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Jaya Ekadashi 2024 Date: कब है जया एकादशी का व्रत, जानिए इस दिन क्या करें कि मिलेगा वाजपेय यज्ञ का फल
Jaya Ekadashi 2024 Date : 20 फरवरी 2024 जया एकादशी व्रत मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन विधिनुसार व्रत रखने फल मिलता है।
Jaya Ekadashi 2024 Date:इस साल 2024 में जया एकादशी व्रत 20 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन विधिनुसार व्रत रखने , पूजा करने से परमपद की प्राप्ति और वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। माघ माह में स्नान, दान और व्रत का फल अन्य महीनों की तुलना में अधिक मिलता है। इसके अलावा इस माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का भी विशेष महत्व बताया गया है। जया एकादशी का व्रत माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
यह व्रत 20 फरवरी को मनाया जा रहा है. जया एकादशी का जिक्र करते हुए शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धा से करता है उसे मरने के बाद भूत नहीं बनना पड़ता। जानते हैं जया एकादशी व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त.....................
जया एकादशी शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है। वर्ष 2024 में इस तिथि की शुरुआत 19 फरवरी को सुबह 8 बजे से 49 मिनट पर होगी और वहीं इसकी समाप्ति 20 फरवरी को सुबह 9 बजे से 55 मिनट पर होगी। जो जया 20 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन आप व्रत रख सकते हैं और व्रत का पारण 21 फरवरी से सुबह 6 बजे तक 55 मिनट से 9 बजे तक 11 मिनट तक कर सकते हैं।
अमृत काल – 05:35 PM से 07:22 PM
ब्रह्म मुहूर्त – 04:52 AM से 05:43 AM
विजय मुहूर्त- 02:02 PM से 02:46 PM
गोधूलि बेला- 05:31 PM से 05:55 PM
जया एकादशी 2023 पारण समय- 02 फरवरी 2023 पूर्वाह्न 07:09 बजे से 09:19 पूर्वाह्न तक
जया एकादशी पूजा विधि
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बहुत ही शुभ माना जाता है। इस व्रत को करने से प्राणी के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। इनमें से जया एकादशी इस जन्म और पूर्व जन्म के सभी पापों को नष्ट करने वाली सर्वोत्तम तिथि है। इतना ही नहीं, यह ब्रह्महत्या और राक्षसी आचरण जैसे जघन्य पापों को भी नष्ट करने वाला है। श्री विष्णु की प्रिय इस एकादशी का भक्तिपूर्वक व्रत करने से व्यक्ति को कभी पिशाच या भूत-प्रेत की योनि में नहीं जाना पड़ता और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी के लिए पदमपुराण में कहा गया है कि जिसने 'जया एकादशी' का व्रत किया है, उसने सभी प्रकार के दान दिए हैं और सभी यज्ञ किए हैं। इस व्रत को करने से भक्त को अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है।
इस दिन साधक को सुबह स्नान करके सात्विक रहना चाहिए और भगवान विष्णु की मूर्ति को 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करते हुए पंचामृत से स्नान कराना चाहिए और वस्त्र, चंदन, जनेऊ, गंध, अक्षत, फूल, तिल अर्पित करना चाहिए। बीज, धूपबत्ती, नैवेद्य, मौसमी फल, पान, नारियल आदि चढ़ाकर कर्पूर से आरती करनी चाहिए। रात में और द्वादशी के दिन भगवान श्रीहरि का जागरण करें, गरीबों को भोजन कराएं और जरूरतमंदों की मदद करें। सात्विक भोजन करें और किसी भी प्रकार के विकारों से दूर रहें।
जया एकादशी के दिन करें ये उपाय
जया एकादशी व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद घी का दीपक जलाएं और भगवान विष्णु का आह्वान करें। इससे भगवान विष्णु जल्दी प्रसन्न होते हैं और घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।
जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन में तरक्की मिलती है।
जया एकादशी के दिन जगत के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु को प्रसन्न करने के लिए उन्हें पीले वस्त्र, पीले फूल, पीली माला, मिठाई, फल आदि चढ़ाएं। फिर गाय को चारा खिलाएं और जरूरतमंदों को कुछ न कुछ दान करें।
ऐसा कहा जाता है कि पीपल में भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा अवश्य करनी चाहिए। जया एकादशी के दिन किसी मंदिर में स्थित पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और उसके पास देसी घी का दीपक जलाएं।
एकादशी के दिन तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। इस दिन केवल एक समय भोजन करें और वह भी केवल फलाहार होना चाहिए। इस दिन चावल खाने से भी बचना चाहिए।