TRENDING TAGS :
Jyotish Me Graho Se Nuksan ज्योतिष में ग्रहों से नुकसान: कुंडली की यह स्थिति बनाती है कंगाल, जानिए कैसे करें बचाव
Jyotish Me Graho Se Nuksan ज्योतिष में ग्रहों से नुकसान:ब्रह्मांंड में 9 ग्रह अपनी चाल समय समय पर बदलते रहते है। ज्योतिष अनुसार ग्रहों की चाल बदलती रहती है। ये भ्रमण करते रहते हैं और अपना फल देते हैं।
Jyotish Me Graho Se Nuksan
ज्योतिष में ग्रहों से नुकसान
ब्रह्मांंड में 9 ग्रह अपनी चाल समय समय पर बदलते रहते है। ज्योतिष अनुसार ग्रहों की चाल बदलती रहती है। ये एक राशि से निकलकर दूसरी, तीसरी, चौथी, आदि द्वादश राशियों में भ्रमण करते रहते हैं और अपना फल देते हैं। कभी-कभी अचानक ग्रहों की चाल ऐसी बदलती है कि व्यक्ति अमीर से सीधा गरीब हो जाता है। आखिर ग्रहों की वे कौन-सी स्थितियां बनती हैं जब व्यक्ति पागल तंगहाली में होता है।जातक परिजात, उत्तर कालामृत, जातक तत्वम सहित कई ग्रंथों में कई योगों की विशेष चर्चा है। ऐसे योगों वाले जातकों को जीवन के किसी न किसी मोड़ पर कंगाली का सामना करना ही पड़ता है। कई बार प्रबल केमद्रुम योगों वाले इंसानों की मृत्यु के बाद उनके कफ़न के लिए भी समाज ही व्यवस्था करता है क्योंकि उन्होंने विरासत मे कुछ मिला होता है।
- यदि पंचम भाव में शनि तुला राशि का हो तो भी यही योग बनता है, जब द्वितीयेश 9, 10, 11वें भावों में हो तो व्यक्ति अपनी आदतों और फिजूलखर्ची के कारण गरीब हो जाता है, लेकिन द्वितीयेश गुरु के दशम और मंगल के एकादश भाव में होने से यह योग खंडित हो जाता है। जब लग्नेश वक्री होकर 6, 8, 12वें भाव में हो तो भी जातक गरीब होता है।
- अगर अष्टमेश चौथे, पांचवे, नौवे या दसवें भाव में हो और लग्नेश कमजोर हो तो व्यापारी को बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है। लाभेश व्यय स्थान में हो या भाग्येश और दशमेश व्यय स्थान बारहवें भाव में हो तो व्यापारी के गरीब होने के योग बनते हैं।
- अष्टम भाव का स्वामी यदि 4, 5, 9 या 10वें स्थान में हों और लग्न का स्वामी निर्बल हो तो ऐसी कुंडली वाला व्यक्ति जीवन में निश्चित रूप से दिवालिया होता है। उसे बिजनेस में भयंकर हानि का सामना करना पड़ता है। जब लाभेश व्यय स्थान में हो या भाग्येश और दशमेश व्यय स्थान यानी बारहवें भाव में हो तो गरीब होने का योग बनता है।
- यदि पंचम भाव में शनि तुला राशि का हो तो भी यही योग बनता है,इसके अलावा द्वितीयेश 9, 10, 11वें भावों में हो तो व्यक्ति अत्यंत अपव्ययी होने के कारण दिवालिया हो जाता है, लेकिन द्वितीयेश गुरु के दशम और मंगल के एकादश भाव में होने से यह योग खंडित हो जाता है। जब लग्नेश वक्री होकर 6, 8, 12वें भाव में हो तो भी जातक दिवालिया होता है, आपको किस क्षेत्र में व्यापार करना चाहिए और आप एक सफल व्यापारी बन पाएंगें या नहीं।
केमद्रुम योग?- लग्न चक्र के विविध योगों में केमद्रुम योग एक ऐसा योग है, जिसके कारण बहुत कठिनाइयां सामने आती हैं। जब भी चन्द्रमा किसी भी भाव में बिल्कुल अकेला होता है तथा उसके अगल-बगल के दोनों अन्य भावों में कोई ग्रह नहीं होते तो ऐसी स्थिति में केमद्रुम योग की सृष्टि होती है। किंतु इस तरह के केमद्रुम योग को बर्दाश्त किया जा सकता है क्योंकि ऐसी दशा में व्यक्ति कंगाली से उबर भी सकता है।
ऐसे चन्द्रमा को कोई शुभ ग्रह भी न देख रहे हों, वह स्वयं पापी, क्षीण अथवा नीचस्तंगत हो तथा पापी व क्रूर ग्रहों द्वारा देखा भी जा रहा हो तो ऐसे में स्पष्ट रूप से प्रबलतम केमद्रुम योग की सृष्टि होती है। ऐसे योग वाला जातक जीवन भर कंगाल ही रह जाता है। इस दशा में व्यक्ति को भीख मांग कर खाने की भी स्थिति आ जाती है। इन सभी योगों में दशा और गोचर का महत्वपूर्ण योगदान होता है। शुभ ग्रहों की युति और दृष्टि इन योगों को भंग कर देती है। जाप , दान और अन्य उपाय भी लाभ देते हैं ।
इन अशुभ योग से बचने के उपाय-
वास्तु के कारण धन से संबंधी कोई ना कोई परेशानी आती है । इसके साथ ये भी कहा जाता है कि इन समस्याओं के कारण घर या दुकान में मौज़ूद वास्तु दोष भी होता है। क्योंकि हम में से बहुत से ऐसे लोग होते हैं जिन्हें इसके बारे में पता नहीं होता। जिसके चलते वो बहुत सी बातों को अनदेखा कर देता है। वैदिक वास्तु और ज्योतिष के अनुसार इन सभी बातों को अनदेखा करने से कभी-कभी बहुत बड़ी परेशानियों से जुझना पड़ता है। जानिए कुछ ऐसी बातों के बारे में जो देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश से जुड़ी हैं।
सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि बैंक और पर्स में धन की कमी को दूर करने के लिए प्रथम पूज्य गणेश जी और धन की देवी लक्ष्मी की प्रतिमा को बिल्कुल सही स्थान पर रखें। घर का उत्तरी हिस्सा धन संपत्ति का द्वार होता है, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति या तस्वीर इसी दिशा में स्थापित करें, नीचे लाल कपड़ा बिछाएं।
भगवान गणपति जी को महालक्ष्मी का मानस-पुत्र माना गया है। गणेश जी की मूर्त को महालक्ष्मी की मूर्त के बाएं तरफ विराजित करें। आदिकाल से पत्नी को वामांगी कहा गया है। बायां स्थान पत्नी को ही दिया जाता है। अतः कभी भी लक्ष्मी-गणेश को इस प्रकार स्थापित करें कि महालक्ष्मी सदा गणपति के दाहिनी ओर ही रहें, तभी पूर्ण फल प्राप्त होगा।
पास बुक, चैक बुक और बैंक खाते से संबंधित कागज लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा के समीप अथवा श्रीयंत्र के पास रखने चाहिए। उचित स्थान पर न रखने से नकारात्मकता हावी होती है। जिसका असर बैंक बैलेंस पर पड़ता है।
धातु से बनी लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा शुभता की सूचक है। आपका जो भी सोने-चांदी या रत्नों से बना सामान है, उसे इसी प्रतिमा के पास रखें।धन से संबंधित किसी भी तरह के कागजात जैसे शेयर, इंश्योरेंश आदि को लक्ष्मी स्वरूप अथवा श्री यंत्र के पास रखें। धन रखने के स्थान अथवा तिजोरी में काली हल्दी रखें, संपत्ति को नज़र नहीं लगती और धन में बढ़ौतरी होती है।