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इस माह करें ये काम, बना रहेगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद

वैशाख माह में भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है। इन दिनों में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान और पूजा की जाती है।

Suman  Mishra
Published By Suman Mishra
Published on: 29 April 2021 8:00 AM IST
वैशाख में भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व
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डिजाइन तस्वीर( साभार-सोशल मीडिया)

लखनऊ: आरम्भ हो गया है जो 26 मई को खत्म होगा। प्रभु श्री विष्णु(Lord Vishnu) का प्रिय महीना माना जाता है। इसलिए इस माह को सबसे शुभ माना गया है। विशाखा नक्षत्र से संबंध होने की वजह से इसे वैशाख महीना कहा जाता है। इस माह में खास तौर पर गंगा स्नान करने की खास अहमियत होती है। हालांकि कोरोना महामारी (Coronavirus) के कारण आप घर पर रहें और नहाने के पाने में थोड़ा सा गंगाजल(GangaWater) मिलाकर स्नान कर सकते हैं।

हिंदू धर्म में हर मास को भगवान से जोड़कर देखा गया है और उसी के अनुसार काम किए जाते हैं। इसकी के अनुसार अभी चल रहे वैशाख में भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है। इन दिनों में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान और पूजा की जाती है।

स्कंद पुराण में वैशाख मास को सभी महीनों में उत्तम बताया गया है। पुराणों में कहा गया है कि जो व्यक्ति इस महीने में सूर्योदय से पहले स्नान करता है और व्रत रखता है। वो कभी दरिद्र नहीं होता। उस पर भगवान की कृपा बनी रहती है और उसे सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। क्योंकि इस महीने के देवता भगवान विष्णु ही है। वैशाख महीने में जल दान का विशेष महत्व है।

सांकेतिक तस्वीर, ( साभार-सोशल मीडिया)

इस माह के खास नियम

प्रातः उठकर स्नान करना चाहिए। इसके पश्चात् जल में थोड़ा तिल मिलाकर प्रभु श्री विष्णु की उपासना करें। जल का दान करें। माह की दोनों एकादशियों का पालन करें। कहा जाता है कि इस महीने में राहगीरों को पानी पिलाने से सभी धर्म तथा तीर्थ यात्रा करने का पुण्य प्राप्त होता है। इन सभी उपायों को अपनाकर हम पुण्य के साथ-साथ मानसिक संतुष्टि भी पा सकते है।

स्कंदपुराण के अनुसार, महीरथ नाम के राजा ने केवल वैशाख स्नान से ही वैकुण्ठधाम प्राप्त किया था। इस महीने में सूर्योदय से पहले किसी तीर्थ स्थान, सरोवर, नदी या कुएं पर जाकर या घर पर ही नहाना चाहिए। घर में नहाते समय पवित्र नदियों का नाम जपना चाहिए। नहाने के बाद सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। क्या करें- वैशाख मास में जल दान का विशेष महत्व है। यदि संभव हो तो इन दिनों में प्याऊ लगवाएं या किसी प्याऊ में मटके का दान करें। किसी जरुरतमंद व्यक्ति को पंखा, खरबूजा, अन्य फल, अन्न आदि का दान करना चाहिए। मंदिरों में अन्न और भोजन दान करना चाहिए। इस महीने में ब्रह्मचर्य का पालन और सात्विक भोजन करना चाहिए। वैशाख महीने में पूजा और यज्ञ करने के साथ ही एक समय भोजन करना चाहिए।

वैशाखे मेषगे भानौ प्रात: स्नानपरायण:।
अर्ध्य तेहं प्रदास्यामि गृहाण मधुसूदन।।...

क्या नहीं करें

इस महीने में मांसाहार, शराब और अन्य हर तरह के नशे से दूर रहें। वैशाख माह में शरीर पर तेल मालिश नहीं करवानी चाहिए। दिन में नहीं साेना चाहिए। कांसे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए। रात में भोजन नहीं करना चाहिए और पलंग पर नहीं सोना चाहिए।

सांकेतिक तस्वीर, ( साभार-सोशल मीडिया)

वैशाख महीने में खान पान

इस माह में बहुत ज्यादा गर्मी होती है। इसलिए मौसमी बीमारियों का संकट अधिक बढ़ जाता है। इस महीने में पीने वाली चीजों का सेवन करना चाहिए। जहां तक संभव हो सत्तू तथा रसदार फलों का सेवन करना चाहिए। अधिक समय तक सोना भी नहीं चाहिए।

बूंद-बूंद पानी टपकता रहता

वैशाख मास में शिवलिंग के ऊपर गलंतिका (एक मटकी जिसमें से बूंद-बूंद पानी टपकता रहता है) बांधी जाती है। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान शिव के गले में जो विष है, उसके कारण उनके शरीर की गर्मी बहुत बढ़ जाती है। इसी को शांत करने के लिए शिवलिंग पर गलंतिका बांधी जाती है।

Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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