Hartalika Teej Samagri: इन मंत्रों और सामग्रियों के बिना अधूरा है हर तालिका तीज व्रत, इस दिन जरूर सुने यह कथा बना रहेगा सुहाग

Hartalika Teej Samagri: हरतालिका तीज पर सुहागिन स्त्रियां पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए निर्जला रहकर व्रत रखती हैं। महिलाएं सोलह श्रृंगार के साथ इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करती हैं।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 30 Aug 2022 1:53 AM GMT (Updated on: 30 Aug 2022 1:53 AM GMT)
Hartalika Teej Samagari
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सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Hartalika Teej Samagari

हर तालिका तीज सामग्री

हर तालिका व्रत को मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रुप में प्राप्ति के लिए किया था। हजारों हजार साल के कठोर तप के बाद मां पार्वती को भगवान शिव की प्राप्ति हुई थी। इस साल हर तालिका तीज का व्रत 30 अगस्त 2022 दिन मंगलवार को है।

हरतालिका तीज व्रत की पूजा के लिए मूर्ति बनाने के लिए गीली काली मिट्टी, बेलपत्र, केले का पत्‍ता, पान, फूल, फल, बताशे, मेवा, कपूर, कुमकुम आदि की आवश्‍यकता होती है। प्रतिमा को स्‍थापित करने के लिए लकड़ी का पाटा, पीला कपड़ा, पूजा के लिए नारियल और माता के लिए चुनरी चाहिए होती है।

हरतालिका तीज की पूजा में मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री, वस्त्र के साथ भगवान शिव के लिए फूल धतूरा बेल पत्र चढ़ाया जाता है। जानते हैं हरितालिका तीज की षोड्षोपचार पूजा में कौन-कौन सी सामग्री चढ़ाई जाती है।....

शमी का पत्ता, केले का पत्ता, धतूरे का फल-फूल, आक का फूल, जनेऊ, नाड़ा, वस्त्र, फल एवं फूल पत्ते, श्रीफल, कलश, अबीर, चंदन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, फुलहरा विशेष प्रकार की 16 पत्तियां, सुहाग का सामान, लाल रंग के फूल और लाल फूलों की माला काजल,चूड़ियां, मेंहदी, सिंदूर, बिंदी, महावर, बिछिया, शीशा, कंघी , शिव जी के लिए वस्त्र दही, चीनी, शहद, गंगाजल, गाय का गोबर, पंचगव्य आदि 2 सुहाग पिटारा रखा जाता है।

हर तालिका तीज पूजा में इन मंत्रों का जाप करें

ॐ उमाये नमः।

ॐ पार्वत्यै नमः।

ॐ जगद्धात्रयै नमः।

ॐ जगत्प्रतिष्ठायै नमः।

ॐ शांतिरूपिण्यै नमः।

ॐ शिवाय नमः।

ॐ हराय नमः।

ॐ महेश्वराय नमः।

ॐ शम्भवे नमः।

ॐ शूलपाणये नमः।

ॐ पिनाकवृषेनमः।

ॐ पशुपतये नमः।

पार्वती-शिव को प्रसन्न किया जाता है।

हर तालिका व्रत पूजा विधि

हरतालिका तीज पर सुहागिन स्त्रियां पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए निर्जला रहकर व्रत रखती हैं। महिलाएं सोलह श्रृंगार के साथ इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करती हैं। मिट्टी बालू से शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाकर व्रत रखती है। सखियों द्वारा हरित मां पार्वती ने इस कठोर व्रत को किया था, इस व्रत के फलस्वरुप ही माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रुप में पाया था। हर तालिका तीज पर स्त्रियां निर्जला व्रत रख घर की सुख शांति और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। इस दिन सुबह की पूजा के बाद महिलाएं सोलह ऋंगार कर प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की विधि विधान से पूजा करती हैं।

इस दिन सुबह स्नादि के बाद भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की नियमित रूप से पूजा कर निर्जला व्रत का संकल्प लें। सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती की बालू या काली मिट्‌टी से प्रतिमा बनाएं। पूजा की चौकी या पूजा की बड़ी थाल में भगवान गणेश जी की पूजा करें। भगवान शिव और मां पार्वती का षोडशोपचार विधि से पूजन करें। भगवान शिव को वस्त्र और देवी पार्वती को सुहाग की सभी वस्तुएं अर्पित करें। पूजा के बाद इन वस्तुओं को ब्राह्मण को दान कर दें।

हर तालिका तीज व्रत कथा सुनें और आरती कर रात्रि जागरण करें। इस दौरान पूरी रात जाग कर देवी-देवताओं के भजन कीर्तन करना चाहिए। अगले दिन सुबह स्नान के बाद पूजा-आरती करने के बाद जल ग्रहण करके ही व्रत का पारण किया जाता है।हर तालिका तीज व्रत कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। शास्त्रों में विधवा महिलाओं को भी यह व्रत रखने की आज्ञा है।

हर तालिका तीज की कथा

हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार माँ पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हिमालय पर गंगा के तट पर अपनी बाल्यावस्था में अधोमुखी होकर घोर तप किया। इस दौरान उन्होंने अन्न का सेवन नहीं किया। काफी समय सूखे पत्ते चबाकर ही काटे और फिर कई वर्षों तक उन्होंने केवल हवा ही ग्रहण कर जीवन व्यतीत किया। माता पार्वती की यह स्थिति देखकर उनके पिता अत्यंत दुःखी थे।

इसी दौरान एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वतीजी के विवाह का प्रस्ताव लेकर माँ पार्वती के पिता के पास पहुँचे जिसे उन्होंने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया। पिता ने जब बेटी पार्वती को उनके विवाह की बात बतलाई तो वे बहुत दु:खी हो गईं और जोर-जोर से विलाप करने लगीं।

फिर एक सखी के पूछने पर माता ने उसे बताया कि वे यह कठोर व्रत भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कर रही हैं, जबकि उनके पिता उनका विवाह श्री विष्णु से कराना चाहते हैं। तब सहेली की सलाह पर माता पार्वती घने वन में चली गईं और वहाँ एक गुफा में जाकर भगवान शिव की आराधना में लीन हो गईं। माँ पार्वती के इस तपस्वनी रूप को नवरात्रि के दौरान माता शैलपुत्री के नाम से पूजा जाता है।

भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि के हस्त नक्षत्र मे माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की स्तुति में लीन होकर रात्रि जागरण किया। तब माता के इस कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और इच्छानुसार उनको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।

मान्यता है कि इस दिन जो महिलाएं विधि-विधानपूर्वक और पूर्ण निष्ठा से इस व्रत को करती हैं, वे अपने मन के अनुरूप पति को प्राप्त करतीं हैं। साथ ही यह पर्व दांपत्य जीवन में खुशी बनाए रखने के उद्देश्य से भी मनाया जाता है। तभी से अच्छे पति की कामना और पति की दीर्घायु के लिए कुंवारी कन्या और सौभाग्यवती स्त्रियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

हरतालिका तीज का व्रत शुभ मुहूर्त

इस दिन हस्त 11:49 PM तक और चित्रा नक्षत्र और शुभ योग 12:04 AM तक, उसके बाद शुक्ल योग में हरितालिका तीज की पूजा होगी। चन्द्रमा कन्या उपरांत तुला राशि में रहेंगे।

हरतालिका तीज व्रत - 30 अगस्त 2022 को भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का आरंभ- 29 अगस्त 2022 सोमवार, दोपहर 03.20 बजे से भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समापन- 30 अगस्त 2022 मंगलवार,दोपहर 03.33 बजे तक सुबह का शुभ मुहूर्त- 30 अगस्त 2022, सुबह 06.05- 08.38 बजे तक प्रदोष काल मुहूर्त - 30 अगस्त 2022, शाम 06.33 रात 08.51 रहेगा। पारणा- 31 अगस्त 05.09 AM से 08.56 AM का समय है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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