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Holika Dahan 2022: होलिका कब और किस मुहूर्त में जलाई जाएगी, इस रात करें ये मंत्र जाप मिलेगा मनचाहा वरदान

Holika Dahan 2022: बुराई पर अच्छाई का प्रतीक होली से एक दिन पहले होलिका जलाई जाती है, होलिका हिरण्यकश्यपु की बहन थी । जो प्रह्लाद की बुआ थी और उनको जलाने की नियत से लेकर आग बैठी थी। लेकिन ईश्वर की भक्ति ने प्रह्लाद को बचा लिया और होलिका को भस्म कर दिया, तब से हर वरष फाल्गुन मास के पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 17 March 2022 6:00 AM IST (Updated on: 17 March 2022 6:48 AM IST)
Holika Dahan
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सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

होलिका दहन (Holika Dahan )

रंगों का त्योहार ( Festival) होली (Holi) 18 मार्च 2022 को शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। प्रेम व उत्साह और भाईचारे का पर्व मनाने से पहले लोग होलिका दहन (Holika Dahan ) करते हैं। फिर होली का त्योहार मनाते है। यानि 17 मार्च बृहस्पतिवार की रात होलिका दहन किया जाएगा। तो जानते हैं। इस दिन का शुभ समय जब होलिका जलाई जाएगी।

होलिका दहन 2022 शुभ मुहूर्त (Holika Dahan Shubh Muhurat)

17 मार्च को होलिका दहन पर रात्रि में भद्रा में करीब एक घंटे का मुहूर्त रहेगा। भद्रा रहित होलिका दहन के लिए मुहूर्त रात्रि तीन से 4:30 बजे शुभ व 4:30 से 6 बजे तक अमृत में रहेगा। होलिका दहन रात्रि अंत तीन से छह बजे तक शुभ रहेगा। रात 4:30 तक शुभ, रात्रि 4:30 से छह बजे तक अमृत में होलिका दहन अति शुभ रहेगा।

  • होलिका दहन तिथि - 17 मार्च 2022
  • होलिका दहन शुभ मुहूर्त- 17 मार्च को रात 9.20 मिनट से रात 10 .31 मिनट तक
  • होलिका दहन की अवधि- 1.10 मिनट
  • होली - 18 मार्च 2022

होलिका दहन विधि (Holika Dahan Vidhi)

होलिका दहन का तैयारी कई दिनों पहले से होती हैं। होलिका दहन वाले स्थान पर लकड़ियां, उपले और अन्य जलाने के लिए बसंत पंचमी के दिन से इक्कठा किया जाता है। इसके बाद होलिका दहन के शुभ मुहूर्त पर विधिवत रूप से पूजन करते हुए होलिका में आग लगाई जाती है। फिर होलिका की परिक्रमा करते हुए पूजा सामग्री को होलिका में डाला जाता है।

होलिका दहन वाले स्थान पर कुछ दिन पहले एक सूखा पेड़ रखा जाता है। होलिका दहन के दिन उस पर लकड़ियां, घास और गोबर के उपले रखकर आग लगाते हैं। होलिका दहन में शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व है। होलिका दहन को छोटी होली भी कहा जाता है। इसके अगले दिन एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर होली का त्योहार मनाया जाता है।

होलिका दहन की कथा

धार्मिक और पौराणिक कथा के अनुसार होली हिरण्यकश्यप और विष्णु भक्त प्रह्राद से जुड़ी है। राक्षस परिवार में प्रह्लाद का जन्म हुआ था, परन्तु वे भगवान विष्णु के परम भक्त थे। उनके स्वयंभू पिता हिरण्यकश्यप को अपने पुत्र की भक्ति अच्छी नहीं लगती थी इसलिए हिरण्यकश्यप ने पुत्र प्रह्लाद को कष्ट दिए। अपनी बहन होलिका को जिसे अग्नि में न जलने का वरदान था। उसे प्रह्लाद को लेकर आग में बैठने को कहा था। होलिका भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए वह वस्त्र पहनकर उन्हें गोद में लेकर आग में बैठ गई। भक्त प्रह्लाद की विष्णु भक्ति के कारण होलिका जल गई, लेकिन भक्त प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ। इस प्रथा के चलते हर वर्ष होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है।

इस तरह बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व होली हमे हर बार सीख देता है कि हम जैसा कर करेंगे वैसा ही ईश्वर की कृपा बरसेगी।

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

होलिका दहन की रात मंत्र जाप

मंत्र जो विद्या प्राप्ति साक्षात्कार रोजी-रोजगार, प्रमोशन, व्यापार में घाटा आदि के लिए होली की रात्रि में जपने से मनचाही सफलता देते हैं।

विद्या और साक्षात्कार में सफलता के लिए,

गुरु गृह गए पढ़न रघुराई।

अल्प काल विद्या सब पायी।

रोजगार, नौकरी में प्रमोशन के लिए करें इस मंत्र का जाप। इस मंत्र का जाप 108 पढ़कर 108 बार ही होली में आहूति डालनी है। इसके बाद रोज सुबह के वक्त आटा, शक्कर, घी मिलाकर चीटियों को इस मिश्रण को डाल दें। इस मंत्र का जाप लगातार 40 दिन तक करें, अवश्य ही सफलता मिलेगी।

ऊं नमो नगर चींटी महावीर।

हूं पूरों तोरी आशा तूं पूरो मोरी आशा।।

व्यापार में घाटा होने पर होली की रात इस मंत्र का 108 बार जाप करें और 108 बार ही आहूति डाले और बाद में इस मंत्र की एक माला रोजाना जाप करें, लाभ होगा।

ऊं हीं हीं हीं हीं श्रीमेव कुरु कुरु वांछितनेव हीं हीं नम:

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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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