरह बरसा की लगातार बारिश होती रही, जिससे बचने के लिए श्री कृष्ण जी ने 7 दिन तक गोबर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी ऊँगली से उठाये रखा। उस दिन को गोबर्धन पूजा के नाम से मनाया जाने लगा।

गोपाष्टमी के दिन ही स्वर्ग के राजा इंद्र देव ने अपनी हार स्वीकार की थी, जिसके बाद श्रीकृष्ण ने गोबर्धन पर्वत को अपनी उंगली से उतार कर नीचे रखा था। भगवान कृष्ण स्वयं गौ माता की सेवा करते हुए, गाय के महत्व को सभी के सामने रखा। गौ सेवा के कारण ही इंद्र ने उनका नाम गोविंद रखा।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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