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Jagannath Rath Yatra 2021: इस दिन से शुरू हो रही जगन्नाथ रथ यात्रा, जानिए तिथि, मुहूर्त और शुभ योग
Jagannath Rath Yatra 2021 इस साल यह रथयात्रा जुलाई 12 (सोमवार) से शुरू होगी और देवशयनी एकादशी के दिन समाप्त होगी।
कब से शुरू होगी पुरी जगन्नाथ यात्रा
हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है। हिंदू धर्म में जगन्नाथ यात्रा का बहुत महत्व है। भगवान विष्णु के अवतार भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र और बहन
देवी सुभद्रा के साथ जगन्नाथ यात्रा पुरी में आयोजित की जाती है। इस साल यह रथयात्रा जुलाई 12 (सोमवार) से शुरू होगी और देवशयनी एकादशी के दिन समाप्त होगी।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को इस यात्रा के जरिए भगवान जगन्नाथ प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मंदिर में जाते हैं। यह विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा है जो देश-दुनिया में जाना जाता है।
यात्रा शुरू होने का समय
12 जुलाई को रथ यात्रा के समय अश्लेषा नक्षत्र और रवि योग रहेगा। जो यात्रा को सुखद बनाएंगे।इस दिन शुभ काल और तिथि....
द्वितीया तिथि का आरंभ- 11 जुलाई को 07.49 से
द्वितीया तिथि का समापन-12 जुलाई को 08.21 तक
अभिजीत मुहूर्त - 12:05 PM – 12:59 PM
अमृत काल - 01:35 AM – 03:14 AM
ब्रह्म मुहूर्त - 04:16 AM – 05:04 AM
जगन्नाथ रथ यात्रा से मोक्ष की प्राप्ति
दुनिया के कोने-कोने से 10 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा को देखने और शामिल होने आते हैं। इसकी महिमा अपार है। यह रथयात्रा उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर से आयोजित की जाती है जिसमें भक्तों की संख्या लाखों होती है। पुरी में भगवान जगन्नाथ के रुप में भगवान श्रीकृष्ण के साथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र उपस्थित हैं। इन तीनों का विशाल रथ 10 दिनों के लिए बाहर निकलता है इस अवसर के दौरान हजारों भक्त पुरी में आते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि भगवान जगन्नाथ के रथ की मात्र झलक मिल जाने से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। इस बार कोरोना की वजह से रथ यात्रा के नियम पुरे किये जाएंगे। श्रद्धालुओं के आने पर प्रतिबंध रहेगा।
उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर है जो 4 पवित्र धामों में से एक है। मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में एकबार जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करना चाहिए। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा भी शामिल होते हैं। रथ यात्रा के दौरान पूरी श्रद्धा और विधि विधान के साथ तीनों की आराधना की जाती है ।
पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर वर्त्तमान मंदिर 800 वर्ष से अधिक प्राचीन है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण, जगन्नाथ रूप में विराजित है। साथ ही यहां उनके बड़े भाई बलराम (बलभद्र या बलदेव) और उनकी बहन देवी सुभद्रा की पूजा की जाती है।
बलभद्र के रथ को 'तालध्वज' कहा जाता है, जो यात्रा में सबसे आगे चलता है और सुभद्रा के रथ को 'दर्पदलन' या 'पद्म रथ' कहा जाता है जो कि मध्य में चलता है। जबकि भगवान जगन्नाथ के रथ को 'नंदी घोष' या 'गरुड़ ध्वज' कहते हैं, जो सबसे अंत में चलता है।
भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ 45.6 फीट ऊंचा, बलरामजी का तालध्वज रथ 45 फीट ऊंचा और देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ 44.6 फीट ऊंचा होता है। ये सभी रथ नीम की पवित्र और परिपक्व काष्ठ (लकड़ियों) से बनाये जाते है, जिसे 'दारु' कहते हैं। धर्मानुसार रथ यात्रा में शामिल व्यक्ति को बैकुंठ की प्राप्ति होती है।