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James Webb Space Telescope: क्रिसमस पर लॉन्च हो रहा है जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप, दुनिया को मिलेंगी 'अंतरिक्ष की नई आंखें'

James Webb Space Telescope: NASA ने ट्वीट कर कहा कि JWST को एरियन-5 ईसीए (Ariane 5 ECA) रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा

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Newstrack NetworkPublished By Ragini Sinha
Published on: 25 Dec 2021 7:19 AM GMT
James Webb Space Telescope
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James Webb Space Telescope: क्रिसमस पर लॉन्च हो रहा है जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (social media)

James Webb Space Telescope: क्रिसमस के दिन यानी आज दुनिया को अंतरिक्ष की नई आंखें मिलने वाली है। इसका नाम है जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (JWST)। इसे लोग अंतरिक्ष की खिड़की भी कह रहे हैं। दिव्य दृष्टि वाली ये आंखें ब्रह्मांड की सुदूर गहराइयों में मौजूद आकाशगंगाओं, एस्टेरॉयड, ब्लैक होल्स, ग्रहों, Alien ग्रहों, सौर मंडलों समेत अन्य चीजों की खोज करेंगी। इतना ही नहीं ये स्पेस अंतरिक्ष के अंधेरे के अंत तक की खोज करेगा। साथ ही ये ब्रह्मांड के सुदूर इलाकों की तस्वीरें और रहस्य को भी खंगालेगा। इसकी लॉन्च की पुष्टि NASA ने कर दी है।

Nasa का ट्वीट

NASA ने ट्वीट कर कहा कि JWST को एरियन-5 ईसीए (Ariane 5 ECA) रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। रॉकेट लॉन्च के लिए पूरी तरह से तैयार है और इसे लॉन्च पैड पर भी खड़ा कर दिया गया है। इसकी लॉन्चिंग फ्रेंच गुएना स्थित कोरोऊ लॉन्च स्टेशन से इसकी होगी। फिलहाल, वहां का मौसम अभी अच्छा नहीं है। nasa को उम्मीद है की इसे भारतीय समय के अनुसार 25 दिसंबर को शाम 5.50 बजे से 6.22 बजे के बीच संभावित है।

कैसा है स्पेस टेलिस्कोप

  • जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (James Webb Space Telescope - JWST) की आंखें यानी गोल्डेन मिरर की चौड़ाई करीब 21.32 फीट है।
  • ये एक तरह के रिफलेक्टर हैं
  • इसमें ऐसे 18 षटकोण लगे हैं, जो कई षटकोण के टुकड़ों को जोड़कर बनाए गए हैं।
  • ये बेरिलियम (Beryllium) से बने हैं।
  • हर षटकोण के ऊपर 48.2 ग्राम सोने की परत लगाई गई है।
  • ये सारे षटकोण एकसाथ मुड़कर इसे लॉन्च करने वाले रॉकेट के कैप्सूल में फिट हो जाएंगे।
  • यह धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर अंतरिक्ष में स्थापित होगा।
  • अंतरिक्ष में अगर यह सलामत रहा तो 5 से 10 साल काम करेगा।
  • इसके गोल्डेन मिरर को एयरोस्पेस कंपनी नॉर्थरोप ग्रुमेन ने बनाया है।
  • जो कई ये षटकोण बेरिलियम (Beryllium) से बने हैं।

क्या कहना है Nasa का

Nasa के सिस्टम इंजीनियर बेगोना विला ने बताया है कि, इस स्पेस के जरिए हम किसी भी तारे की एक तस्वीर नहीं देखेंगे। हमें स्पेस के हर षटकोण से उसकी तस्वीर मिलेगी। इसका मतलब ये हुआ की एक ही ऑब्जेक्ट की 18 तस्वीरें एकसाथ दिखेंगी। ऐसे में हमारा काम बढ़ जाएगा की कौन सा तारा क्या है। इसके लिए हमें इससे मिलने वाली सारी तस्वीरों को जोड़ना होगा।

दिल्ली के सालाना बजट से ज्यादा है जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप की लागत

  • जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप के लॉन्च होने के बाद पूरे एक साल तक दुनिया भर के 40 देशों के साइंटिस्ट इसके ऑपरेशन पर नजर रखेंगे।
  • कई साइंटिस्ट को तो ये भी नहीं पता होगा कि इस टेलिस्कोप का कॉन्सेप्ट 30 साल पहले आया था।
  • अच्छी बात ये हैं कि इस टेलिस्कोप को हबल टेलिस्कोप की तरह रिपेयर करने के लिए नहीं जाना पड़ेगा।
  • इसकी रिपेयरिंग और अपग्रेडेशन जमीन पर बैठे ऑब्जरवेटरी से पांच बार किया जा सकेगा।
  • इसे बनाने में मुख्य तौर नासा, यूरोपियन स्पेस एजेंसी और कनाडाई स्पेस एजेंसी ने काम किया है।
  • यानी जो तारे, सितारे, नक्षत्र, गैलेक्सी बहुत दूर और धुंधले हैं, उनकी भी तस्वीरें खींच लेगा।
  • जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप मिशन की लागत 10 बिलियन यूएस डॉलर्स है. यानी 73,616 करोड़ रुपए
  • ये दिल्ली सरकार के इस साल के बजट से करीब 4 हजार करोड़ रुपए ज्यादा है।
Ragini Sinha

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