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June 2022 Me Panchak Kab Hai: काल बनकर आ रहा है जून में पंचक, जानिए कब से कब तक रहना होगा सावधान

June 2022 Me Panchak Kab Hai: जून 2022 में पंचक कब लगेगा? 18 जून शनिवार से लगने वाले पंचक के दिन घनिष्ठा नक्षत्र है। शनिवार को शुरू होने वाला पंचक अनिष्टकारक नहीं हैं, इसमें आप कुछ शुभ काम कर सकते हैं।इसे रोग पंचक कहते हैं।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 16 Jun 2022 1:30 AM GMT (Updated on: 7 July 2022 6:00 AM GMT)
June  2022 Me Panchak Kab Hai:
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सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

June 2022 me Panchak Kab Hai ( जून में पंचक कब है 2022)

साल 2022 के जून में पंचक की शुरुआत 18 जून सुबह 11.12 बजे से हो रही है। इस बार पंचक की शुरुआत शनिवार को हो रही है। शास्त्रोनुसार शनिवार को शुरू होने वाला पंचक को मृत्यु पंचक कहते हैं इसमें शुभ काम नहीं कर सकते हैं। इस दौरान संभलकर रहना चाहिए। इस पंचक में यात्रा करने की मनाही है। इस पंचक ( Panchak) में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के सौदे करने चाहिए। पंचक मना किए गए कार्य करने से धन हानि हो सकती है।

यह पंचक मृत्यु के बराबर परेशानी देने वाला होता है। इन पांच दिनों में किसी भी तरह के जोखिम भरे काम नहीं करना चाहिए। इसके प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना आदि होने का खतरा रहता है।

मृत्यु पंचक के कारण आने वाले 5 दिन विशेष रुप से सर्व कष्ट और मानसिक परेशानियों को देने वाले होते हैं। इस पंचक में शुभ कार्यों को सर्वथा त्यागना चाहिए क्योंकि यह हर तरह के शुभ कार्यों में अशुभ माने जाते हैं। ज्योतिष में पंचक अशुभ नक्षत्रों का योग है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समय-समय पर ग्रहों और नक्षत्रों की चाल की गणना के आधार पर किसी मांगलिक कार्य को करने के लिए समय निर्धारित किया जाता है। इसी को शुभ और अशुभ मुहूर्त ( Good-Bad Time)काहा जाता है। साल 2022 में जून में कब से कब तक है पंचक का समय। जानते हैं..

जून में पंचक की शुरूआत कब से

जून में पंचक का आरंभ

18 जून 2022, 18 जून 2022, शनिवार को शाम 6 बजकर 43 मिनट से शुरू

पंचक का समापन

23 जून 2022, गुरुवार को प्रात: 6 बजकर 14 मिनट पर खत्म। पंचक की शुरुआत के दिन शनिवार नक्षत्र धनिष्ठा और कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि रहेगा।

गरूड़ पुराण में कहा गया है कि यदि पंचक में किसी की मृत्यु होती है तो उसके कुल खानदान में किसी मौत होती है।

पंचक के नक्षत्रों का अलग-अलग अशुभ प्रभाव

इस बार मृत्यु पंचक धनिष्ठा नक्षत्र में लग रहा है जो शुभ रहता है। मंगल से जुड़ी चीजों का प्रयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए। अग्नि से बचना चाहिए। क्रोध से दूर रहना चाहिए और वाणी को मधुर बनाना चाहिए। इस बार शनिवार को पंचक धनिष्ठा नक्षत्र में लगता है। शतभिषा नक्षत्र में वाद-विवाद होने के योग बनते हैं। पूर्वाभाद्रपद रोग कारक नक्षत्र है यानी इस नक्षत्र में बीमारी होने की संभावना सबसे अधिक होती है। उत्तरा भाद्रपद में धन हानि के योग बनते हैं। रेवती नक्षत्र में नुकसान व मानसिक तनाव होने की संभावना होती है। लेकिन शनिवार को लगने वाला पंचक काल बनकर आता है।

पंचक के दौरान ना करें ये काम

  • पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से पहले किसी योग्य पंडित की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। यदि ऐसा न हो पाए तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश (एक प्रकार की घास) से बनाकर अर्थी पर रखना चाहिए और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करना चाहिए, तो पंचक दोष समाप्त हो जाता है। ऐसा गरुड़ पुराण में लिखा है।
  • पंचक में चारपाई बनवाना भी अच्छा नहीं माना जाता। विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि जलने वाली वस्तुएं इकट्ठी नहीं करना चाहिए, इससे आग लगने का भय रहता है।
  • पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है। इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है।
  • पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, उस समय घर की छत नहीं बनाना चाहिए, ऐसा विद्वानों का कहना है। इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है।
  • इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के सौदे भी नहीं करने चाहिए। मना किए गए कार्य करने से धन हानि हो सकती है
  • इस दौरान गृह कार्य का आरंभ नहीं किया जाता है।
  • पंचक में गृह निर्माण नहीं किया जाता है।
  • गृह प्रवेश पंचक में नहीं होता है।
  • मकान का छत ढलाई पंचक में वर्जित होता है।
  • इस दौरान बहु बेटियों को मायके ससुराल नहीं भेजा जाता है।

पंचक में कर सकते हैं कुछ शुभ काम

धार्मिक शास्त्रानुसार, पंचक में आने वाले नक्षत्रों में शुभ कार्य हो सकते हैं। पंचक में आने वाला उत्तराभाद्रपद नक्षत्र वार के साथ मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग बनाता है, वहीं धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र यात्रा, व्यापार, मुंडन आदि शुभ कार्यों में श्रेष्ठ माने गए हैं। पंचक को भले ही अशुभ माना जाता है, लेकिन इस दौरान सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं।

पंचक में आने वाले तीन नक्षत्र पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद व रेवती रविवार को होने से आनंद आदि 28 योगों में से 3 शुभ योग बनाते हैं, ये शुभ योग इस प्रकार हैं- चर, स्थिर व प्रवर्ध। इन शुभ योगों से सफलता व धन लाभ का विचार किया जाता है। इस दौरान यात्रा करना, वाहन खरीदना, मशीनरी संबंधित काम शुरू करना शुभ माना गया है। इसमें स्थिरता वाले काम करने चाहिए जैसे- बीज बोना, गृह प्रवेश, शांति पूजन और जमीन से जुड़े स्थिर कार्य करने में सफलता मिलती है।इस नक्षत्र में कपड़े, व्यापार से संबंधित सौदे करना, किसी विवाद का निपटारा करना, गहने खरीदना आदि काम शुभ माने गए हैं।

आने वाले माह 2022 में कब- कब है पंंचक...

जुलाई में पंचक का आरंभ

15 जुलाई 2022, शुक्रवार को 28 : 19 बजे

जुलाई पंचक का समापन

20 जुलाई 2022, बुधवार को 12:51 बजे- चोर पंचक

अगस्त में पंचक का आरंभ

12 अगस्त 2022 शुक्रवार 14.49 से

अगस्त में पंचक का समापन

16 अगस्त 2022, मंगलवार को 21 :05 बजे- चोर पंचक

सिंतबर में पंचक का आरंभ

9 सिंतबर 2022, बृहस्पतिवार को 10:10 बजे

सिंतबर पंचक का समापन

13 सिंतबर 2022, मंगलवार को 06:36 बजे-अग्नि पंचक

अक्टूबर में पंचक का आरंभ

6 अक्टूबर2022, बृहस्पतिवार को 08.29 बजे- अग्नि पंचक

अक्टूबर पंचक का समापन

10 अक्टूबर 2022, सोमवार को 16:02 बजे- अग्नि पंचक

नंवबर में पंचक का आरंभ

2 नंवबर 2022, बुधवार को 14:16 बजे

नंवबर पंचक का समापन

6 नंवबर 2022, रविवार को 24 :05 बजे- राज पंचक

दिसम्बर में पंचक का आरंभ

26 दिसम्बर 2022 , सोमवार को 27:31 बजे

दिसम्बर पंचक का समापन

31 दिसम्बर 2022, शनिवार को 11.:47 बजे- राज पंचक

पंचक क्या होता है?

ज्योतिष में पंचक को शुभ नक्षत्र नहीं माना जाता है। इसे अशुभ नक्षत्रों का योग मानते हैं। नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहते हैं। जब चन्द्रमा, कुंभ और मीन राशि पर रहता है, तब उस समय को पंचक कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र में पंचक को अशुभ माना गया है। पंचक कितने प्रकार का होता है और इसमें कौन-कौन से काम नहीं करने चाहिए। पंचक के दौरान कुछ विशेष काम करने की मनाही है। इसके अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समय-समय पर ग्रहों और नक्षत्रों की चाल की गणना के आधार पर किसी मांगलिक कार्य को करने के लिए समय निर्धारित किया जाता है। इसी को शुभ और अशुभ मुहूर्त कहा जाता है। शुभ मुहूर्त में कार्य करने पर उस काम में सफलता की प्राप्ति होती है, जबकि अशुभ मुहूर्त में किया गया कार्य में कई तरह की बाधाएं उत्पन्न होती है। जब कभी अशुभ नक्षत्र का योग बनता है तब इस योग को पंचक कहा जाता है। ज्योतिष में पंचक को अशुभ माना गया है।

पंचक कब लगता है ?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पांच नक्षत्रों के संयोग को पंचक कहा जाता है। इन पांच नक्षत्रों में घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती हैं। पंचक का स्वामी ग्रह कुंभ और राशि मीन होती है। प्रत्येक माह आने वाले पंचक में इन पांच नक्षत्रों की भी गणना की जाती है।घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद तथा रेवती ये नक्षत्र पर जब चन्द्रमा गोचर करते हैं तो उस काल को पंचक काल कहा जाता है। पंचक निर्माण तभी होता है जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि पर गोचर करते हैं।

पंचक के प्रकार रोग

पंचक रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। इसके प्रभाव से ये पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं। इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ काम नहीं करने चाहिए। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है।

राज पंचक सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है। ये पंचक शुभ माना जाता है। इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कामों में सफलता मिलती है। राज पंचक में संपत्ति से जुड़े काम करना भी शुभ रहता है।

अग्नि पंचक मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इन पांच दिनों में कोर्ट कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम किए जा सकते हैं। इस पंचक में अग्नि का भय होता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। इनसे नुकसान हो सकता है।

मृत्यु पंचक शनिवार को शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है। नाम से ही पता चलता है कि अशुभ दिन से शुरू होने वाला ये पंचक मृत्यु के बराबर परेशानी देने वाला होता है। इन पांच दिनों में किसी भी तरह के जोखिम भरे काम नहीं करना चाहिए। इसके प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना आदि होने का खतरा रहता है।

चोर पंचक शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। विद्वानों के अनुसार, इस पंचक में यात्रा करने की मनाही है। इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के सौदे भी नहीं करने चाहिए। मना किए गए कार्य करने से धन हानि हो सकती है।

बुधवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक में ऊपर दी गई बातों का पालन करना जरूरी नहीं माना गया है। इन दो दिनों में शुरू होने वाले दिनों में पंचक के पांच कामों के अलावा किसी भी तरह के शुभ काम किए जा सकते हैं।

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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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