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Janmashtami 2021: बहुत खास है इस बार की कृष्ण जन्माष्टमी, बन रहे हैं ये शुभ योग
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस बार जन्माष्टमी पर्व पर सोमवार को अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में पड़ रही है। ऐसा संयोग कई वर्षों बाद पड़ रहा है।
आगरा: पिछले कई वर्षों से जन्माष्टमी पर्व का व्रत 2 दिन तक रखा जाता रहा है। पहले दिन स्मार्त समुदाय के लोग व्रत करते हैं और उसके दूसरे दिन वैष्णव समुदाय के लोग व्रत करते हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो पहले दिन का व्रत साधु संत समाज के लोग करते हैं और दूसरे दिन का व्रत गृहस्थ जीवन जीने वाले करते हैं, लेकिन इस बार साधु-संत और गृहस्थ दोनों एक ही दिन यानी 30 अगस्त 2021 को जन्माष्टमी का व्रत करेंगे। क्योंकि इस बार 30 अगस्त 2021 की आधी रात के बाद से यानी रात्रि 2 बजकर 2 मिनट के बाद से नवमी तिथि लग जाएगी। इसलिए इस बार सभी स्थानों पर सभी समुदाय के लोगों के लिए 30 अगस्त के ही दिन व्रत करना श्रेष्ठ और उचित होगा वैदिक हिन्दू ज्योतिष के अनुसार। इसी दिन गोकुलाष्टमी और नंदोत्सव भी मनाया जाएगा।
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस बार जन्माष्टमी पर्व पर सोमवार को अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में पड़ रही है। ऐसा संयोग कई वर्षों बाद पड़ रहा है। क्योंकि 30 अगस्त 2021 सोमवार को मध्य रात्रि में रोहिणी नक्षत्र मौजूद होगा और 30 अगस्त 2021 सोमवार को सूर्योदय में उदित तिथि में अष्टमी तिथि आरम्भ हो जाएगी जो कि मध्य रात्रि के बाद 2 बजकर 2 मिनट तक रहेगी और उसी दिन 30 अगस्त 2021 की सुबह से रोहिणी नक्षत्र सुबह 6 बजकर 40 मिनट से आरम्भ हो जाएगा जो कि 31अगस्त 2021 को सुबह 9 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं बहुत दुर्लभ शुभ संयोग है इस बार के श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर।
उन्होंने बताया कि पौराणिक काल से कहा जाता रहा है कि भगवान सिर्फ भाव के भूखे होते हैं। इसलिए अगर जन्माष्टमी पर्व के दिन आप प्रेमपूर्वक भगवान की पूजा अर्चना करें तो वे अत्यंत आनंदित होते हैं और अपने भक्त पर हमेशा अपनी कृपा बनाकर रखते हैं। साथ ही उनके सारे दुख हर लेते हैं। अगर आप भी इस जन्माष्टमी पर्व पर भगवान को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो पूजा के दौरान कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें।
पूजा विधि
1- जन्माष्टमी पर मध्य रात्रि में 12 बजे नार वाले खीरे से श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप का जन्म कराए। नार वाले खीरे को देवकी मां के गर्भ का प्रतीक माना जाता है।
2- श्रीकृष्ण के जन्म के बाद उनका अभिषेक शंख में दूध डालकर करें। इससे भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं। आप चाहें तो दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल, इन पांच चीजों से भी अभिषेक कर सकते हैं।
3- अभिषेक के बाद नन्हें कन्हैया को सुंदर वस्त्र पहनाएं, मुकुट पहनाएं और सुसज्जित झूले में बिठाएं।
4- कृष्ण जन्माष्टमी के दिन धार्मिक स्थल पर जाकर फल और अनाज दान करें।
5- नन्हें कान्हा के लिए एक बांसुरी और मोरपंख लाकर रखें। इसे पूजा के दौरान भगवान को अर्पित करें।
6- जन्माष्टमी के दिन नन्हे कान्हा को माखन और मिश्री का भोग जरूर लगाएं। साथ ही कान्हा के पूजन में तुलसी का इस्तेमाल करें।
7- एक से पांच साल तक के किसी भी बच्चे को अपनी अंगुली से माखन और मिश्री चटाएं। इससे आपको भी महसूस होगा कि आप कन्हैया को भोग लगा रहे हैं।
8- इस दिन गाय-बछड़े की प्रतिमा घर लेकर आएं और पूजा के स्थान पर रखकर उनकी भी पूजा करें।
9- घर के आसपास कहीं गाय हो तो गाय की सेवा करें। उसे चारा खिलाएं या रोटी बनाकर खिलाएं और आशीर्वाद लें। श्रीकृष्ण एक ग्वाले थे, इसलिए वे गाय की पूजा करने वालों से अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
10- भगवान को पीला चंदन लगाएं। पीले वस्त्र पहनाएं और हरसिंगार, पारिजात या शेफाली के फूल भगवान को जरूर अर्पित करें।