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भारत के इस मंदिर का नाम सुनते ही थर-थर कांपने लगता है पाकिस्तान, जानें क्यों?

जैसलमेर भारत-पाक सीमा से सटा तनोट गांव। यहां स्थित मातेश्वरी तनोट राय का मंदिर समूचे देश में विख्यात है। नवरात्र पर साल में दो बार लगने वाले मेले में देशभर से हजारों की संख्या में भक्त तनोट माता के दर्श नार्थ पहुंचते हैं।

Aditya Mishra
Published on: 23 Jan 2020 2:56 PM IST
भारत के इस मंदिर का नाम सुनते ही थर-थर कांपने लगता है पाकिस्तान, जानें क्यों?
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जयपुर: जैसलमेर भारत-पाक सीमा से सटा तनोट गांव। यहां स्थित मातेश्वरी तनोट राय का मंदिर समूचे देश में विख्यात है। नवरात्र पर साल में दो बार लगने वाले मेले में देशभर से हजारों की संख्या में भक्त तनोट माता के दर्श नार्थ पहुंचते हैं।

यहां से पाकिस्तान बॉर्डर मात्र 20 किलोमीटर दूर है। 1965 के युद्ध के दौरान माता के चमत्कारों के आगे नतमस्तक हुए पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान ने भारत सरकार से यहां दर्शन करने की अनुमति देने का अनुरोध किया।

बीएसएफ की आराध्य हैं देवी मां, बताया जाता है कि तनोट माता बीएसएफ की आराध्य हैं। बीएसएफ के जवान ही मंदिर की देखरेख करते हैं। 1965 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना की ओर से माता मंदिर के इलाके में करीब 3000 बम गिराए थे।

लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ और सभी बम बेअसर हो गए थे। इसके बाद से ही जब भी पाकिस्तानी इस मंदिर का नाम सुनते हैं तो डर के मारे थर-थर कांपने लगते हैं।

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चमत्कार देख झुक गया था पाकिस्तानी ब्रिगेडियर

मंदिर परिसर में आज भी करीब 450 पाकिस्तानी बम आम लोगों के देखने के लिए रखे गए हैं। बताया जाता है कि ये सभी बम उस समय फटे ही नहीं थे। 1965 के युद्ध के दौरान माता के चमत्कारों को देखकर पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान नतमस्तक हो गया।

दर्शन की मांगी अनुमति

इसके बाद पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान तनोट राय माता मंदिर के दर्शन के लिए भारत सरकार से अनुमति मांगी। बताया जाता है कि करीब ढाई साल बाद उसे दर्शन को अनुमति मिली। इसके बाद शाहनवाज खान ने माता की प्रतिमा के दर्शन किए और मंदिर चांदी का छत्र भी चढ़ाया, जो आज भी मंदिर में है।

विजय स्तंभ भी है यहां

देवी मां के इस मंदिर का रख-रखाव सीमा सुरक्षा बल ( बीएसएफ ) ही करता है। 1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध की याद में एक विजय स्तंभ का भी निर्माण किया गया है। ये स्तंभ भारतीय सेनिकों की वीरता की याद दिलाता है।

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रुमाल बांधकर मांगते हैं मन्नत

तनोट माता को रुमाल वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है। माता तनोट के प्रति प्रगाढ़ आस्था रखने वाले भक्त मंदिर में रुमाल बांधकर मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर रुमाल खोला जाता है।

यह माता के प्रति बढ़ती आस्था ही है कि दूर-दराज से हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु पैदल यात्रा कर माता के दरबा र में पहुंचते हैं और पैदल जाने वाले भक्तों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। तनोट माता के दर्श नार्थ आने वाला हर श्रद्धालु मन्नत लेकर आता है और रुमाल बांधकर माता के प्रति अपनी आस्था प्रकट करता है।

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Aditya Mishra

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