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ईष्टदेव किसे कहते है ? जानिए कुंडली से ईष्ट देव, अगर राशि के अनुसार करते हैं उपासना तो जानें परिणाम
Ishtdev kise kahate:महाभारत काल में गीता के समय श्रीकृष्ण ने अर्जुन को ईष्ट की महत्ता का बखान किया था।श्रीकृष्ण ने कहा था- अर्जुन सब का त्याग कर एकमात्र मेरी ही शरण में आ जाओ। मैं तुम्हारे सारे पापो से तुमको मुक्त कर दूंगा।
कुंडली में ईष्ट देव की पहचान कैसे करें? (Kundali me Isht dev)
हम रोज शांति के तलाश में अध्यात्म को शरण में जाते है। कहते भी है कि अगर सुबह की शुरुआत ईश्वर की वंदना से हो तो सारा दिन अच्छा गुजरता है। इसके लिए कोई दुर्गा देवी तो कोई शिव कोई बजरंगबली या सूर्य की आराधना करता है। किसी को अपने ईष्टदेव का पता होता है तो उसके अनुसार पूजा करते है तो कोई व्यक्ति बिना जानकारी के किसी भी देवता की पूजा करने लगता है।मतलब ये कि अगर हमे रास्ता पता है तो हम मंजिल तक आसानी से बिना विलंब के पहुंच जाते हैं,और नहीं पता होता है तो पुछते पुछते सही गलत रास्ते पर चलते चलते कभी मंजिल तक पहुंचते है तो कभी मंजिल सेपहले ही दम तोड़ देते हैँ। साधारण शब्दों में कहे तो अपने ईष्टदेव ( ishtdev) का अगर आपको पता होगा तो आप भगवान तक आसानी से पहुंच पायेंगे और भक्ति का सही मार्ग सुगम होगा।
ईष्ट देव किसे कहते है
ऐसा इसलिए कि ईश्वर की कृपा जीवन में सबसे जरूरी है क्योंकि उन्हीं की कृपा से जीवन में सुख शांति मिलती है, हमें दुखों का सामना करने की शक्ति मिलती है। लेकिन बहुत कम लोगों को अपने ईष्ट का पता होता है। हमारे इष्ट देवी या देवता कौन हैं और हमें किन की पूजा करनी चाहिए जिससे हमारे सभी दुखों का अंत होगा। इसके लिए हम जन्मकुंडली का सहारा लेते है और ग्रहों की स्थिति से जातक के इष्ट का पता लगाते हैं। इष्ट देव का अर्थ होता है अपनी पसंद के देवता. जन्म कुंडली ( kundali) और नाम की राशि से भी व्यक्ति के इष्ट देव का पता लगाया जाता है. जन्म कुंडली में जिस भाव में चंद्रमा होता है व्यक्ति की वही राशि होती है. राशि के अनुसार व्यक्ति के ईष्ट देव का पता लगाया जा सकता है
महाभारत काल में गीता के समय श्रीकृष्ण ने अर्जुन को ईष्ट की महत्ता का बखान किया था-
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणम् व्रज।
अहं तवां सर्वेपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।।
श्रीकृष्ण ने कहा था- अर्जुन सब का त्याग कर एकमात्र मेरी ही शरण में आ जाओ। मैं तुम्हारे सारे पापो से तुमको मुक्त कर दूंगा। ईष्ट अपनी शरण में आये भक्त का पूरा उत्तरदायित्व अपने ऊपर ले लेते है और उसके समस्त पापो को क्षमा कर देते है। इसलिए इष्टदेव के ज्ञान से हम अपने किये गए पाप से दूर हो जाते है।
कुंडली के पंचम भाव में ईष्टदेव
कुंडली के पंचम भाव जो ग्रह होते हैं उसके स्वामी के आधार पर इष्टदेव का निर्धारण करते हैं। अगर पंचम भाव में सूर्य है तो ईष्टदेव भगवान विष्णु व राम, चन्द्र है तो ईष्ट शिव, पार्वती, कृष्ण ,मंगल है तो हनुमान, कार्तिकेय, स्कन्द, बुध है तो दुर्गा, गणेश,,बृहस्पति है तो ब्रह्मा, विष्णु,,शुक्र है तो लक्ष्मी, दुर्गा देवी गौरी, शनि है तो भैरव, यम, हनुमान., राहु है तो सरस्वती, शेषनाग, भैरव और केतु है तो गणेश भगवान की पूजा करें।
कुंडली में राशि के अनुसार ईष्टदेव और लाभ
जन्म कुंडली में 12 राशिया होती है और लग्न में जो राशि होती है उस राशि का स्वामी व्यक्ति का स्वामी होता है उस स्वामी के प्रमुख देवता उसके ईष्टदेव होते हैं। उदाहरण के लिये मेष लग्न की कुंडली है और इस लग्न का स्वामी मंगल है तो ईष्टदेव हनुमानजी है।
- मेष राशि का स्वामी ग्रह मंगल है। ऐसे में हनुमानजी की पूजा के अलावा इस राशि के जातक सूर्य देव या फिर भगवान विष्णु को अपना इष्टदेव मानकर इनकी पूजा कर सकते हैं तो धनवान रहते हैं।
- वृष राशि वालों की ईष्ट देव मां लक्ष्मी होती हैं, इन जातकों को मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इस राशि वालों को देवी लक्ष्मी के साथ नारायण की नियमित पूजा से सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
- मिथुन राशि के व्यक्ति के इष्ट देव श्री गणेश हैं, अत: उनकी पूजा करें। वहीं कुछ लोग मां लक्ष्मी को ही इस राशि की इष्ट देवी भी मानकर पूजा करते हैं। गणेश जी की पूजा जहां किसी भी समस्या से बाहर आने में आपकी सहायता करेगी। वहीं मां लक्ष्मी से आपको भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी।
- कर्क राशि के इष्टदेव चंद्रमा है और इन लोगों के इष्ट देव शिवजी हैं। इनकी पूजा से विशेष फल मिलता है। तीव्र बुद्धि का होता है।
- सिंह राशि आपकी राशि के स्वामी सूर्य है और आप गणेशजी को अपना इष्ट मानकर पूजा कर सकते हैं।इसके अलावा इष्ट देव हनुमान जी और मां गायत्री हैं।
- कन्या राशि के जातक का स्वामी है बुध है। इस राशि के जातक मां काली और गणेश जी की पूजा करें। तो उन्नति करते है।
- तुला राशि के जातक स्वामी शुक्र ग्रह है और इसलिए इनकी इष्ट देवी मां दुर्गा हैं, उन्हें इनकी आराधना करनी चाहिए। इसके अलावा जातक को शनिदेव को अपना इष्ट मानना चाहिए। इससे किसी चीज की कमी नहीं होती और हमेशा मान-सम्मान बढ़ता है।
- वृश्चिक राशि के जातक स्वामी ग्रह मंगल है इसलिए ईष्टदेव हनुमानजी और राम जी और कार्तिकेयजी को अपना इष्टदेव माकर पूजना चाहिए।
- धनु राशि के जातक स्वामी ग्रह गुरु हैं और उनके इष्ट देव विष्णु जी और लक्ष्मी जी हैं। साथ में हनुमानजी को अपना इष्टदेव मान सकते हैं। इनकी पूजा करने से मंगल ही मंगल होता है।
- मकर राशि के जातक स्वामी शनि हैं इसलिए उनके इष्ट देव हनुमान जी और शिव जी है. उनकी पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
- कुंभ राशि के जातक स्वामी शनि हैं इसलिए उनके इष्ट देव हनुमान जी और शिव जी हैं। उनकी पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु या मां सरस्वती को अपना इष्टदेव मान सकते हैं। जीवन हमेशा सुखमय रहेगा।
- मीन राशि के जातक स्वामी ग्रह गुरु हैं और उनके इष्ट देव विष्णु जी और लक्ष्मी जी हैं। शिवजी को अपना इष्टदेव मान सकते हैं, साथ में हर पूर्णिमा को चांद को अर्घ्य जरूर दें। किसी भी कार्य में कोई भी बाधा नहीं आता।