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काल भैरव जयंती स्पेशल: बुरी शक्तियों से दूर रखता है भगवान शिव का यह रूप
काल भैरव शिव का रुप हैं। काल भैरव अष्टमी या जयंती कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की आठवीं को आती है। काल भैरव की उत्पत्ति शिव के खून से हुई है
सहारनपुर: काल भैरव शिव का रुप हैं। काल भैरव अष्टमी या जयंती कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की आठवीं को आती है। काल भैरव की उत्पत्ति शिव के खून से हुई है। शिव के खून के दो भाग हुए, पहले से बटुक भैरव और दूसरे से काल भैरव उत्पन्न हुए। भैरव, शिव का प्रचंड रुप दर्शाया गया है। भैरव का मतलब होता है भय को हरने वाला यानि भय को खत्म करने वाला।
भैरव अष्टमी को पूरे देश में धूम धाम से मनाया जाता है और मंदिरों में भैरों बाबा के दर्शन किए जाते हैं। जो भी पाप करता है, उसे इस दिन दंड मिलता है। चाहे वो देवता हों या इंसान, पापियों को बख्शा नहीं जाता। वहीं जिनका मन सच्चा होता है, उनके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। काल भैरव की कृपा हो जाए तो बुरी शक्तियां दूर से ही देख कर भाग जाती हैं। काम में कोई अड़चन नहीं आती है। हर तरह के दु:ख दूर हो जाते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार स्वर्ग लोक में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश में इस बात को लेकर विवाद हो गया कि तीनों में से कौन बड़ा है? इसी बीच ब्रह्मा जी की किसी बात से शिव भगवान क्रोधित हो गए और भैरव को कहा कि ब्रह्मा जी का एक सिर काट लो। भैरव जी ने वैसा ही किया और ब्रह्मा का एक सिर धड़ से अलग कर दिया। भैरव पर ब्रह्महत्या का पाप चढ़ गया।
जिसे उतारने के लिए वो पूरी दुनिया घूमें और अंत में वाराणसी पहुंचे। वाराणसी में भगवान काल भैरव का मंदिर हैं जहां आज भी उनकी पूजा पूरी श्रद्धा के साथ होती है। इसके अलावा उज्जैन में भी काल भैरव का मंदिर है, जहां जाला भैरव को आज भी मदिरा का भोग लगाया जाता है और बाबा अपने भक्त के सामने ही मदिरा के प्याले को ख़त्म कर देते हैं।
भगवान शिव के रूप काल भैरव की पूजा करके हर तरह की रुकावट और बुरे प्रभाव को खत्म किया जा सकता है। इस दिन भगवान भैरव के साथ साथ, शिव और मां पार्वती की भी पूजा होती है। कुत्ता जो कि भैरव जी का वाहन है, उनको दूध चढ़ाया जाता है। उज्जैन के भैरव मंदिरर में भी कई तरह के पूजा कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और कई श्रद्धालु आकर बाबा की कृपा ग्रहण करते हैं। इस बार भैरव जयंती 10 नवंबर 2017 को है। भैरों बाबा आप सब पर कृपा बरसाएं।
क्या करें
काल भैरव जयंती पर बाबा के मंदिर में जाए और दही भल्ले, पूड़े, इमरती, जलेबी और मदिरा का भोग लगाए, इससे बाबा प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं। पकवान का भी काल भैरव को पसंद है, आप पकवान का भोग भी लगा सकते हैं।