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उपनयन -जनेऊ संस्कार शुभ मुहूर्त Janeu Sanskar 2023 Muhurat : कब-कब है साल 2023 में प्रमुख तिथियां, जानिए यहां पूरी लिस्ट

Janeu Sanskar 2023 Muhurat : पुरातनकाल से चला आ रहा उपनयन -जनेऊ संस्कार प्रतीकात्मक विधानों के माध्यम से बालक में ऐसी क्षमता उत्पन्न करता है, जिससे वह सभ्यता और संस्कृति की रक्षा करने में अपना योगदान देता है।

Suman  Mishra
Written By Suman Mishra
Published on: 11 Nov 2022 2:20 PM IST
Janeu-Sanskar Muhurat 2023
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सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

जनेऊ संस्कार 2023 का शुभ मुहूर्त और तिथियां

Janeu-Sanskar Muhurat 2023

जनेऊ संस्कार : जनेऊ अर्थात यज्ञोपवीत महज धागों की डोर ही नहीं होती बल्कि इसमें हमारे संस्कार, कर्तव्यपरायणता व दृढ़ निश्चय समाहित होते हैं। हिन्दू धर्म में यज्ञोपवीत के बिना किसी भी तरह का धार्मिक या मांगलिक कार्य नहीं होता। हिन्दुओं के 16 संस्कारों में से एक है यज्ञोपवीत संस्कार। इस संस्कार के द्वारा बालक वर्ण अथवा जाति का सदस्य बनता है और द्विज कहा जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार उपनयन संस्कार आवश्यक है। शास्त्र कहते हैं कि यज्ञोपवीत हमारे हृदय को स्पर्श कर हमें बार-बार उन तीन ऋणों को याद दिलाते हैं जिनसे उऋण होने का हमेशा प्रयत्न किया जाना चाहिए।

'द्विज' का शाब्दिक अर्थ होता है पुन: जन्म लेना। धर्मशास्त्रों के अनुसार एक बार बालक का जन्म मां के गर्भ से होता है और दूसरी बार उसे संस्कारों के माध्यम से जन्म देकर समाज का हिस्सा बनाया जाता है। भारतीय समाज में व्यक्ति का संपूर्ण जीवन संस्कारों से घिरा होता है जो समय-समय पर कार्यान्वित किए जाते हैं। जन्म से मृत्यु तक संपूर्ण जीवन संस्कारों से शुद्ध एवं पवित्र होता है।

संस्कार विहीन जीवन अपवित्र, अपूर्ण तथा अव्यवस्थित माना जाता है। यज्ञोपवीत संस्कार प्रतीकात्मक विधानों के माध्यम से बालक में ऐसी क्षमता उत्पन्न करता है, जिससे वह सभ्यता और संस्कृति की रक्षा करने में अपना योगदान देता है।

जनवरी में 2023 में जनेऊ संस्कार की तिथियां

22 जनवरी 2023, रविवार प्रतिपदा 10:27 PM तक , शुक्ल पक्ष श्रवण

25 जनवरी 2023, बुधवार चतुर्थी 12:34 PM तक माघ, शुक्ल पक्ष पूर्व भाद्रपद

26 जनवरी 2023, गुरुवार पञ्चमी 10:28 AM तक माघ, शुक्ल पक्ष उत्तर भाद्रपद

30 जनवरी 2023, सोमवार नवमी 10:11 AM तक माघ, शुक्ल पक्ष कृत्तिका

फरवरी 2023 में जनेऊ संस्कार की तिथियां

08 फरवरी 2023, बुधवार तृतीया 06:23 AM, तक फाल्गुन, कृष्ण पक्ष पूर्वाफाल्गुनी

10 फरवरी 2023, शुक्रवार चतुर्थी 07:58 AM तक फाल्गुन, कृष्ण पक्ष हस्त

22 फरवरी 2023, बुधवार तृतीया 03:24 AM, तक फाल्गुन, शुक्ल पक्ष उत्तर भाद्रपद

23 फरवरी 2023, गुरूवार चतुर्थी 01:33 AM, तक फाल्गुन, शुक्ल पक्ष रेवती

24 फरवरी 2023, शुक्रवार पञ्चमी 12:31 AM, तक फाल्गुन, शुक्ल पक्ष अश्विनी

मार्च 2023 में जनेऊ संस्कार की तिथियां

01 मार्च 2023, बुधवार दशमी पूर्ण रात्रि तक फाल्गुन, शुक्ल पक्ष मॄगशिरा

02 मार्च 2023, गुरूवार दशमी 06:39 AM तक फाल्गुन, शुक्ल पक्ष आर्द्रा

03 मार्च 2023, शुक्रवार एकादशी 09:11 AM तक फाल्गुन, शुक्ल पक्ष पुनर्वसु

08 मार्च 2023, बुधवार प्रतिपदा 07:42 PM तक चैत्र, कृष्ण पक्ष उत्तराफाल्गुनी

09 मार्च 2023, गुरूवार द्वितीया 08:54 PM तक चैत्र, कृष्ण पक्ष हस्त

22 मार्च 2023, बुधवार प्रतिपदा 08:20 PM तक चैत्र, शुक्ल पक्ष उत्तर भाद्रपद

23 मार्च 2023, गुरूवार द्वितीया 06:20 PM तक चैत्र, शुक्ल पक्ष रेवती

26 मार्च 2023, रविवार पञ्चमी 04:32 PM तक षष्ठी चैत्र, शुक्ल पक्ष कृत्तिका

31 मार्च 2023, शुक्रवार दशमी 01:58 AM, Apr 01 तक चैत्र, शुक्ल पक्ष पुष्य


मई 2023 में जनेऊ संस्कार की तिथियां

01 मई 2023, सोमवार एकादशी 10:09 PM तक वैशाख, शुक्ल पक्ष पूर्वाफाल्गुनी

07 मई 2023, रविवार द्वितीया 08:15 PM तक ज्येष्ठ, कृष्ण पक्ष अनुराधा

10 मई 2023, बुधवार पञ्चमी 01:49 PM तक षष्ठी ज्येष्ठ, कृष्ण पक्ष पूर्वाषाढा

21 मई 2023, रविवार द्वितीया 10:09 PM तक तृतीया ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष रोहिणी

22 मई 2023, सोमवार तृतीया 11:18 PM तक चतुर्थी ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष मॄगशिरा

24 मई 2023, बुधवार पञ्चमी 03:00 AM, May 25 तक ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष पुनर्वसु

29 मई 2023, सोमवार नवमी 11:49 AM तक ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष उत्तराफाल्गुनी

जून 2023 में जनेऊ संस्कार की तिथियां

01 जून 2023, गुरूवार द्वादशी 01:39 PM तक ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष स्वाती

05 जून 2023, सोमवार प्रतिपदा 06:38 AM तक आषाढ़, कृष्ण पक्ष मूल

06 जून 2023, मंगलवार तृतीया 12:50 AM, आषाढ़, कृष्ण पक्ष पूर्वाषाढा

08 जून 2023, गुरूवार पञ्चमी 06:58 PM तक आषाढ़, कृष्ण पक्ष श्रवण

19 जून 2023, सोमवार प्रतिपदा 11:25 AM तक आषाढ़, शुक्ल पक्ष आर्द्रा

21 जून 2023, बुधवार तृतीया 03:09 PM तक आषाढ़, शुक्ल पक्ष पुष्य

जनेऊ संस्कार मुहूर्त 2023

हिन्दू धर्म में प्रत्येक व्यक्ति जनेऊ पहन सकता है और उसके नियमों का पालन कर सकता है। ब्राह्मण ही नहीं समाज का हर वर्ग जनेऊ धारण कर सकता है। जनेऊ धारण करने के बाद ही द्विज बालक को यज्ञ तथा स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त होता है।जो लोग जनेऊ पहनते हैं और इससे जुड़े नियमों का पालन करते हैं, वे मल-मूत्र त्याग करते वक्त अपना मुंह बंद रखते हैं। इसकी आदत पड़ जाने के बाद लोग बड़ी आसानी से गंदे स्थानों पर पाए जाने वाले जीवाणुओं और कीटाणुओं के प्रकोप से बच जाते हैं।

Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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