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Sharad Purnima 2023 Date: इस साल कब पड़ रही शरद पूर्णिमा, जानिए इसकी तिथि, महत्व और मान्यताएं

Sharad Purnima 2023 Date: हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा आश्विन माह की पूर्णिमा की रात को मनाई जाती है। आइये जानते हैं कब है शरद पूर्णिमा और इसे मनाने के पीछे क्या मान्यताएं हैं।

Shweta Srivastava
Published on: 21 Sept 2023 7:30 AM IST (Updated on: 21 Sept 2023 7:30 AM IST)
Sharad Purnima 2023
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Sharad Purnima 2023 (Image Credit-Social Media)

Sharad Purnima 2023 Date: हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा आश्विन माह की पूर्णिमा की रात को मनाई जाती है। ये त्योहार मानसून के मौसम के अंत और कटाई के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। आज हम आपको शरद पूर्णिमा से जुडी कुछ अहम् जानकारियां देने जा रहे हैं जिसमे इसकी तिथि, महत्त्व और अनुष्ठान के बारे में हम आपको बताएँगे। आइये जानते हैं कब है शरद पूर्णिमा और इसे मनाने के पीछे क्या मान्यताएं हैं।

कब है शरद पूर्णिमा

ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और उन घरों में जाती हैं जो साफ-सुथरे और रोशनी से भरे होते हैं। श्रद्धालु और भक्त देवी के स्वागत के लिए पूरी रात जागते हैं। वो भक्ति गीत गाने और खेल खेलने जैसी गतिविधियों में संलग्न रहते हैं। इस वर्ष शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को है। त्योहार शुरू होने का सही समय सुबह 4:17 बजे होगा, और ये 29 अक्टूबर करीब 1:53 बजे समाप्त होगा।

इस रात को रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, और ये उस नृत्य का प्रतीक है जो भगवान कृष्ण और गोपियों ने वृन्दावन में किया था। ये नृत्य भक्ति, दिव्य प्रेम और देवत्व और मानव आत्मा के बीच मिलन का उत्सव है। इस त्यौहार को बंगाली में कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है, "कौन जाग रहा है?" और ओडिशा में इसे कुमारी पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। लड़कियां भविष्य में सुयोग्य वर पाने के लिए इस दिन व्रत रखती हैं और चंद्रमा की पूजा भी करती हैं। गुजरात में, रात को चाँद की रोशनी में गरबा नृत्य करके मनाया जाता है।

दिन का जश्न सुबह जल्दी शुरू हो जाता है। महिलाएं नए-नए परिधान पहनकर सजती-संवरती हैं। पूरे दिन केवल दूध और नारियल पानी जैसे तरल पदार्थों का ही सेवन किया जाता है। आंगनों को सुंदर रंगोली डिज़ाइनों से सजाया जाता है, और मूर्तियों को बाहर लाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।

इस त्यौहार के दौरान खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखा जाता है। ऋषियों का मानना ​​है कि इस रात चंद्रमा की रोशनी में अमृत बरसता है, यही कारण है कि खीर को पूरी रात आसमान के नीचे रखा जाता है। इसके बाद इसे प्रसाद के रूप में परिवार के सदस्यों को दिया जाता है। मान्यताओं के अनुसार प्रसाद में चंद्रमा की रोशनी पड़ने से ये दिव्य हो जाता है। कहते हैं कि इस रात चन्द्रमा की रोशनी इतनी तेज़ होती है कि कोई भी आसानी से सुई में धागा भी दाल सकता है।



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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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