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कन्या पूजन में इस बात का रखें ख्याल, तभी नवदुर्गा की बरसेगी कृपा

हर मनुष्य के अंदर या तो अहंकार रह सकता है या भगवान। अहंकार-भगवान दोनों एक साथ नहीं रह सकते।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 16 April 2021 8:49 AM GMT (Updated on: 17 April 2021 4:02 AM GMT)
कन्या पूजा के दौरान आप इन छोटी लड़कियों में देवी माता की शक्ति का अनुभव कर सकते हैं।
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  कन्या पूजन की तस्वीर सोशल मीडिया 

लखनऊ : देवी की आराधना के लिए नवरात्रि (Navratri) के नौ दिन लोकप्रिय पर्व है। ये पूरे देश में अनेक रूपों में मनाया जाता है। नौ दिनों तक देवी (Devi) के अनके रुपों की पूजा की जाती है। (दुर्गा, काली या वैष्णोदेवी) के भक्त नवरात्रि की अष्टमी या नवमी (Aahtami or Navami)को छोटी कन्याओं(लड़कियों) की पूजा करते हैं। कन्या पूजन में देवी के नौ रूपों की पूजा होती है। छोटी लड़कियों की पूजा (worship)करने के पीछे बहुत सरल कारण( Reason) छिपा है।

हर मनुष्य के अंदर या तो अहंकार रह सकता है या भगवान। अहंकार-भगवान दोनों एक साथ नहीं रह सकते। जब आपके अंदर से अहंकार पूरी तरह निकल जाता है तब आप दैवीय उर्जा को मानते हैं। भक्ति के मार्ग का उद्देश्य है कि अपने अहंकार को भगवान के सामने छोड़ दें और अपने जीवन का नियंत्रण भगवान के हाथों में दे दें।


कन्या पूजन सोशल मीडिया से तस्वीर


छोटी कन्याएं छल-कपट से परे

कहते हैं कि जो छोटी कन्याएं होती है वो देवी का रूप होती है उनमें छल-कपट नहीं होता। ये कन्याएं स्त्री ऊर्जा का चरम होती है। इसके अलावा उनमें अहंकार नहीं होता और वे मासूम होती हैं। इस बात की बहुत अधिक संभावना होती है कि कन्या पूजा के दौरान आप इन छोटी लड़कियों में देवी माता की शक्ति का अनुभव कर सकते हैं।

नवरात्रि के दौरान आप कितने समर्पण के साथ देवी माता को याद करते हैं। यदि छोटी लड़कियों की पूजा करते समय यदि आप समग्र भाव से उनमें देवी का स्वरुप देखें या स्वयं को पूर्ण रूप से उनके चरणों में समर्पित कर दें तो आपको लगेगा कि आपने देवी के चरण छू लिए हैं।


कन्या पूजन में पांव धोते सोशल मीडिया से तस्वीर


विश्वास, पवित्रता और समर्पण

कन्या पूजा एक अवसर होता है जब आप छोटी बच्चियों के रूप में देवी की पूजा कर सकते हैं। एक भक्त के रूप में आपके पास विश्वास, पवित्रता और समर्पण होना चाहिए। पूजा के दौरान उन्हें लड़कियों के रूप में न देखें। अत: सभी धार्मिक संस्कार जैसे उनके पैर धोना, उन्हें बैठने के लिए आसन देना, मन्त्रों का उच्चारण, उन्हें हलवा, पूरी, काले चने की सब्जी और मिठाइयां खिलाना आदि भक्ति और आदर से करें।

नवरात्रि में विविधता के बाद भी लक्ष्य एक नवरात्रि के समय देवी की शक्ति चरम सीमा पर होती है। कहा जाता है कि नवरात्रि के पहले देवी आराम करती हैं, क्योंकि नवरात्रि के दौरान वह बहुत अधिक सक्रिय रहती है। बहुत से मंदिरों में देवी को आराम करने दिया जाता है, उदाहरण के लिए महाराष्ट्र के सोलापुर में स्थित तुलजापुर देवी का मंदिर। इस दौरान अधिकांश हिंदू देवी को याद करते हैं भक्ति में डूबे रहते हैं। इस समय हर तरफ माहौल देवी माता के प्रति भक्ति और ऊर्जा से भरा हुआ रहता है। बंगाल में ये विशेष रूप मनाया जाता है जहां दुर्गा पूजा बहुत भक्ति के साथ की जाती है। इन छोटी बच्चियों में अहंकार नहीं है, इसलिए इनमें देवी के स्वरूप को देखना बहुत आसान हो जाता है। जो माता के भक्त होते हैं वे अगर कन्या पूजन को पूरी ईमानदारी से करें, ना निभाएं औपचारिकता ,तभी खुश होगी मां दुर्गा।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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