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शनि शिंगणापुर से जुड़ी रोचक बातें, यहां नहीं होती चोरी, नहीं लगता ताला

Admin
Published on: 8 April 2016 4:56 PM IST
शनि शिंगणापुर से जुड़ी रोचक बातें, यहां नहीं होती चोरी, नहीं लगता ताला
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मुंबई: महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में शुक्रवार को 400 साल पुरानी परंपरा टूट गई है। यहां स्थित चबूतरे पर महिलाओं को भी पूजा करने की इजाजत मिल गई है। शुक्रवार को यहां करीब 100 पुरुषों ने जबरन पूजा की थी। वह एक-एक कर चबूतरे पर पहुंचे और उन्होंने शिला को नहलाया। पुरुषों का यह शिला पूजन महाराष्ट्र सरकार के आदेश के खिलाफ था। इस घटना के बाद मंदिर के ट्रस्ट ने फैसला लिया कि महिलाओं को भी इस चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत होगी। हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं।

गौरतलब है कि सरकार ने 9 फरवरी 2011 से ही चबूतरे में पूजन पर पाबंदी लगा रखी थी। पिछले काफी समय से महिलाएं यहां पूजा करने की कोशिश करती रही हैं, जिनका विरोध हुआ है। इसको लेकर मामला अदालत में भी पहुंचा। अदालत में राज्य सरकार ने साफ़ किया था कि मंदिर में महिलाओं के जाने पर किसी भी तरह की रोक नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि हिन्दू मंदिरों में महिला और पुरुषों को पूजा का समान अधिकार है।

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जानिए शनि मंदिर के बारे में कुछ ऐसी जानकारियां जो आम आदमी को नहीं पता है। जैसे-क्या है पूजा का तरीका? पूजा में क्या है वर्जित और शिंगणापुर गांव से जुड़ी कई रोचक तथ्‍य।

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कहां है शनिदेव मंदिर?

-देश में सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं।

-उन्हीं में से एक प्रमुख मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर है।

-विश्व प्रसिद्ध इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थित शनिदेव की पाषाण प्रतिमा बगैर किसी छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है।

महिलाओं के प्रवेश पर रहा है प्रतिबंध

-शिंगणापुर के इस चमत्कारी शनि मंदिर में स्थित शनिदेव की प्रतिमा लगभग पांच फीट नौ इंच ऊंची और लगभग एक फीट छह इंच चौड़ी है।

-देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आकर शनिदेव की इस दुर्लभ प्रतिमा का दर्शन करते हैं।

-यहां के मंदिर में स्त्रियों का शनि प्रतिमा के पास जाना अब तक वर्जित रहा है।

-अब तक महिलाएं दूर से ही शनिदेव के दर्शन करती थीं।

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प्रतिमा स्पर्श करने के हैं नियम

-किसी भी समय और किसी भी मौसम में शनि प्रतिमा के समीप जाने के लिए पुरुषों का स्नान कर पीली धोती पहनना अति आवश्यक है।

-ऐसा किए बगैर पुरुष शनि प्रतिमा का स्पर्श नहीं पर सकते हैं।

-इसलिए यहां स्नान और वस्त्रादि की बेहतर व्यवस्थाएं हैं।

कई भ्रामक धारणाएं भी हैं

-आमतौर पर शनिदेव को लेकर लोगों के मन में कई भ्रामक धारणाएं हैं।

-जैसे कि शनिदेव बहु‍त अधिक कष्ट देने वाले देवता हैं वगैरह-वगैरह।

-पंडितों की मानें तो शनि की आराधना से उत्तम कुछ नहीं।

-शनि की कृपा जिस पर होती है उस व्यक्ति के लिए सफलता के सारे द्वार खुल जाते हैं।

शिंगणापुर की खासियत

-आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि शिंगणापुर के अधिकांश घरों में खिड़की, दरवाजे और तिजौरी नहीं है।

-दरवाजों की जगह केवल पर्दे लगे हैं।

-क्योंकि यहां चोरी नहीं होती।

-कहा जाता है कि जो भी चोरी करता है उसे शनि महाराज उसकी सजा स्वयं देते हैं।

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मंदिर परिसर में है व्यापक प्रबंध

-शनि मंदिर का एक विशाल प्रांगण है जहां दर्शन के लिए भक्तों की कतारें लगती हैं।

-मंदिर प्रशासन की ओर से शनिदेव के दर्शन की बेहतर व्यवस्थाएं की गई हैं।

-इससे भक्तों को दर्शन के लिए धक्का-मुक्की जैसी किसी भी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता है।

-प्रत्येक शनिवार, शनि जयंती और शनैश्चरी अमावस्या आदि अवसरों पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

ऐसे पहुंचे शिंगणापुर

शिर्डी से शिंगणापुर की दूरी - 70 किमी.।

नासिक से शिंगणापुर की दूरी - 170 किमी.।

औरंगाबाद से शिंगणापुर की दूरी - 68 किमी.।

अहमदनगर से शिंगणापुर की दूरी - 35 किमी.।

इन मुख्य मार्गों का इस्तेमाल कर शनि शिंगणापुर पहुंचा जा सकता है।



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