देवउठनी एकादशी: इसी दिन होता है तुलसी विवाह और देव दिवाली, इस दिन न करें ये काम

Shivakant Shukla
Published on: 18 Nov 2018 8:08 AM GMT
देवउठनी एकादशी: इसी दिन होता है तुलसी विवाह और देव दिवाली, इस दिन न करें ये काम
X

लखनऊ: कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इसे देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी आदि के नामों से भी जाना जाता है। इस बार ये एकादशी 19 नवंबर को है।

हिन्दू धर्म के मान्यतानुसार इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। वहीं इस दिन शालीग्राम और तुलसी का विवाह भी किया जाता है। और इसी दिन भगवान विष्णु चार महीने की गहरी नींद के बाद जागते हैं। उनके उठने के साथ ही हिन्दू धर्म में शुभ-मांगलिक कार्य आरंभ होते हैं।

ये भी पढ़ें— नेहा धूपिया-अंगद बेदी के घर आई नन्ही पारी, शादी के 6 महीने बाद बने बेटी के माता-पिता

दुनिया की जिम्मेदारी संभालते हैं भगवान शंकर और अन्य देवी-देवता

आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं, इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में सोने के लिए चले जाते हैं। उनके सोने के बाद हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता। इसके बाद भगवान चार महीने बाद देवउठनी एकादशी को अपनी निंद्रा तोड़ते हैं। इस दौरान पूरे जगत के पालन की जिम्मेदारी भगवान शंकर और अन्य देवी-देवताओं के जिम्मे आ जाती है।

इसलिए मनाते हैं देव दिवाली

देवशयनी एकादशी के दिन सोने के बाद भगवान विष्णु चार महीने बाद देवउठनी एकादशी को जागते हैं। इन चार महीनों में ही दिवाली मनाई जाती है, जिसमें भगवान विष्णु के बिना ही मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लेकिन देवउठनी एकादशी को जागने के बाद देवी-देवता भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की एक साथ पूजा करके देव दिवाली मनाते हैं।

ये भी पढ़ें— इन तीन बच्चों ने एशियन गेम में देश का नाम किया रोशन, कहानी पढ़कर हो जायेंगे भावुक

तुलसी-शालीग्राम विवाह

पुराकथाओं के अनुसार देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी और भगवान शालीग्राम का विवाह भी करवाया जाता है। भगवान विष्णु को तुलसी काफी प्रिय है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसमें जालंधर को हराने के लिए भगवान विष्णु ने वृंदा नामक विष्णु भक्त के साथ छल किया था। जिसके बाद वृंदा ने विष्णु जी को श्राप देकर पत्थर का बना दिया था, लेकिन लक्ष्मी माता और देवी-देवताओं के विनती के बाद उन्हें वापस सही करके सती हो गई थी। उनकी राख से ही तुलसी के पौधे का जन्म हुआ और उनके साथ शालीग्राम के विवाह का चलन शुरू हुआ।

इस दिन न करें ये काम

(1.) एकादशी के दौरान ब्रह्मचार्य का पालन करना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से फल ज्यादा मिलता है इसलिए एकादशी के दिन शारीरिक संबंध से परहेज रखना चाहिए।

ये भी पढ़ें— अमेरिका: 61 वर्षीय सुनील एडला की 16 साल के युवक ने गोली मारकर की हत्या

(2.)शास्त्रों में एकादशी के दिन चावल या चावल से बनी चीजों के खाने की मनाही है। मान्यता है कि इस दिन चावल खाने से प्राणी रेंगनेवाले जीव की योनि में जन्म पाता है। लेकिन द्वादशी को चावल खाने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है। भगवान विष्णु और उनके किसी भी अवतारवाली तिथि में चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

(3.)भगवान विष्णु को एकादशी का व्रत सबसे प्रिय है। पुराणों में बताया गया है कि इस दिन जो व्रत ना रहे हों, उन्हें भी प्याज, लहसुन, मांस, अंडा जैसे तामसिक पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से नरक में स्थान मिलता है।

Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

Next Story