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Alvida Jumma: मुसलमानों के लिए खास दिन, घरों में रहकर करेंगे खुदा की इबादत
अलविदा जुम्मा के दिन दुनिया भर के मुसलमान अपना सारा दिन अल्लाह की इबादत करके गुजारते हैं।
लखनऊ : इस्लाम धर्म के सबसे पाक महीने माह-ए-रमजान (Mah-e-Ramzan) में पड़ने वाले आखिरी जुमा को अलविदा जुम्मा (Alvida Jumma) कहते हैं। मान्यता है कि रमजान (Ramzan) के तीसरे और आखिरी अशरे में की गई इबादत रोजेदारों को जहन्नुम की आग से बचाती है। इस अशरे में जो आखिरी जुम्मा आता है उसे अलविदा जुम्मा कहते हैं। आज अलविदा जुम्मा है, इस दिन का इस्लाम में बहुत ही खास महत्व है।
इस दिन दुनिया भर के मुसलमान अपना सारा दिन अल्लाह की इबादत करके गुजारते हैं। हालांकि इस साल कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Second Wave of Coronavirus) के प्रकोप के चलते ज्यादातर लोग अपने घरों में रहकर ही अलविदा जुमा की नमाज अदा कर रहे हैं। इस्लाम में अलविदा का खास महत्व है। इस दिन को दुनिया भर के मुसलमान पूरी अजमत अकीदत से अल्लाह (Allah) की इबादत (Worship) करते हैं।
अल्लाह का शुक्रिया
यह जुम्मा इसलिए खास है क्योंकि यह रमजान के महीने का आखिरी जुम्मा यानी शुक्रवार है और इस साल के बाद रमजान में कोई और जुम्मा नहीं पड़ेगा। वहीं अलविदा का मतलब रमजान के पाक महीने का समाप्त होना यानी इसकी विदाई है। यही वजह है कि इसे अलविदा कहते हैं और इसकी नमाज भी काफी अहम मानी जाती है। इस्लाम में अलविदा को सबसे अफजल करार दिया गया है।
रमज़ान का आखिरी जुम्मा कई मायनों में ख़ास है। एक तो इसके आने का मतलब यह है कि अब बस ईद आने ही वाली है। यानी ईद के चांद से पहले का यह आखिरी जुम्मा है। वहीं इबादत के लिहाज़ से भी यह दिन मुसलमानों के लिए बेहद ख़ास है। इस दिन मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं और इस बात का शुक्र अदा करते हैं कि उन्हें माहे रमज़ान के पाक महीने में रोज़े रखने का मौका मिला। तरावीह पढ़ने और अल्लाह की इबादत करने का सम्मान हासिल हुआ।
इस दिन को छोटी ईद भी कहते हैं
अलविदा की नमाज हर मुसलमान के लिए बेहद खास होती है। इस दिन कुछ मुसलमान नए कपड़े पहन कर अपने रब की इबादत करते हैं। अलविदा को छोटी ईद भी कहते हैं। खुद अल्लाह ने पवित्र कुरआन शरीफ में इस दिन को मुसलमानों के लिए खास फरमाया है। अलविदा जुम्मा की नमाज दुनिया के हर मुसलमान के लिए बेहद खास होती है। इस दिन लोग रब की इबादत में अपना ज्यादा समय बिताते हैं। कहा जाता है कि अलविदा जुम्मा की नमाज के बाद सच्चे दिल से अगर अल्लाह से कोई फरियाद की जाए तो अल्लाह बंदे की हर जायद दुआ कुबूल करते हैं और उनके गुनाहों को माफ करते हैं।