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Hanuman Jayanti Puja Panchmukhi Hanuman: जानिए हनुमान जी ने क्यों लिया था पंचमुखी अवतार, इनकी पूजा से क्या होगा लाभ
Hanuman Jayanti Puja Panchmukhi Hanuman: हनुमान जयंती पर इनके किसी भी रुप का गुणगान किया जाय, हनुमान जी की कृपा अपने भक्तों पर सदा बरसती है।हनुमान जी को भक्त शिरोमणि कहते हैं । वो अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं। लेकिन अगर हनुमान जी की पंचमुखी अवतार की पूजा की जाये तो उनकी कृपा जल्द बरसती है।
Hanuman Jayanti Puja Panchmukhi Hanuman
हनुमान जयंती पर पंचमुखी हनुमान की पूजा
आज 16 अप्रैल 2022 शनिवार ( Saturday) को कलयुग के देवता अंजनी पुत्र हनुमान ( lord Hanuman) जी जयंती है। हनुमान जी को कलयुग का देवता कहा जाता है। कहते हैं की उनको अमर होने का वरदान मिला है। वो साक्षात भक्तवत्सल है। कहते हैं जो भी व्यक्ति हनुमान जी की पूजा अर्चना सच्चे हृदय से करता है और अगर उस भक्त की भक्ति सच्ची हुई तो उसे साक्षात हनुमान जी के दर्शन होते हैं।
वैसे हनुमान जी के किसी भी रुप का गुणगान किया जाये उनकी कृपा अपने भक्तों पर सदा बरसती है।हनुमान जी को भक्त शिरोमणि कहते हैं । वो अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं। लेकिन अगर हनुमान जी की पंचमुखी अवतार की पूजा की जाये तो उनकी कृपा जल्द बरसती है।हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti )के दिन हनुमान जी की तस्वीर घर के मुख्य द्वार में लगाने से सभी तरह के सुख और आनंद की प्राप्ति होती है।
पंचमुखी हनुमान में कौन कौन से भगवान
हनुमानजी के पंचमुखी अवतार में पहला मुख वानर, दूसरा गरूड़, तीसरा वराह, चौथा अश्व और पांचवां नृसिंह का मुख है। पंचमुखी रूप द्वारा हनुमान जी अपने भक्तो के सभी दुखों को दूर करते हैं और हर मुख का अपना अलग महत्व है। पहले वानर मुख से सारे दुश्मनों पर विजय मिलती है। दूसरे गरुड़ मुख से सारी परेशानियां दूर होती हैं।मान्यता है कि जिस घर में हनुमान की पंचमुखी तस्वीर होती है, उस घर में कभी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती. पंचमुखी तस्वीर लगाने से घर पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।हनुमान जी का पांच मुख वाला विराट रूप यानी पंचमुखी अवतार पांच दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है। प्रत्येक स्वरूप में एक मुख, त्रिनेत्र और दो भुजाएं हैं। इन पांच मुखों में नरसिंह, गरुड़, अश्व, वानर और वराह रूप हैं।
हनुमान जी ने क्यों लिया था पंचमुखी अवतार
धर्मानुसार,हनुमान जी ने अहिरावण के वध के लिए पंचमुखी अवतार लिया था। अहिरावण ने 5 दिशा में 5 दिये जलाये थे। उसे वरदान था कि जब तक एक साथ ये पांच दिये नहीं बुझेंगे अहिरावण की मृत्यु नहीं होगी। तब अहिरावण की इसी माया को सामाप्त करने के लिए हनुमान जी ने पांच दिशाओं में मुख किए और पंचमुखी हनुमान का अवतार लिया और पांचों दीपक को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध किया। हनुमान जी के पंचमुखी रूप धारण करने के पीछे एक कथा प्रचलित है जिसके मुताबिक जब राम के साथ युद्ध में रावण को अपनी हार का आभास हुआ तो उसने अपने भाई अहिरावण से मदद मांगी। तब अहिरावण ने माया जाल से श्रीराम की पूरी सेना को सुला दिया और राम-लक्ष्मण को बंधक बनाकर पाताल लोक में लेकर चला गया। जब सभी को होश आया तो विभीषण इस पूरी चाल को समझ गए और उन्होंने हनुमानजी को पाताल लोक जाने को कहा। इसके बाद हनुमान जी श्रीराम और लक्ष्मण की तलाश में पाताललोक जा पहुंचे थे जहां उन्होंने सबसे पहले मकरध्वज को हराया और फिर अहिरावण से भिड़ने जा पहुंचे लेकिन अहिरावण ने 5 दिशाओं में दीए जला रखे थे तब ऐसी परिस्थिति देख हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया था और दीए बुझाकर अहिरावण का वध कर दिया था। इन पंच मुखों में उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख और पूर्व दिशा में हनुमान मुख है।
पंचमुखी हनुमान जी को करें इस मंत्र से प्रसन्न
हं हनुमंते नम।
हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबल:।
अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते।।
ऊं हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट।
ऊं नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा।
ऊं नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा ।।
पंचमुखी हनुमान की पूजा विधि और लाभ
हनुमान जयंती के दिन सुबह स्नादि से निवृत होने के बाद लाल फूल या लाल गुलाब, चमेली के तेल में मिला सिंदूर लगाएं, चमेली का तेल, अक्षत्, धूप, गंध, दीप आदि अर्पित कर चने और गुड़ का भोग लगाएं। पूजा के बाद वहीं बैठ कर हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, श्रीराम स्तुति का पाठ करें। इसके बाद पंचमुखी हनुमान की आरती करें और अपने कष्ट या मनोकामना करें।
हनुमान जयंती के दिन पूजा सुबह ही करें पंचमुखी हनुमान जी पूजा में सिंदूर अथवा लाल कपड़े का चोला सुबह ही चढ़ाएं।।
उनको प्रसाद के रूप में मालपुआ, लड्डू, हलुआ, चूरमा, केला, अमरूद आदि का भोग लगाएं। गाय के घी के दीपक को अर्पित करें। दोपहर तक कोई भी नमकीन चीज न खाएं। ऊर्जा उत्साह और बल प्राप्त करने के लिए हनुमान चालीसा, सुंदर काण्ड का पाठ करें। पूजन में लाल व पीले वस्त्र, केसरयुक्त चंदन, मूंज की यज्ञोपवीत, विशेष शुभ प्रभावी होते हैं।
पंचमुखी हनुमान जी की पूजा का अत्यंत लाभ मिलता है। कहते हैं अगर घर में पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा या तस्वीर लगाकर पूजा की जाए तो मंगल, शनि, पितृ व भूत दोष से मुक्ति मिल जाती है। लेकिन ध्यान रखें कि यह प्रतिमा या तस्वीर दक्षिण दिशा में ही लगानी चाहिए। साथ ही इनकी पूजा से जीवन में आने वाले हर तरह के संकट दूर हो जाते हैं।
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