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Surya Grahan 2022: विसर्जन या पाटा हटाना, जानें पूरी विधि, सूर्य ग्रहण में कब क्या करें

Surya Grahan 2022: दिवाली के बाद सूर्य ग्रहण होने की वजह से सुबह लगभग 4:30 के करीब सूर्य ग्रहण का सूतक प्रारंभ हो गया। तो सवाल यह उठता है कि विसर्जन कब करें अर्थात पाटा कब हटाया जाए?

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Published on: 25 Oct 2022 4:51 AM GMT
Know the complete method of immersion after Diwali, what to do during solar eclipse
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दिवाली के बाद विसर्जन जानें पूरी विधि, सूर्य ग्रहण में कब क्या करें: Photo- Social Media

Surya Grahan 2022: इस बार 24 अक्टूबर सोमवार को दीपावली ( Diwali 2022) रही। दूसरे दिन 25 अक्टूबर मंगलवार को सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse 2022) होने की वजह से सुबह लगभग 4:30 के करीब सूर्य ग्रहण का सूतक प्रारंभ हो गया। तो इस दिन सवाल यह उठता है कि विसर्जन कब करें अर्थात पाटा कब हटाया जाए?

25 अक्टूबर मंगलवार सुबह 4:30 बजे कर सकते हैं विसर्जन

आप सुबह जल्दी उठकर कलश व पाटे व अन्य सामान को सुबह 4:30 से पहले पूजा करके उसके बाद थोड़ा सा हिला दे अर्थात थोड़ा सा स्थान परिवर्तन कर दें। फिर आप सूर्योदय से पहले पहले इन सभी वस्तुओं को समेट कर विसर्जित कर दें।

ध्यान रखें दीपक में उतना ही घी डालें जो लगभग सवा 4:30 बजे से पहले पहले अपने आप बंद हो जाए। या आप 26 अक्टूबर बुधवार को सुबह विसर्जन करें। दीपक को बुझाए नहीं और जलते दीपक को उठाना नहीं है। यदि दीपक 4:30 बजे के बाद तक जलता है तो फिर आप अगले दिन 26 अक्टूबर बुधवार को सुबह विसर्जन करें, पाटा हटाये।

क्योंकि 25 अक्टूबर मंगलवार को पूरे दिन सूर्य ग्रहण का सूतक रहेगा और सूर्य अस्त होने के बाद ही सूर्य ग्रहण समाप्त होगा और सूर्य शुद्ध होगा। सूर्य अस्त होने के बाद में विसर्जन करना सही नहीं माना गया है। अतः इन परिस्थितियों में अगले दिन 26 अक्टूबर बुधवार को ही सुबह विसर्जन संभव हो पाएगा।

चौकी पर रखी गई सामग्री का क्या करें कैसे करें विसर्जन..?

-पुष्प-: पुष्प व पुष्प माला आप पूजा के तुरंत बाद हटा दें, भगवान पर पुराने फूल नहीं रखने चाहिए। इन्हें बाद में किसी पेड़ जड़ में विसर्जित कर दें।

-अक्षत-: पूजा में इस्तेमाल लिए गए चावलों को चिड़ियों के चुगने के लिए डाल दें।

-वस्त्र-: यदि आप ने माता को वस्त्र भेंट किए हैं तो इन वस्त्रों को अपनी सुहागन बहन, बेटी, भांजी, किसी मंदिर के पुजारी या ब्राह्मण को दे सकते हैं।

-कलश का जल-: कलश के जल को पहले किसी पुष्प से घर में छिड़कें और बचे हुए जल को किसी पौधे में डाल दें।

भोग-: भोग में चढ़ाए गए फल, पकवान, खील, बताशे, मिठाइयों और मेवों को आप घर के सदस्यों को प्रसाद के रूप में बांट दें। साथ ही आप अपने घर में काम करने वाले लोगों को और किसी भी गरीब व्यक्ति को भी यह प्रसाद अवश्य दें।

नारियल-: नारियल को किसी कपड़े में बांध कर अपने घर के ईशान कोण यानी उत्तर और पूर्व दिशा में रख सकते हैं।

दीपक-: दीपकों को पूजा के बाद किसी पेड़ की जड़ में विसर्जित कर दें।

कुबेर/महालक्ष्मी यंत्र-: अगर आपने पूजा में महालक्ष्मी या कुबेर यंत्र की स्थापना की है तो इसे पीले वस्त्र में बांधकर तिजौरी में रख दें।

चांदी के सिक्के-: चांदी के सिक्कों को भी वापिस तिजौरी में रख दें।

चढ़ाई हुई दक्षिणा-: रुपयों के रूप में चढ़ाई हुई दक्षिणा को आप किसी मंदिर में दान दे सकते है।

सुहाग की सामग्री-: अगर आपने माँ लक्ष्मी को सुहाग की सामग्री चढ़ाई है तो उसे घर की महिलाएं खुद धारण करें।

धनिया-: अगर आपने खड़ी धनिया चढ़ाई है तो उसे मिट्टी में बो दें।

खील-बताशे-: खील और मीठे बताशों को भी आप प्रसाद के रूप में ग्रहण करें और बांट भी सकते हैं।

इस पूजा में चढ़ाई गई वस्तुओं को हटाने के लिए झाड़ू नहीं कपड़े का इस्तेमाल साफ-सफाई के लिए किया जा सकता है।

Shashi kant gautam

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