Kamada Ekadashi 2023 Tithi Shubh Muhurat Kab h: कामदा एकादशी किस तारीख को है, जानिए इसकी कथा महत्व

Kamada Ekadashi 2023 Tithi Shubh Muhurat Kab h: सनातन धर्म में परमपद की प्राप्ति और ईश्वर की परम भक्ति का सरल माध्यम है एकादशी व्रत। इसे करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। 24 एकादशियों में फलदायी है कामदा एकादशी।

Suman Mishra। Astrologer
Published on: 1 April 2023 9:41 AM GMT (Updated on: 1 April 2023 9:41 AM GMT)
Kamada Ekadashi 2023  Tithi Shubh Muhurat Kab h: कामदा एकादशी किस तारीख को है, जानिए इसकी कथा महत्व
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सांकेतिक तस्वीर,सौ. से सोशल मीडिया

Kamada Ekadashi 2023 Tithi Shubh Muhurat Kab h:

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) का विशेष महत्व होता हैं। चैत्र मास( Chaitra Month) के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है। सभी सांसारिक कामनाओं की पूर्ति हेतु कामदा एकादशी का व्रत किया जाता है। कामदा एकादशी को फलदा एकादशी भी कहा जाता है। इस बार यह एकादशी इस व्रत में श्री विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा विधि विधान के साथ कि जाती हैं और कथा भी सुनी जाती हैं।

कामदा एकादशी व्रत विधि

यह एकादशी बहुत ही फलदायी मानी जाती हैं। कामदा एकादशी को सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद व्रत और दान का संकल्प किया जाता हैं । वही पूजा करने के बाद कथा सुनकर श्रद्धा अनुसार दान करना शुभ माना जाता हैं। इस व्रत में नमक नहीं खाया जाता हैं। सात्विक दिनचर्या के साथ नियमों का पालन कर के व्रत पूरा किया जाता हैं। इसके बाद ही रात में भजन कीर्तन के साथ जागरण किया जाता हैं।

कामदा एकादशी मुहूर्त

  • कामदा एकादशी तिथि प्रारम्भ : 1 अप्रैल 2023 को 4 : 30 बजे होगी
  • कामदा एकादशी तिथि समाप्त :2 अप्रैल 2023 को 5 : 2 बजे होगी।
  • अभिजीत मुहूर्त - 12:06 PM से 12:55 PM
  • अमृत काल – 03:01 AM से 04:48 AM
  • ब्रह्म मुहूर्त – 04:47 AM से 05:35 AM
  • विजय मुहूर्त- 02:06 PM से 02:56 PM
  • कामदा एकादशी पारणा मुहूर्त : 1 अप्रैल 2023 को दोपहर 01:39 अपराह्न से 04:12 बजे तक


कामदा एकादशी व्रत कथा
कामदा एकादशी व्रत की कथा सबसे पहले श्रीकृष्ण भगवान ने धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी । एक बार राजा युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से कामदा एकादशी के बारे में जानने की इच्छा व्यक्त की। तब राजा की बात सुनकर श्रीकृष्ण ने उन्हें विधिवत कथा सुनायी। प्राचीन काल में एक नगर था उसका नाम रत्नपुर था। वहां के राजा बहुत प्रतापी और दयालु थे जो पुण्डरीक के नाम से जाने जाते थे। पुण्डरीक के राज्य में कई अप्सराएं और गंधर्व निवास करते थे। इन्हीं गंधर्वों में एक जोड़ा ललित और ललिता का भी था। ललित तथा ललिता में अपार स्नेह था। एक बार राजा पुण्डरीक की सभा में नृत्य का आयोजन किया गया जिसमें अप्सराएं नृत्य कर रही थीं और गंधर्व गीत गा रहे थे। उन्हीं गंधर्वों में ललित भी था जो अपनी कला का प्रदर्शन कर रहा था। गाना गाते समय वह अपनी पत्नी को याद करने लगा जिससे उसका एक पद खराब गया। कर्कोट नाम का नाग भी उस समय सभा में ही बैठा था। उसने ललित की इस गलती को पकड़ लिया और राजा पुण्डरीक को बता दिया।

कर्कोट की शिकायत पर राजा ललित पर बहुत क्रुद्ध हुए और उन्होंने उसे राक्षस बनने का श्राप दे दिया। राक्षस बनकर ललित जंगल में घूमने लगा। इस पर ललिता बहुत दुखी हुयी और वह ललित के पीछ जंगलों में विचरण करने लगी। जंगल में भटकते हुए ललिता श्रृंगी ऋषि के आश्रम में पहुंची। तब ऋषि ने उससे पूछा तुम इस वीरान जंगल में क्यों परेशान हो रही हो। इस पर ललिता ने अपने अपनी व्यथा सुनायी। श्रंगी ऋषि ने उसे कामदा एकादशी का व्रत करने को कहा। कामदा एकादशी के व्रत से ललिता का पति ललित वापस गंधर्व रूप में आ गया। इस तरह दोनों पति-पत्नी स्वर्ग लोक जाकर वहां खुशी-खुशी रहने लगे।

Suman Mishra। Astrologer

Suman Mishra। Astrologer

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