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July 2022 Festival List: जुलाई के त्योहारों की लिस्ट, यहां जानिए गुरु पूर्णिमा, सावन हरियाली तीज और चार्तुमास कब से हो रहा शुरू
July 2022 Festival List: आषाढ़-सावन मास इस साल 2022 में जुलाई महीने में पड़ रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ चौथा माह है तो अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार जुलाई माह 7वां मास है। इस माह का हर दृष्टि से बहुत महत्व है। इस माह में वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है तो कई पर्व-त्योहार भी आते हैं जो जीवन में ऊर्जा का संचार करते है। जानते हैं कब कौन सा त्योहार है....
सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया
July 2022 Festival List
जुलाई के त्योहारों के लिस्ट
हिंदू पंचांग में आषाढ़-सावन मास का बहुत महत्व है। यह मास इस साल 2022 में जुलाई महीने में पड़ रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ चौथा माह है तो अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार जुलाई माह 7वां मास है। इस माह का हर दृष्टि से बहुत महत्व है। इस माह में वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है तो कई पर्व-त्योहार भी आते हैं जो जीवन में ऊर्जा का संचार करते है। जहां जुलाई में 14 तारीख से सावन मास की शुरूआत होने वाली है। वहीं13 जुलाई को आषाढ़ी पूर्णिमा के साथ इस मास का समापन भी होगा। जानते हैं जुलाई के महीने में कौन-कौन से व्रत त्योहार आएंगे
जुलाई में शुरूआत ही में जगन्नाथरथ यात्रा, देवशयनी एकादशी, पूर्णिमा व्रत, भगवान जगन्नाथ रथयात्रा, गुरु पूर्णिमा और सावन की शुरूआत होगी।
जुलाई 2022 में कितने व्रत त्योहार
1 जुलाई, शुक्रवार- जगन्नाथ रथ यात्रा- विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरूआत होगी। कहते हैं कि इस यात्रा के माध्यम से भगवान जगन्नाथ साल में एक बार प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मंदिर में जाते हैं। 9 दिन मौसी बाड़ी में रहने के बाद वापस आते है।
10 जुलाई, रविवार- देव शयनी एकादशी, आषाढ़ी एकादशी-आषाढ़ मास में भगवान विष्णु की पूजा को विशेष पुण्य बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन से भगवान विष्णु चार मास के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं।
11 जुलाई, सोमवार- प्रदोष व्रत (शुक्ल )-जो व्यक्ति नियम और निष्ठा से प्रत्येक प्रदोष का व्रत रखता है उसके कष्टों का नाश होता है। इस व्रत को करने भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
13 जुलाई, बुधवार- गुरु पूर्णिमा व्रत , आषाढ़ पूर्णिमा व्रत-आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु की पूजा की जाती है। गुरु पूर्णिमा को अपने गुरु की पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है।
14 जुलाई, गुरुवार - सावन की शुरुआत- सावन का महीना बेहद पवित्र है। धार्मिक मान्यता है कि इस माह में भोलेनाथ की विधिवत्त पूजा करने से भोलेशंकर प्रसन्न होते हैं और सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है।
16 जुलाई, शनिवार- संकष्टी चतुर्थी- भगवान गणेश की पूजा और व्रत के लिए उत्तम दिन है।
24 जुलाई, रविवार- कामिका एकादशी-मान्यता है कि इस दिन व्रत धारण करने वाले श्रद्धालुओं को भगवान विष्णु की असीम अनुकंपा प्राप्त होती है। तथा जो श्रद्धालु मंदिर में जाकर घी का दीप दान करते हैं, उनके पितृ स्वर्ग लोक में अमृत पान कर रहे होते हैं।
25 जुलाई, सोमवार- प्रदोष व्रत (कृष्ण)
26 जुलाई, मंगलवार- मासिक शिव रात्रि मासिक शिवरात्रि के दिन रात्रि प्रहर में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है। व्रत रखकर शिव एवं शक्ति की कृपा से मनोकामनाओं की पूर्ति भी करते हैं।
28 जुलाई, गुरुवार- श्रवण अमावस्या-इस मास से सावन महीने की शुरुआत होती है इसलिए इसे हरियाली अमावस्या भी कहते हैं।प्रत्येक अमावस्या की तरह श्रावणी अमावस्या पर भी पितरों की शांति के लिए पिंडदान और दान-धर्म करने का महत्व है।
31 जुलाई, रविवार- हरियाली तीज-इस दिन शिव-पार्वती जी की पूजा और व्रत का विधान है। शिव पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। हरियाली तीज के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं।
सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया
चार्तुमास की शुरूआत
इन सबके साथ ही 10 जुलाई से चातुर्मास का आरंभ होगा। इस दिन एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। क्योंकि सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु इस दिन योग निद्रा में चले जाते हैं।आषाढ़ में देवशयनी एकादशी और चतुर्मास दोनों को हिंदू धर्म में शुभ माना गया है। इस अवधि में खासकर व्रत, देव दर्शन और धार्मिक नियमों के पालन का महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इन चार माह में सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु शयन अवस्था में रहते हैं।। आषाढ़ के देवशयनी एकादशी 10 जुलाई, 2021 से कार्तिक माह के एकादशी तक चातुर्मास माना जाता है । इस चातुर्मास के चार माह की अवधि में सभी शुभ कार्य निषेध होते हैं। इस बार 10 जुलाई को एकादशी तिथि है। इस दिन भगवान विष्णु पाताल लोक चलें जाएंगे यहां पर भगवान विष्णु चार माह तक विश्राम करें। भगवान का अपने शयन में जाने के कारण ही इस तिथि को देवशयनी एकादशी कहते हैं और इसी दिन से चातुर्मास के नियमों का भी पालन शुरू करते हैं।
चार्तुमास माह में वर्जित काम
किसी भी शुभ कार्य को करना अच्छा नहीं मानते है। इन चार महीनों में शादी विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, यज्ञोपवित, नई बहुमूल्य वस्तुओं की खरीद और नामकरण संस्कार जैसे धार्मिक कार्य वर्जित हैं। चार्तुमास का हिन्दू धर्म विशेष महत्व है। इस दौरान चार्तुमास में ध्यान, तप और साधना करनी चाहिए। इस मास में दूर की यात्राओं से भी बचना चाहिए। घर से बाहर तभी निकलना चाहिए जब जरूरी हो। वर्षा ऋतु के कारण कुछ ऐसे जीव-जंतु सक्रिय हो जाते हैं जो हानि पहुंचा सकते हैं। इस मास में व्यक्ति को खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए और अनुशासित जीवनशैली को अपनाना चाहिए। चार्तुमास में सावन के महीना विशेष महत्व है.।सावन चातुर्मास का पहला महीना है. इस माह में हरी सब्जी़, इसके दूसरे माह भादौ में दही,तीसरे माह आश्विन में दूध और चौथे माह में कार्तिक में दाल विशेषकर उड़द की दाल नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाना चाहिए।
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