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कानपुर के सांग जुलूस में महिलाएं भी शामिल, क्या जानते हैं इससे जुड़ी आस्था के बारे में?
कानपुर: जनपद के जूही इलाके में मां बारादेवी के नाम पर पिछले 40 सालों से ज्वारा उठाया जा रहा है। लोगों के अनुसार राधा कृष्ण शर्मा नाम के व्यक्ति ने 42 साल पहले यहां से ज्वारा निकालने की शुरुआत की थी । कहते हैं कि राधा कृष्ण शर्मा के भाई के अनुसार 42 साल पहले राधा कृष्ण जूही नहरिया पर नवरात्रि में सांग लगवाने गए थे। उसी दौरान उनका किसी बात पर कुछ लोगों से झगड़ा हो गया था और राधा कृष्ण को उन लोगों ने वहां से भगा दिया था । इसके बाद राधा कृष्ण ने शपथ खाई थी कि अब वे भी अपने घर से हर साल ज्वारा निकालेंगे। तब से अब तक यह सिलसिला चला आ रहा है।
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राधा कृष्ण से जुड़े लोगों को जब से माता के दरबार में ज्वारा उठाने की प्रथा शुरू हुई है । कभी किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं आई है । अब तो इस ज्वारा जुलूस को पूरे क्षेत्र का समर्थन प्राप्त है। जब इसकी शुरुआत की गई थी। तब मुश्किल से 50 लोग ही शामिल हुए थे । लेकिन अब तो हजारों की संख्या में लोग सांग लगवाते हैं और माता के दरबार में जाते हैं। वही जूही के रत्तू पुरवा से पिछले 18 सालों से ज्वारा उठाया जा रहा है। लेकिन इसके बाद से लोगों को यहां के ज्वारे से अटूट आस्था जुड़ गई और एक बड़ा जुलूस उठने लगा ।
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कैलाश के छोटे भाई दयाशंकर के मुताबिक नवरात्रि के पहले दिन मिट्टी के घड़े में जौ डालकर ज्वारे बोए जाते हैं। इसमें नौ घड़े होते हैं ,इसके साथ ही जहां पर ज्वारे बोए जाते हैं। वहां पर शुद्ध जल का कलश भी रखा जाता है और नौ दिनों तक जलने वाली ज्योति रखी जाती है। जब अष्टमी या नवमी को ज्वारा निकलता है तो महिलाएं ज्वारा लेकर चलती है और बच्चे व् पुरुष सांग लगवाते हैं और माता के दरबार तक जाते हैं।
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पुजारी बाबा राज सिंह के मुताबिक सांग वही भक्त लगवाते हैं जो उपवास रखते हैं। जो लोग नमक का सेवन नहीं करते हैं। उन्ही को सांग लगाई जाती। इसके साथ ही सबसे पहले जिस स्थान पर ज्वारे बोए जाते हैं वहां पर एक हवन किया जाता है। जिसमें मंत्रों से आहुतियां दी जाती है। इसके बाद सांग की पूजा की जाती है और हवन के अचवन का पानी सांग में छिड़काव किया जाता है। इसमें पान लौंग ,सुपाड़ी और कपूर से पूजन किया जाता है । इसका एक साइंटिफिक रीजन भी होता है सांग तपाने से उसका बैक्टीरिया मर जाता है । सांग लगवाने से किसी तरह का रिएक्शन नहीं होता है ,ब्लड निकल भी आए तो कोई फर्क नहीं पड़ता है । पंडित के अनुसार जिस किसी की मन्नतें पूरी होती जाती है। वह इस जुलूस में शामिल होता है ।