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Hanumanji Ki Janam Katha: हनुमान जी कौन है? कहां हुआ था उनका जन्म, जानिए उनसे जुड़ी सारी मान्यताएँ
Hanumanji Ki Janam Katha: हनुमान जयंती 6 अप्रैल को मनाई जायेगी, हनुमान जी के माता-पिता कौन है, उनका जन्म कहां हुआ था, किसके अवतार है हनुमान जी जानिए....
Hanumanji Ki Janam Katha: बजरंगबली का जन्म चैत्र पूर्णिमा को चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था। हनुमानजी के पिता सुमेरू पर्वत के वानरराज राजा केसरी थे और माता अंजनी थी। हनुमान जी को पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है और उनके पिता वायु देव भी माने जाते है। राजस्थान के सालासर व मेहंदीपुर धाम में इनके विशाल एवं भव्य मन्दिर हैं।पुंजिकस्थली देवराज इन्द्र की सभा में एक अप्सरा थीं। एक बार जब दुर्वासा ऋषि इन्द्र की सभा में उपस्थित थे, तब अप्सरा पुंजिकस्थली बार-बार अंदर-बाहर आ-जा रही थीं। इससे गुस्सा होकर ऋषि दुर्वासा ने उन्हें वानरी हो जाने का शाप दे दिया। पुंजिकस्थली ने क्षमा मांगी, तो ऋषि ने इच्छानुसार रूप धारण करने का वर भी दिया। कुछ वर्षों बाद पुंजिकस्थली ने वानर श्रेष्ठ विरज की पत्नी के गर्भ से वानरी रूप में जन्म लिया। उनका नाम अंजनी रखा गया। विवाह योग्य होने पर पिता ने अपनी सुंदर पुत्री का विवाह महान पराक्रमी कपि शिरोमणी वानरराज केसरी से कर दिया। इस रूप में पुंजिकस्थली माता अंजनी कहलाईं।
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हनुमान जी के रूप में भगवान रूद्र का अवतार
एक बार घूमते हुए वानरराज केसरी प्रभास तीर्थ के निकट पहुंचे। उन्होंने देखा कि बहुत-से ऋषि वहां आए हुए हैं। कुछ साधु किनारे पर आसन लगाकर पूजा अर्चना कर रहे थे। उसी समय वहां एक विशाल हाथी आ गया और उसने ऋषियों को मारना प्रारंभ कर दिया।ऋषि भारद्वाज आसन पर शांत होकर बैठे थे, तभी वह दुष्ट हाथी उनकी ओर भी झपटा। पास के पर्वत शिखर से केसरी ने हाथी को यूं उत्पात मचाते देखा तो उन्होंने बलपूर्वक उसके बड़े-बड़े दांत उखाड़ दिए और उसे मार डाला। हाथी के मारे जाने पर प्रसन्न होकर ऋर्षियों ने कहा, 'वर मांगो वानरराज।' केसरी ने वरदान मांगा, ' प्रभु , इच्छानुसार रूप धारण करने वाला, पवन के समान पराक्रमी तथा रुद्र के समान पुत्र आप मुझे प्रदान करें।' ऋषियों ने 'तथास्तु' कहा और वो चले गए। इसके बाद वानरराज केसरी के क्षेत्र में भगवान रुद्र ने स्वयं अवतार धारण किया। इस तरह श्रीरामदूत हनुमानजी ने वानरराज केसरी के यहां जन्म लिया।एक समय ऐसा भी आया था जब हनुमान जी को भगवान श्री राम के साथ भी युद्ध करना पड़ा था।
हनुमान जी से जुड़ी मान्यताएं
एक बार की बात है गुरु विश्वामित्र श्री राम से मिलने आए थे लेकिन किसी वजह से वह हनुमानजी से नाराज हो गए और उन्होंने श्री राम को हनुमान को मारने के लिए कहा। राम क्योंकि वह गुरु की आज्ञा नहीं टाल सकते थे, इसलिए उन्होंने अपने भक्त पर प्रहार किए लेकिन इस दौरान हनुमान, राम नाम जपते रहे जिसके चलते उनके ऊपर किसी प्रहार का प्रभाव नहीं हुआ और सारे शस्त्र विफल हो गए। हनुमान पवन पुत्र हैं और महाभारत काल में कुंती ने भी पवनदेव के माध्यम से ही भीम को जन्म दिया था। इस तरह से भीम औऱ हनुमान जी भाई माने जाते हैं। सबसे पहले विभीषण ने हनुमानजी की शरण में आने के लिए उनकी स्तुति की थी और एक बहुत ही अद्भुत और अचूक स्तोत्र की रचना की थी। हनुमान जी रामायण के प्रथम लेखक भी माने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार उन्होनें हिमालय पर जाकर उस पर अपने नाखूनों से रामायण लिखी थी। जब बाल्मीकि जी हिमालय पर गए तो उन्हें वहां पर पहले से ही लिखी हुई रामायण मिली। हनुमान जी ने अपने पूरे जीवन ब्रह्मचार्य व्रत का पालन किया था। लेकिन एक मछली के गर्भ में उनकी पसीनें की बूंद जाने से कि उन्हीं के स्वरुप जैसा उनका पुत्र मकरध्वज भी हुआ था।
हनुमानजी का जन्मस्थान
झारखंड में राजधानी रांची से 140 किमी की दूर गुमला जिले से करीब 22 किमी की दूरी पर पवन पुत्र हनुमान की जन्मस्थली का प्रमाण मिलता है। कहा जाता है कि माता अंजनी यहीं निवास करती थीं और उनके नाम पर ही इस गांव का नाम आंजन पड़ा। गांव से 6 किमी दूर 1500 फीट ऊंची पहाड़ी पर मंदिर है, जिसमें माता अंजनी की गोद में बाल स्वरूप पवन पुत्र हनुमान हैं। यहां माता अंजनी और बजरंग बली की पूजा-अर्चना एक साथ होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस पहाड़ी पर मंदिर बना है, वहां पर एक गुफा में माता अंजनी ने भगवान हनुमान को रुद्र स्वरूप में जन्म दिया था। साल 1953 में आंजन पहाड़ी पर श्रद्धालुओं ने मंदिर का निर्माण कराया। ग्रामीणों के मुताबिक प्राचीन काल में गांव में 360 तालाब और इतने ही शिवलिंग थे। माता अंजनी प्रतिदिन तालाब में स्नान करने के बाद सभी शिवलिंगों की पूजा अर्चना करती थीं।
इलाके के आदिवासी समुदाय के लोग माता अंजनी और भगवान हनुमान के अन्नय भक्त थे। एक दिन उन्होंने माता अंजनी को प्रसन्न करने के लिए बकरे की बलि दी। माता ने इससे नाराज होकर अपने को गुफा में बंद कर लिया। इस गुफा के द्वार के समीप माता अंजनी की प्रतिमा स्थापित है। मान्यता है कि यहां उनकी पूजा अर्चना बहुत फलदायी और पुत्रदायी भी है।
आंजन गांव में बना है नया मंदिर
आंजन धाम में पुराना मंदिर पहाड़ी पर स्थित है। कुछ साल पहले तक यहां पहुंचने में श्रद्धालुओं को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इसी वजह से यहां माता अंजनी का नया मंदिर बनवाया गया। श्रद्धालुओं के पूजा अर्चना के लिए मंदिर के पट्ट एकदम सुबह ही खोल दिए जाते हैं। फिर दोपहर में इसे बंद कर दिया जाता है और अपराहन 3 बजे से मंदिर का पट्ट श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है।