Jivitputrika Vrat 2022 Date Time: जितिया व्रत संजीवनी बूटी से नहीं है कम, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

jivitputrika 2022 or Jitiya Vrat 2022: धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़ इस व्रत को रखने से संतान प्राप्ति के साथ समस्त दुखों और परेशानियों से उसकी रक्षा हो जाती हैं।

Preeti Mishra
Written By Preeti Mishra
Published on: 1 Sep 2022 8:31 AM GMT
jitiya vrat
X

jitiya vrat (Image credit: social media) 

Click the Play button to listen to article

jivitputrika 2022 or Jitiya Vrat 2022: जितिया व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है। ये व्रत मातायें अपने संतान की लंबी स्वस्थ आयु के लिए रखती है। मान्यताओं के अनुसार अपने संतान के लिए किया गया यह व्रत किसी भी बुरी परिस्थिति में उसकी रक्षा करता है। माताएं अपने बच्चों की मंगल कामना हेतु यह निर्जला व्रत करती है।

इतना ही नहीं काफी समय से संतान की कामना कर रहे दंपति के लिए भी जितिया का व्रत किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है। यह कठिन व्रत ख़ास कर उत्तर प्रदेश समेत बिहार, झारखंड और वेस्ट बंगाल में एक पर्व के तौर पर मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़ इस व्रत को रखने से संतान प्राप्ति के साथ समस्त दुखों और परेशानियों से उसकी रक्षा हो जाती हैं। बता दें कि जितिया का व्रत तीन दिन का व्रत होता है। जो बेहद कठिन व्रत होता है जिसकी शुरुआत नहाय-खाय से होकर पारण तक होती है।

निर्जला उपवास रखती हैं महिलाएं

जितियाव्रत व्रत संतान की दीर्घायु और मंगल कामना के लिए रखा जाता है। माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और उसकी रक्षा के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। तीन दिन तक चलने वाले इस उपवास में महिलाएं जल की एक बूंद भी ग्रहण नहीं करतीं।

जितिया व्रत की तिथि

हिन्दू पंचांग के मुताबिक़ जितिया व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस वर्ष यह उपवास रविवार 18 सितंबर की रात से शुरू होगा और सोमवार 19 सितंबर तक चलेगा। इस व्रत का पारण सोमवार 19 सितंबर को ही किया जाएगा।

जीवित्पुत्रिका व्रत का शुभ मुहूर्त

उल्लेखनीय है कि हिन्दू धर्म के अनुसार शनिवार 17 सितंबर को जितिया व्रत की शुरुआत नहाय खाय के साथ होगी। उसके बाद रविवार 18 सितंबर को निर्जला व्रत रखा जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक़ शनिवार17 सितंबर को दोपहर 2.14 पर अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी और रविवार 18 सितंबर दोपहर 4.32 पर अष्टमी तिथि समाप्त हो जाएगी।

ज्योतिषचार्यों के अनुसार जितिया का व्रत रविवार 18 सितंबर 2022 को रखा जाएगा और इसका पारण सोमवार 19 सितंबर 2022 को किया जाएगा। जबकि सोमवार 19 सितंबर की सुबह 6.10 पर सूर्योदय के बाद मातायें व्रत का पारण कर सकती ह।

पूजन विधि विधि

मन्यताओं के अनुसार इस व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करना चाहिए। इसके बाद व्रत रखने वाली महिलाओं को प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को भी साफ करना चाहिए। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस व्रत के नियम में एक छोटा सा तालाब बनाकर उसके पास एक पाकड़ की डाल खड़ी की जाती है। फिर, शालीवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की मूर्ति को जल के पात्र में स्थापित किया जाता है।

जीमूत वाहन देवता की ही होती है पूजा

बता दें कि अष्टमी तिथि के दिन स्नान करके जीमूत वाहन देवता को पूजा जाता है। जबकि उसी दिन प्रदोष काल में भी जीमूत वाहन देवता की भी पूजाकी जाती है। मान्यता है कि देव को दीप, धूप, अक्षत, रोली, लाल और पीली रूई से सजा कर फिर उन्हें भोग लगाते हैं।

गाय के गोबर और मिट्टी से बही नाई जाती है मूर्ति

इसके अलावा पूजन के समय मिट्टी और गाय के गोबर से चील और सियारिन की मूर्ति बनाकर उन्हें लाल सिंदूर लगाया जाता है। फिर जीवित्पुत्रिका की कथा पढ़ी जाती है। फिर वंश की वृद्धि और प्रगति की कामना के साथ बांस के पत्रों से भगवान की पूजा की जाती है।

पारण

धार्मिक मन्यताओं के मुताबिक़ जितिया व्रत के तीसरे दिन ही पूजा -पाठ के बाद इसका पारण किया जाता है। कई जगहों पर इस दिन भी नहाए खाए वाले दिन ग्रहण किया गया भोजन ही किया जाता है। जैसे- मडुआ की रोटी, नोनी का साग, दही-चूरा, खार आदि ।

Preeti Mishra

Preeti Mishra

Content Writer (Health and Tourism)

प्रीति मिश्रा, मीडिया इंडस्ट्री में 10 साल से ज्यादा का अनुभव है। डिजिटल के साथ-साथ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी काम करने का तजुर्बा है। हेल्थ, लाइफस्टाइल, और टूरिज्म के साथ-साथ बिज़नेस पर भी कई वर्षों तक लिखा है। मेरा सफ़र दूरदर्शन से शुरू होकर DLA और हिंदुस्तान होते हुए न्यूजट्रैक तक पंहुचा है। मैं न्यूज़ट्रैक में ट्रेवल और टूरिज्म सेक्शन के साथ हेल्थ सेक्शन को लीड कर रही हैं।

Next Story