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Gudi Padwa 2023 Date Kab Hai: 2023 में गुड़ी पड़वा कब है और क्यों मनाया जाता है? जानिए महत्व-पूजा विधि

Gudi Padwa 2023 Date Kab Hai: गुढी पाडवा के दिन हिन्दू नव संवत्सरारम्भ माना जाता है। चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुढी पाडवा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि कहा जाता है। इस दिन हिन्दु नववर्ष का आरम्भ होता है। 'गुढी' का अर्थ 'विजय पताका' होता है। कहते हैं शालिवाहन ने मिट्टी के सैनिकों की सेना से प्रभावी शत्रुओं का पराभव किया।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 23 Feb 2023 10:39 AM IST
Gudi Padwa 2023 Date Kab Hai: 2023 में गुड़ी पड़वा कब है और क्यों मनाया जाता है? जानिए महत्व-पूजा विधि
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सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Gudi Padwa 2023 Kab Hai:

2023 में गुड़ी पड़वा कब है

चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से नववर्ष का आरंभ होता है। इसी दिन हर साल गुड़ी पड़वा का त्योहार भी मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र का मुख्य पर्व है। गुड़ी अर्थात विजय पताका (ध्वज) और प्रतिपदा तिथि को पड़वा कहा जाता है। इस तिथि को 'नवसंवत्सर' भी कहते हैं।गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) के दिन से ही लोग नये साल की शुरुआत मानते हैं। इस दिन लोग नयी फसल की पूजा करते हैं। गुड़ी पड़वा के दिन हिन्दू नववर्ष की शुरूआत माना जाता है। चैत्र मास (chaitra maas) की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहा जाता है। हर साल गुड़ी पड़वा चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 22 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु व ब्रह्मा जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। घरों में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं।

गुड़ी पड़वा का महत्व और पूजा विधि

गुड़ी पड़वा चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 मार्च 2023 को रात 10 बजकर 52 मिनट से आरंभ होगी और अगले दिन 22 मार्च 2023 को रात 8 बजकर 20 मिनट पर इसका समापन होगा। उदयातिथि के अनुसार गुड़ी पड़वा 22 मार्च 2023 को है।पूजा मुहूर्त - सुबह 06.29 - सुबह 07.39 (22 मार्च 2023)

गुड़ी पड़वा के दिन सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि किया जाता है। इसके बाद मेन दरवाजे को आम के पत्तों से सजाया जाता है। इसके बाद घर के एक हिस्से में गुड़ी लगाई जाती है। इसे आम के पत्तों, पुष्प और कपड़े आदि से सजाया जाता है। इसके बाद भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है और गुड़ी फहराते हैं। गुड़ी फहराने के बाद भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

अलग-अलग राज्यों में उगादी, युगादी, छेती चांद आदि नामों से मनाया जाता है। इस दिन को मणिपुर में भी मनाया जाता है। इस दिन सोना, वाहन या मकान की खरीद या किसी काम की शुरुआत करना शुभ माना जाता है।

गुड़ी पड़वा कहाँ मनाया जाता है?

गुड़ी पड़वा आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में 'उगादि' और महाराष्ट्र में यह पर्व 'ग़ुड़ी पड़वा' के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ होता है। खासकर महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं। इस त्योहार के दिन पूरन पोली और श्रीखंड मनाया जाता है। इसके अलावा मीठे चावल बनाएं जाते हैं। जिसे शक्कर भात कहते हैं। अधिकतर लोग इस दिन कड़वे नीम की पत्तियों को खाकर दिन की शुरूआत करते हैं। कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा पर ऐसा करने से खून साफ होता है और शरीर मजबूत बनता है।

गुड़ी पड़वा कब मनाया जाता है

गुड़ी का अर्थ 'विजय पताका' होता है। कहते हैं शालिवाहन ने मिट्टी के सैनिकों की सेना से प्रभावी शत्रुओं (शक) को पराजित किया। इस विजय के प्रतीक रूप में शालिवाहन शक का प्रारंभ इसी दिन से होता है। 'युग' और 'आदि' शब्दों की संधि से बना है 'युगादि'। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में 'उगादि' और महाराष्ट्र में यह पर्व 'ग़ुड़ी पड़वा' के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ होता है।

पौराणिक मान्यता अनुसार, प्रतिपदा तिथि के दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसलिए इस दिन भगवान ब्रह्मा की पूजा का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा के दिन सभी बुराइयों का अंत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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