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Havan Kya Hota Hai: हवन क्या होता है, नवरात्रि में इसका क्या महत्व है, जानिए कैसे किससे क्यों करते हैं ?

Havan Kya Hota Hai हवन एक प्राचीन धार्मिक प्रथा है जो भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसमें विशेष रूप से ध्यान, मंत्रचालन, और अग्नि के द्वारा साधना किया जाता है। हवन का मुख्य उद्देश्य देवताओं को आनंदित करना और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना होता है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 13 April 2024 8:45 AM GMT (Updated on: 13 April 2024 8:46 AM GMT)
Havan Kya Hota Hai: हवन क्या होता है, नवरात्रि में इसका क्या महत्व है, जानिए कैसे किससे क्यों करते हैं ?
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Havan Kya Hota: प्राचीन भारतीय परंपरा में यज्ञ या वहन किए जाने की परंपरा चली आ रही है। हवन एक प्राचीन हिंदू धार्मिक प्रथा है जो वेदों में उल्लेखित है। यह संस्कृत में "हव्य" और "अन" शब्दों से निर्मित है, जिसका अर्थ होता है "अग्नि को अर्पित करना"। हवन का मुख्य उद्देश्य देवताओं को यज्ञ के माध्यम से यज्ञफल प्रदान करना है, जिसके माध्यम से धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। नवरात्रि के अवसर पर हवन का महत्व विशेष रूप से बढ़ जाता है। नवरात्रि, नौ दिनों तक चलने वाला पावन पर्व है जिसमें देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। हवन करने से पहले शुभ मुहूर्त का चयन किया जाता है।

नवरात्रि में हवन का महत्व

नवरात्रि में हवन करने से व्यक्ति का आत्मा और मन शुद्ध होता है। यह आत्मिक ऊर्जा को बढ़ावा देता है और विचारों को पवित्र बनाता है। हवन करने से व्यक्ति की भविष्यवाणी में भी सुधार होता है, और समस्त बुराईयों से मुक्ति प्राप्त होती है। इसके अलावा, नवरात्रि के दौरान हवन करने से समाज में सामंजस्य और शांति बनी रहती है।

नवरात्रि के दिनों में धर्मिक अनुष्ठान करने का महत्व अधिक होता है क्योंकि इस समय पर्व में मान्यता है कि देवी दुर्गा अपने भक्तों की पूजा को विशेष रूप से प्राप्त करती हैं। हवन करने से भक्त अपने कर्मों को शुद्ध करता है और ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त करता है।

समाज में नवरात्रि के दौरान हवन का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग सामूहिक रूप से भाग लेते हैं और सामूहिक रूप से परमात्मा की पूजा करते हैं। इसके अलावा, धार्मिक ग्रंथों के पाठ के साथ-साथ संगीत और भजनों का आयोजन भी किया जाता है, जो आत्मिक और मानसिक शांति का अनुभव कराता है।

समाप्त में, नवरात्रि में हवन का महत्व अत्यंत उच्च है। यह धार्मिक और सामाजिक संघर्षों को पराजित करता है, आत्मिक ऊर्जा को बढ़ावा देता है, और समाज में शांति और समाधान की स्थिति स्थापित करता है आज भी पूजा के समापन या विशेष अवसरों पर हवन किए जाने की परंपरा है। खासकर नवरात्रि के अंतिम दिन या किसी देवी या देवता के प्रकटोत्सव पर हवन किया जाता है। किसी गुरु की जयंती पर भी हवन किया जाता है। आखिर हवन या यज्ञ करने का क्या है वैज्ञानिक महत्व और क्या होगा होम करने से फायदा।

हवन में क्या समान चाहिए

हवन सामग्री : हवन में खासकर आक, ढाक, कत्था, चिरचिटा, पीपल, आम, गूलर, जांड, दूब, कुशा, नीम, पलाश, चंदन, अश्वगंधा, ब्राह्मी, मुलैठी की जड़ आदि का होम किया जाता है। इसके अलावा गुड़, घी, तिल, जौ, कर्पूर, गूगल, चावल, शक्कर, लौंग, इलायची, अगर, तगर, नागर मोथा, बालछड़, छाड़छबीला आदि कई समग्री डाली जाती है। मुख्यत: आम, बड़, पीपल, ढाक, जांटी, जामुन और शमी से हवन किया जाता है।

पांच प्रकार के यज्ञ : ब्रह्मयज्ञ (ईश्वर उपासना, ऋषि संत्संग), देवयज्ञ (देव पूजा और अग्निहोत्र कर्म), पितृयज्ञ (श्राद्ध कर्म), वैश्वदेवयज्ञ (प्राणियों को अन्न जल देना), अतिथि यज्ञ (मेहमानों की सेवा करना) इसमें से देवयज्ञ में ही हवन आदि कर्म किया जाता है।

हवन का वैज्ञानिक महत्व

नवरात्रि में हवन-पूजन का बहुत महत्व है। हवन पूजन से ही मां भगवती की पूजा सफल होती है। कोई भी पूजा और मंत्र का जप बिना हवन के अपूर्ण है। किसी भी वैदिक पूजा में विधि-विधान से हवन करना आवश्यक है। ग्रहों के बीज मंत्र की निश्चित संख्या होती है। नवरात्र में माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए दुर्गासप्तशती के विभिन्न मंत्रों से माता को प्रसन्न करने के लिए हवन करते हैं। नवरात्रि में नौदुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा होती है। अंत में कन्या पूजन और हवन के साथ नवरात्रि समाप्त हो जाते हैं। इसलिए हवन करने में पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।हवन करने का एक पूरा विधि-विधान है।

हवन में डाले जाने वाले घी और गुड़ से ऑक्सिजन का निर्माण होता है। हवन से जो धुआं निकलता है उससे वायुमंडल शुद्ध होता है। माना जाता है कि हवन में 94 प्रतिशत हानिकारक जीवाणु नष्ट करने की क्षमता होती है। फ्रांस के ट्रेले नामक वैज्ञानिक ने हवन पर शोध करके यह बताया कि हवन में जलने वाली है।आम की लकड़ी फ़ॉर्मिक एल्डिहाइड नामक गैस उत्पन्न करती है जो खतरनाक विषाणु और जीवाणुओं को मारती है तथा वातावरण को शुद्ध करती है। गुड़ को जलाने पर भी ये गैस उत्पन्न होती है।

टौटीक नामक वैज्ञानिक ने हवन पर की गयी अपनी रिसर्च में ये पाया कि यदि आधे घंटे हवन में बैठा जाए अथवा हवन के धुएं से शरीर का स्पर्श हो तो टाइफाइड जैसे खतरनाक रोग फ़ैलाने वाले जीवाणु भी मर जाते हैं और शरीर शुद्ध हो जाता है। हवन की महत्ता देखते हुए राष्ट्रीय वनस्पति अनुसन्धान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों ने भी इस पर एक रिसर्च करके पाया कि यह विषाणु और जीवाणु नाशक है। विभिन्न प्रकार के धुएं पर किए गए शोधानुसार सिर्फ आम की 1 किलो लकड़ी जलाने से हवा में मौजूद विषाणु बहुत कम नहीं हुए लेकिन जैसे ही उसके ऊपर आधा किलो हवन सामग्री डालकर जलायी गयी तो एक घंटे के भीतर ही कक्ष में मौजूद बैक्टीरिया का स्तर 94 प्रतिशत कम हो गया। कक्ष के दरवाज़े खोले जाने और सारा धुआं बाहर निकल जाने के 24 घंटे बाद भी जीवाणुओं का स्तर सामान्य से 96 प्रतिशत कम था। इस धुएं का असर करीब एक माह तक रहता है।

नवरात्रि में ऐसे करें हवन

हवन पूजन विधि देवी स्थापना या माता की चौकी के पास हवन कुण्ड बनाना चाहिए। नौदिनों माता के व्रती रहने वाले श्रद्धालुओं को पूजन सामग्री के साथ उपासना करनी चाहिए। देवी की मूर्ति रखकर हवन शुरू करवाना चाहिए। आम की लकड़ी आमतौर पर हवन हेतु प्रयोग की जाती है। हवन की सम्पूर्ण सामाग्री होनी चाहिए। जौ का प्रयोग नवरात्र के हवन में अवश्य करना चाहिए। तिल के प्रयोग से आध्यात्मिक उत्कर्ष एवं कष्टों का शमन होता है। गुड़ का प्रयोग मंगल और सूर्य ग्रह को प्रसन्न करने के लिए है। चीनी चंद्रमा और शुक्र के लिए है। गाय के ही घी का प्रयोग करें। घी अग्नि का मित्र और शुक्र का प्रतीक है। सूखे हवन वाले नारियल का प्रयोग अंत में करते हैं। इस पर घी का लेपन करके अग्नि को समर्पित करते हैं। हवन नवरात्रि पूजा की परिपूर्णता है। माना जाता है कि इससे माता प्रसन्न होती हैं और ग्रहों को भोजन मिलता है। एक विशेष बात, तांत्रिक पूजा के हवन की विधि और द्रव्य वैदिक पूजा से अलग होते हैं। दुर्गासप्तशती में सप्तश्लोकी दुर्गा में वर्णित मंत्रों से हवन अवश्य करें।

हवन के समय मंत्र जाप

हवन करते हुए बीज मंत्र- ॐ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः को जोर-जोर से उच्चारण करें...।

नवरात्रि में इस मंंत्र से मां से सौभाग्य प्राप्ति की उपासना करें-

देहि सौभाग्य मारोग्यम देहिमें परमम सुखम, रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि। इस महामंत्र में सभी मनोकामनाएं सन्निहित हैं। श्री रामचरितमानस के किसी भी मंत्र से भी हवन कर सकते हैं। नवरात्र में ब्रह्ममुहूर्त में श्री राम रक्षा स्तोत्र में वर्णित किसी भी मंत्र से हवन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की स्तुति करें। इन नौ दिनों में सौ गुना फल की प्राप्ति होती है।

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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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