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जानिए मोक्ष देने वाले अलौकिक कैलाश मानसरोवर यात्रा के रहस्य व छिपे वैज्ञानिक तथ्य
इस कैलाश पर्वत पर भगवान शिव जी का वास है। शास्त्रों के अनुसार, इस सरोवर में माता पार्वती स्नान करती हैं, ये भी कहा जाता है कि यह सरोवर ब्रह्माजी के मन से उत्पन्न हुआ था। हिन्दू धर्म के साथ-साथ इस जगह को बौद्ध धर्म में भी बहुत पवित्र माना जाता है।
जयपुर: पवित्र कैलाश मानसरोवर की यात्रा बुधवार यानी 12 जून से शुरू हो चुकी है। कैलाश मानसरोवर की यात्रा बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है इस पवित्र पर्वत पर स्वयं भगवान शिव का विराजमान है। ये यात्रा बहुत कठिन और लंबी होती है। कैलाश मानसरोवर चीन के कब्जे वाले तिब्बत में है। यह झील लगभग 320 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। कैलाश मानसरोवर की यात्रा करीबन 19 से 21 दिनों में पूरी होती है। शास्त्रों के मुताबिक कहा जाता है जो भी इस यात्रा को पूरा कर लेता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कैलाश मानसरोवर तिब्बत में कैलाश माउंटेन रेंज में 21,778 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। मानसरोवर पर शिवजी का स्थान माना जाता है कहते है इस कैलाश पर्वत पर भगवान शिव जी का वास है। शास्त्रों के अनुसार, इस सरोवर में माता पार्वती स्नान करती हैं, ये भी कहा जाता है कि यह सरोवर ब्रह्माजी के मन से उत्पन्न हुआ था। हिन्दू धर्म के साथ-साथ इस जगह को बौद्ध धर्म में भी बहुत पवित्र माना जाता है। तीर्थयात्रा 12 जून से शुरू होकर 12 सितंबर तक चलेगी। तीर्थयात्रियों के ये जत्थे सात दिन तिब्बत में रहेंगे और आठवें दिन लिपुलेख दर्रे के जरिये ही वापस भारत लौट आयेंगे। जानते है कैलाश मानसरोवर से जुड़ें रहस्य व वैज्ञानिक तथ्य...
*कैलाश पर्वत और मानसरोवर को धरती का केंद्र माना जाता है। यह हिमालय के केंद्र में है। मानसरोवर वह पवित्र जगह है, जिसे शिव का धाम माना जाता है। मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत पर भगवान शिव साक्षात विराजमान हैं। यह हिन्दुओं के लिए प्रमुख तीर्थ स्थल है। संस्कृत शब्द मानसरोवर, मानस तथा सरोवर को मिल कर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- मन का सरोवर
*हिन्दू धर्म के अनुयायियों की मान्यता है कि कैलाश पर्वत मेरू पर्वत है जो ब्राह्मंड की धूरी है और यह भगवान शंकर का प्रमुख निवास स्थान है। यहां देवी सती के शरीर का दांया हाथ गिरा था। इसलिए यहां एक पाषाण शिला को उसका रूप मानकर पूजा जाता है। यहां शक्तिपीठ है।
*इस क्षेत्र को स्वंभू कहा गया है। वैज्ञानिक मानते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप के चारों और पहले समुद्र होता था। इसके रशिया से टकराने से हिमालय का निर्माण हुआ। यह घटना अनुमानत: 10 करोड़ वर्ष पूर्व घटी थी।
इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का अद्भुत समागम होता है, जो ‘ॐ’ की प्रतिध्वनि करता है। इस पावन स्थल को भारतीय दर्शन के हृदय की उपमा दी जाती है, जिसमें भारतीय सभ्यता की झलक प्रतिबिंबित होती है। कैलाश पर्वत की तलछटी में कल्पवृक्ष लगा हुआ है। कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम को रूबी और उत्तर को स्वर्ण रूप में माना जाता है।
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*एक अन्य पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह जगह कुबेर की नगरी है। यहीं से महाविष्णु के करकमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहां प्रभु शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं।
*कैलाश पर्वत पर कैलाशपति सदाशिव विराजे हैं जिसके ऊपर स्वर्ग और नीचे मृत्यलोक है, इसकी बाहरी परिधि 52 किमी है। मानसरोवर पहाड़ों से घीरी झील है जो पुराणों में 'क्षीर सागर' के नाम से वर्णित है। क्षीर सागर कैलाश से 40 किमी की दूरी पर है व इसी में शेष शैय्या पर विष्णु व लक्ष्मी विराजित हो पूरे संसार को संचालित कर रहे हैं। यह क्षिर सागर विष्णु का अस्थाई निवास है, जबकि हिन्द महासागर स्थाई।
*ऐसा माना जाता है कि महाराज मानधाता ने मानसरोवर झील की खोज की और कई वर्षों तक इसके किनारे तपस्या की थी, जो कि इन पर्वतों की तलहटी में स्थित है। बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इसके केंद्र में एक वृक्ष है, जिसके फलों के चिकित्सकीय गुण सभी प्रकार के शारीरिक व मानसिक रोगों का उपचार करने में सक्षम हैं।
*कैलाश पर्वत की चार दिशाओं से चार नदियों का उद्गम हुआ है ब्रह्मपुत्र, सिंधू, सतलज व करनाली। इन नदियों से ही गंगा, सरस्वती सहित चीन की अन्य नदियां भी निकली है ।कैलाश के चारों दिशाओं में विभिन्न जानवरों के मुख है जिसमें से नदियों का उद्गम होता है, पूर्व में अश्वमुख है, पश्चिम में गज का मुख है, उत्तर में सिंह का मुख है, दक्षिण में मोर का मुख है।
* कैलाश मानसरोवर से जुड़ें हजारों रहस्य पुराणों में भरे पड़े हैं। शिव पुराण, स्कंद पुराण, मत्स्य पुराण आदि में कैलाश खंड नाम से अलग ही अध्याय है जहां कि महिमा का गुणगान किया गया है। यहां तक पहुंचकर ध्यान करने वाले को मोक्ष प्राप्त हो जाता है। भारतीय दार्शनिकों और साधकों का यह प्रमुख स्थल है। यहां की जाने वाली तपस्या तुरंत ही मोक्ष प्रदान करने वाली होती है।