TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

इस दिन करेंगे इंदिरा एकादशी व्रत तो पितरों का होगा उद्धार, खुलेगा स्वर्ग का द्वार

अभी पितृपक्ष चल रहा है । इसमें श्राद्ध कर्म किए जाते है । लेकिन किसी कारणवश किसी ने अब तक श्राद्ध के नियमों का पालन नहीं किया है तो उसके लिए आश्विन माह में कृष्ण पक्ष एकादशी है इस दिन व्रत कर नियम का पालन करें ते पितरों को मुक्ति मिलती है। इसे इंदिरा एकादशी कहते हैं।

suman
Published on: 25 May 2023 2:49 PM IST (Updated on: 25 May 2023 3:16 PM IST)
इस दिन करेंगे इंदिरा एकादशी व्रत तो पितरों का होगा उद्धार, खुलेगा स्वर्ग का द्वार
X

जयपुर : अभी पितृपक्ष चल रहा है । इसमें श्राद्ध कर्म किए जाते है । लेकिन किसी कारणवश किसी ने अब तक श्राद्ध के नियमों का पालन नहीं किया है तो उसके लिए आश्विन माह में कृष्ण पक्ष एकादशी है इस दिन व्रत कर नियम का पालन करें ते पितरों को मुक्ति मिलती है। इसे इंदिरा एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से एक करोड़ पितरों का उद्धार होता है। इस व्रत के प्रभाव से स्वयं के लिए भी स्वर्ग लोक के मार्ग खुलता हैं। विधि विधान से इस एकादशी का व्रत करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

22 सितंबर : कैसा रहेगा छुट्टी का दिन रविवार, जानिए पंचांग व राशिफल

इस बार 25 सितंबर को पड़ने वाली एकादशी, समस्त पापों को नष्ट करने वाली है। इस व्रत में भगवान विष्णु की उपासना करें। भगवार श्री हरि को तुलसी, ऋतु फल और तिल अर्पित करें। इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। इस व्रत में परनिंदा और झूठ नहीं बोलना चाहिए। इस व्रत में अपने मन को शांत रखें। किसी भी प्रकार की द्वेष भावना या क्रोध मन में न आने पाए। एकादशी पर तांबा, चांदी, चावल और दही का दान करना शुभ माना जाता है। यदि व्रत नहीं भी रखते हैं तो एकादशी के दिन भोजन में चावल का प्रयोग न करें। एकादशी पर रात्रि जागरण का बड़ा महत्व है। रात्रि में जागकर भगवान श्री हरि का भजन कीर्तन करें। विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें। एकादशी का व्रत रखने वाले को व्रत से एक दिन पूर्व दशमी तिथि पर सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए।

व्रत कथा

भगवान श्री कृष्ण धर्मराज युद्धिष्ठर को इंदिरा एकादशी का महत्व बताते हुए कहते हैं कि यह एकादशी समस्त पाप कर्मों का नाश करने वाली होती है एवं इस एकादशी के व्रत से व्रती के साथ-साथ उनके पितरों की भी मुक्ति होती है। हे राजन् इंदिरा एकादशी की जो कथा मैं तुम्हें सुनाने जा रहा हूं। इसके सुनने मात्र से ही वाजपेय यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है।

HOWDY MODI: पीएम मोदी का दिवाना होगा अमेरिका, ट्रंप की अग्निपरीक्षा

आगे कथा शुरु करते हुए भगवन कहते हैं। बात सतयुग की है। महिष्मति नाम की नगरी में इंद्रसेन नाम के प्रतापी राजा राज किया करते थे। राजा बड़े धर्मात्मा थे प्रजा भी सुख चैन से रहती थी। धर्म कर्म के सारे काम अच्छे से किये जाते थे। एक दिन क्या हुआ कि नारद जी इंद्रसेन के दरबार में पंहुच जाते हैं। इंद्रसेन उन्हें प्रणाम करते हैं और आने का कारण पूछते हैं। तब नारद जी कहते हैं कि मैं तुम्हारे पिता का संदेशा लेकर आया हूं जो इस समय पूर्व जन्म में एकादशी का व्रत भंग होने के कारण यमराज के निकट उसका दंड भोग रहे हैं। अब इंद्रसेन अपने पिता की पीड़ा को सुनकर व्यथित हो गये और देवर्षि से पूछने लगे हे मुनिवर इसका कोई उपाय बतायें जिससे मेरे पिता को मोक्ष मिल जाये। तब देवर्षि ने कहा कि राजन तुम आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करो और इस व्रत के पुण्य को अपने पिता के नाम दान कर दो इससे तुम्हारे पिता को मुक्ति मिल जायेगी। उसके बाद आश्विन कृष्ण एकादशी को इंद्रसेन ने नारद जी द्वारा बताई विधि के अनुसार ही एकादशी व्रत का पालन किया जिससे उनके पिता की आत्मा को शांति मिली और मृत्यु पर्यंत उन्हें भी मोक्ष की प्राप्ति हुई।



\
suman

suman

Next Story