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यहां मां अंजनी ने किया था 360 तालाब में स्नान, तब लिए जन्म बजरंगबली हनुमान

suman
Published on: 18 April 2019 2:25 AM GMT
यहां मां अंजनी ने किया था 360 तालाब में स्नान, तब लिए जन्म बजरंगबली हनुमान
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गुमला: झारखंड की राजधानी रांची से 140 किमी की दूरी और गुमला जिले से करीब 22 किमी की दूरी पर है पवन पुत्र हनुमान की जन्मस्थली। कहा जाता है कि माता अंजनी यहीं निवास करती थीं और उनके नाम पर ही इस गांव का नाम आंजन पड़ा। गांव से 6 किमी दूर 1500 फीट ऊंची पहाड़ी पर मंदिर है, जिसमें माता अंजनी की गोद में बाल स्वरूप पवन पुत्र हनुमान हैं। यहां माता अंजनी और बजरंग बली की पूजा-अर्चना एक साथ होती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस पहाड़ी पर मंदिर बना है, वहां पर एक गुफा में माता अंजनी ने भगवान हनुमान को रुद्र स्वरूप में जन्म दिया था। साल 1953 में आंजन पहाड़ी पर श्रद्धालुओं ने मंदिर का निर्माण कराया। ग्रामीणों के मुताबिक प्राचीन काल में गांव में 360 तालाब और इतने ही शिवलिंग थे। माता अंजनी प्रतिदिन तालाब में स्नान करने के बाद सभी शिवलिंगों की पूजा अर्चना करती थीं।

इलाके के आदिवासी समुदाय के लोग माता अंजनी और भगवान हनुमान के अन्नय भक्त थे। एक दिन उन्होंने माता अंजनी को प्रसन्न करने के लिए बकरे की बलि दी। माता ने इससे नाराज होकर अपने को गुफा में बंद कर लिया। इस गुफा के द्वार के समीप माता अंजनी की प्रतिमा स्थापित है। मान्यता है कि यहां उनकी पूजा अर्चना बहुत फलदायी और पुत्रदायी भी है।

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यहां लोगों में हनुमान के प्रति आस्था

रामनवमी और हनुमान जयंती के मौके पर आंजन धाम में विशेष पूजा अर्चना होती है। इस दिन बहुत श्रद्धालु पहुंचते हैं। आदिवासी आबादी वाले इस क्षेत्र में भगवान हनुमान के प्रति लोगों में गहरी आस्था है। रामनवमी के मौके पर यहां तीन दिन का मेला लगता है, जिसमें कई गांवों के श्रद्धालु महावीरी पताके और ढोल नगाड़ें के साथ पहुंचते हैं और पूरी भक्ति भाव से पवन पुत्र की अराधना करते हैं।

आंजन गांव में बना है नया मंदिर

आंजन धाम में पुराना मंदिर पहाड़ी पर स्थित है। कुछ साल पहले तक यहां पहुंचने में श्रद्धालुओं को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इसी वजह से यहां माता अंजनी का नया मंदिर बनवाया गया। श्रद्धालुओं के पूजा अर्चना के लिए मंदिर के पट्ट एकदम सुबह ही खोल दिए जाते हैं। फिर दोपहर में इसे बंद कर दिया जाता है और अपराहन 3 बजे से मंदिर का पट्ट श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है।

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