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Jivitputrika Vrat 2022: जितिया व्रत बहुत कठिन, भूल से भी न करें ये गलतियां
Jivitputrika Vrat 2022: उल्लेखनीय है कि माताएं 18 सितंबर रविवार को जितिया का निर्जला व्रत रखेंगी।
Jivitputrika Vrat 2022: संतान की सुख-समृद्धि और लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला जीवित्पुत्रिका यानी कि जितिका व्रत अत्यंत ही कठिन होता है। माएं इसे पूरी श्रद्धा से रखती हैं। इस बार यह व्रत 18 सितंबर रविवार को है। हालाँकि ये व्रत तीन दिन चलने वाला होता है। जिसकी शरुआत शनिवार 17 सितम्बर को नहाय खाय से होगी। 19 सितंबर सोमवार को इस व्रत का पारण किया जाएगा।
बता दें कि ये निर्जला व्रत माताएं अपने संतान की लम्बी आयु , स्वास्थ्य और सुख -समृद्धि के लिए रखती हैं। उल्लेखनीय है कि माताएं 18 सितंबर रविवार को जितिया का निर्जला व्रत रखेंगी। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार इस निर्जला व्रत में कुछ विशेष नियम होते हैं जिनका पालन करना बेहद जरुरी होता है।
व्रत करने से पहले से जरूर जान लें ये बातें
अगर आप भी जितिया का व्रत करने जा रही हैं या परिवार की कोई महिला सदस्य यह व्रत कर रही हैं तो अपने और उनके स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखें। यदि ऐसी व्रती महिला को कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो तो उन्हें इस व्रत करने से बचना चाहिए । चूँकि यह व्रत 24 घंटे से ज्यादा निर्जला रखा जाता है । इसलिए जिनको भी स्वास्थ्य समस्याएं हों उन्हें यह व्रत करने से बचना चाहिए। लेकिन फिर भी अगर ये व्रत करना ही चाहें तो एक बार चिकित्सक की सलाह जरूर ले लें। शास्त्रों के अनुसार व्रत करने वाली महिलाओं को व्रत से एक दिन पूर्व तामसी भोजन यानी लहसन, प्याज और मांसाहार का त्याग कर देना चाहिए।
जितिया पर्व का विशेष है महत्व
चूँकि जितिया व्रत निर्जला होता है इसलिए ऐसे में अपने शरीर को शीतल रखने का प्रयास करें। क्योंकि अगर शरीर ठंडा रहेगा तभी शरीर पानी की कमी को सहन कर पाएगा। ध्यान रहे कि शरीर में अगर पानी की कमी हो तो डिहाइड्रेशन की भी समस्या हो सकती है। इसलिए व्रत के दिन धूप में जानें से बचें क्योंकि धूप में जाने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है और व्रती महिलाएं बीमार भी हो सकती हैं। इसके अलावा व्रत में भूलकर भी काफी अधिक कामकाज करने से भी बचना चाहिए। ताकि शरीर थकान या अन्य स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से बच सके।
व्रत में इन बातों का रखें विशेष ख्याल
किसी भी व्रत का अर्थ हमेशा ही संयम से जुड़ा होता है। इसलिए व्रत के दौरान मन, वचन और कर्म की शुद्धता बेहद जरूरी माना जाता है। ऐसे में मन और शरीर को संयमित रखते हुए किसी के भी प्रति न तो गलत सोचें और न ही बोलें। अन्यथा व्रत से मिलने वाला पुण्य फल नष्ट हो जाता है। वहीं अगर गर्भवती महिलाएंं यह व्रत करना चाहें तो घर की बुजुर्ग महिलाओं से राय लेकर ही करें। उनके लिए बेहतर यही होगा कि वे अपनी संतान की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत करने की बजाए केवल पूजा कर लें। गर्भवती महिलाओं के लिए सिर्फ पूजा करना भी व्रत रखने के बराबर ही माना जाता है।