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Hindu Nav Varsh 2022: चैत्र नवरात्रि के दिन से शुरू होगा नया साल, जानिए विक्रम संवत 2079 की खासियत और पौराणिक महत्व

Hindu Nav Varsh 2022 : 2 अप्रैल से हिंदू नववर्ष विक्रम संवता 2079 की शुरुआत हो रही है। इस साल के संवत का नाम, इसके राजा, मंत्री कौन है। इन सबसे जुड़ी जानकारी इस खबर में मिलेगी।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 1 April 2022 10:53 AM IST (Updated on: 1 April 2022 10:54 AM IST)
Hindu Nav Varsh 2022
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सांकेतिक तस्वीर, सौ.से सोशल मीडिया

Hindu Nav Varsh 2022

विक्रम संवत हिंदू नववर्ष 2022

नवरात्रि ( Navratri) के पहले दिन से ही हिंदू नववर्ष ( Hindu New Year).. की शुरुआत होती है। हिंदू नववर्ष का आरंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। संवत्सर का मतलब 12 महीने की काल अवधि है। शास्त्रों के अनुसार है। इस बार नव संवत्सर के राजा शनिदेव होंगे, जबकि मंत्री गुरु रहेंगे। शनि और गुरु के प्रभाव से हर तरफ हलचल होने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय मतभेद ,महंगाई बढ़ने के साथ ही अर्थव्यवस्था बिगड़ने के भी आसार दिखाई दे रहे हैं। इस साल शनि की मकर राशि में मंगल के साथ युति तथा रेवती नक्षत्र में नए वर्ष का प्रारंभ और शनि के आपस में ताल-मेल के अभाव के कारण इस वर्ष किसी राष्ट्र के बड़े नेता या राजनीति गतिविधियों के सामने परेशानी आएगी। इसके अलावा नए साल में वर्षा सामान्य होगी और इसी वजह से फसल भी अच्छी नहीं होगी।

विक्रम संवत नव वर्ष का पहला दिन

विक्रम संवत 2079 का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। इस बार चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 01 अप्रैल को दिन में 11:53 बजे से हो रहा है और इसका समापन 02 अप्रैल को दिन में 11:58 बजे होगा। ऐसे में सूर्योदय के आधार पर तिथि की गणना होती है। इस प्रकार विक्रम संवत 2079 का पहला दिन 02 अप्रैल से शुरू होगा। जो शनिवार से हो रहा है, इसलिए वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार इस नव संवत्सर 2079 का नाम नल होगा जिसके स्वामी शुक्रदेव होते हैं।इस साल के राजा शनिदेव हैं। देव गुरु बृहस्पति मंत्री हैं और मेघेश बुध हैं।

इस वर्ष के राजा शनि देव और मंत्री गुरु होंगे। साथ ही 12 अप्रैल को राहु मेष राशि में प्रवेश करेंगे। इसके अलावा गुरु 13 अप्रैल को मीन में और शनि 29 अप्रैल से कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। 27 अप्रैल से गुरु-शुक्र योग और 29 अप्रैल से मंगल-शनि योग आरंभ होंगे। शनि के राजा होने के कारण इस साल कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जिसमें खराब अर्थव्यवस्था, महामारी, महंगाई, सत्ता परिवर्तन, असुरक्षा, आतंकवादी घटनाएं हो सकती है।

विक्रम संवत कैसे हुई शुरूआत

विक्रम संवत (vikram-samvat) से पूर्व 6676 ईसवी पूर्व से शुरू हुए प्राचीन सप्तर्षि संवत को हिंदुओं का सबसे प्राचीन संवत माना जाता है, जिसकी विधिवत शुरुआत 3076 ईसवी पूर्व हुई मानी जाती है। सप्तर्षि के बाद नंबर आता है कृष्ण के जन्म की तिथि से कृष्ण कैलेंडर का फिर कलियुग संवत का। कलियुग के प्रारंभ के साथ कलियुग संवत की 3102 ईसवी पूर्व में शुरुआत हुई थी। विक्रम सवंत इसे नव संवत्सर भी कहते हैं। संवत्सर के पाँच प्रकार हैं सौर, चंद्र, नक्षत्र, सावन और अधिमास। विक्रम संवत में सभी का समावेश है। इस विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसवी पूर्व में हुई। इसको शुरू करने वाले सम्राट विक्रमादित्य थे हिंदू धर्म के अनुयायी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवसंवत्सर यानि नववर्ष मनाते हैं। माना जाता है कि इसी दिन सृष्टि का आरंभ हुआ था।

12 माह का एक वर्ष और 7 दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से ही शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पर रखा जाता है। विक्रम कैलेंडर की इस धारणा को यूनानियों के माध्यम से अरब और अंग्रेजों ने अपनाया। बाद में भारत के अन्य प्रांतों ने अपने-अपने कैलेंडर इसी के आधार पर विकसित किए। मार्च माह से ही दुनियाभर में पुराने कामकाज को समेटकर नए कामकाज की रूपरेखा तय की जाती है। इस धारणा का प्रचलन विश्व के प्रत्येक देश में आज भी जारी है। 21 मार्च को पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेती है, उस वक्त दिन और रात बराबर होते हैं।

जब मेष राशि का पृथ्वी के आकाश में भ्रमण चक्र चलता है तब चंद्रमास के चैत्र माह की शुरुआत भी हो जाती है। सूर्य का भ्रमण इस वक्त किसी अन्य राशि में हो सकता है। चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ आदि चंद्रवर्ष के माह हैं। चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है, जो चैत्र माह से शुरू होता है। चंद्र वर्ष में चंद्र की कलाओं में वृद्धि हो तो यह 13 माह का होता है। जब चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में होकर शुक्ल प्रतिपदा के दिन से बढ़ना शुरू करता है तभी से हिंदू नववर्ष की शुरुआत मानी गई है। सौरमास 365 दिन का और चंद्रमास 355 दिन का होने से प्रतिवर्ष 10 दिन का अंतर आ जाता है। इन दस दिनों को चंद्रमास ही माना जाता है। फिर भी ऐसे बढ़े हुए दिनों को मलमास या अधिमास कहते हैं। लगभग 27 दिनों का एक नक्षत्रमास होता है। इन्हें चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा आदि कहा जाता है।

सांकेतिक तस्वीर, सौ.से सोशल मीडिया


नववर्ष व विक्रम संवत से जुड़ी खास बातें

ब्रह्म पुराण अनुसार इस दिन ब्रह्मा ने सृष्टि रचना की शुरुआत की थी। इसी दिन से सतयुग की शुरुआत भी मानी जाती है। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसी दिन से नवरात्र की शुरुआत भी मानी जाती है। इसी दिन को भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ था और पूरे अयोध्या नगर में विजय पताका फहराई गई थी। इसी दिन से रात्रि की अपेक्षा दिन बड़ा होने लगता है। रात में नहीं दिन में ऐसे करें शुरुआत नया वर्ष सूरज की पहली किरण का स्वागत करके मनाया जाता है।

नववर्ष के ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से घर में सुगंधित वातावरण कर दिया जाता है। घर को ध्वज, पताका और तोरण से सजाया जाता है।ब्राह्मण, कन्या, गाय, कौआ और कुत्ते को भोजन कराया जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, विक्रम संवत के दिन प्रभु श्रीराम एवं धर्मराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी विक्रम संवत के प्रथम दिन हुआ था।



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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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