Kanya Pujan Kab Kare Navratri 2021:यहां पढ़ें कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और महत्व, जानिए छोटी कन्याओं की पूजा के पीछे छिपा रहस्य

Kanya Pujan Kab Kare Navratri 2021: कन्या पूजा एक अवसर होता है जब आप छोटी बच्चियों के रूप में देवी की पूजा कर सकते हैं। एक भक्त के रूप में आपके पास विश्वास, पवित्रता और समर्पण होना चाहिए।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 12 Oct 2021 5:42 AM GMT
Kanya Pujan Kab Kare Navratri 2021
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सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Kanya Pujan Kab Kare Navratri 2021

शारदीय नवरात्रि 2021 में कन्या पूजन कब करें

देवी दुर्गा ( Devi Durga) की आराधना के साथ शारदीय नवरात्रि चल रही है। घट स्थापना के साथ शुरू हुई नवरात्रि कन्या पूजन के साथ समाप्त होती है। नवरात्रि के 8 वें और 9 वें दिन कन्या पूजन किया जाता है। इस बार नवरात्रि 8 दिनों की है। आज यानि मंगलवार 12 अक्टूबर को सप्तमी तिथि और व्रत के साथ अष्टमी 13 अक्टूबर के दिन कन्या पूजन (Kanya Pujan) और नवमी 14 अक्टूबर को कन्या की पूजा की जाती है। बिना कन्या पूजन के नवरात्रि और मां दुर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है।

कन्या पूजा एक अवसर होता है जब आप छोटी बच्चियों के रूप में देवी की पूजा कर सकते हैं। एक भक्त के रूप में आपके पास विश्वास, पवित्रता और समर्पण होना चाहिए। पूजा के दौरान उन्हें लड़कियों के रूप में न देखें। अत: सभी धार्मिक संस्कार जैसे उनके पैर धोना, उन्हें बैठने के लिए आसन देना, मन्त्रों का उच्चारण, उन्हें हलवा, पूरी, काले चने की सब्जी और मिठाइयां खिलाना आदि भक्ति और आदर से करें। नवरात्रि में विविधता के बाद भी लक्ष्य एक नवरात्रि के समय देवी की शक्ति चरम सीमा पर होती है।

कहा जाता है कि नवरात्रि के पहले देवी आराम करती हैं, क्योंकि नवरात्रि के दौरान वह बहुत अधिक सक्रिय रहती है। बहुत से मंदिरों में देवी को आराम करने दिया जाता है, उदाहरण के लिए महाराष्ट्र के सोलापुर में स्थित तुलजापुर देवी का मंदिर। इस दौरान अधिकांश हिंदू देवी को याद करते हैं भक्ति में डूबे रहते हैं।इस समय हर तरफ माहौल देवी माता के प्रति भक्ति और ऊर्जा से भरा हुआ रहता है। बंगाल में ये विशेष रूप मनाया जाता है जहां दुर्गा पूजा बहुत भक्ति के साथ की जाती है। इन छोटी बच्चियों में अहंकार नहीं है, इसलिए इनमें देवी के स्वरुप को देखना बहुत आसान हो जाता है। जो माता के भक्त होते हैं वे अगर कन्या पूजन को पूरी ईमानदारी से करें, ना निभाएं औपचारिकता ,तभी खुश होगी मां दुर्गा।

कन्या पूजन की विधि क्या है

अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन करने करें। इससे पहले हवन कर लें और फिर दुर्गा देवी को हलवा पूड़ी और चने का प्रसाद चढायें। और फिर छोटी-छोटी 9 कन्याओं को पैर धो कर कुमकुम तिलक लगाकर घर में भोजन करवायें। कन्याओं को सबसे पहले एक साथ बैठाकर उनके पैर एक थाली में धोए जाते हैं। इसके बाद उन्हें कलावा बांधकर तिलक लगाया जाता है, फिर भरपेट भोजन कराया जाता है। आखिर में कन्याओं को नारियल, फल और दक्षिणा और कहीं, कहीं चूड़िया और बिंदी भी दी जाती है।

कन्या पूजन का मुहूर्त कब है

अष्टमी को कन्या पूजा का मुहूर्त

13 अक्टूबर दिन बुधवार को पूजा के अमृत काल- 03:23 AM से 04:56 AM तक और ब्रह्म मुहूर्त– 04:48 AM से 05:36 AM तक है।

नवमी को कन्या पूजा का मुहूर्त

14 अक्टूबर दिन गुरुवार सुबह 06 बजकर 52 मिनट के बाद नवमी तिथि लग जाएगी। जिसके बाद नवमी तिथि में कन्या पूजन और हवन किया जा सकेगा।

कन्या पूजन में दें ये चीजें दान पूरी होगी इच्छा

नवरात्रि में आपकी हर समस्या का समाधान मां दुर्गा करती है। साथ मे उर्जा और शक्ति का संचार करती है। अगर आपके दिल में कोई इच्छा है तो कन्याओं कों लाल-सफेद फूल दें। वस्त्र, फल और खीर खिलाने से माता रानी की आसीम कृपा बनी रहती है। इसके अलावा श्रृंगार सामग्री , खेलने पढ़ने की चीजे देने से मां दुर्गा प्रसन्न रहती है और देने और लेने वाले दोनों व्यक्ति पर मां शेरेवाली की कृपा बरसती है। कन्याओं को मेहंदी भी उपहार स्वरुप देना चाहिए।

नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी के अनके रुपों की पूजा की जाती है। (दुर्गा, काली या वैष्णोदेवी) के भक्त नवरात्रि की अष्टमी या नवमी को छोटी कन्याओं (लड़कियों) की पूजा करते हैं। कन्या पूजन में देवी के नौ रूपों की पूजा होती है। छोटी लड़कियों की पूजा करने के पीछे बहुत सरल कारण छिपा है।

कन्या पूजन से करें अंदर का अहंकार खत्म

आपके अंदर या तो आपका अहंकार रह सकता है या भगवान। अहंकार-भगवान दोनों एक साथ नहीं रह सकते। जब आपके अंदर से अहंकार पूरी तरह निकल जाता है तब आप दैवीय उर्जा को मानते हैं। भक्ति के मार्ग का उद्देश्य है कि अपने अहंकार को भगवान के सामने छोड़ दें और अपने जीवन का नियंत्रण भगवान के हाथों में दे दें।

कन्या पूजन में करें कंजक पूजा

जब आप भक्ति के मार्ग पर चलते हैं तो आपको अपना अहंकार त्यागने के लिए किसी माध्यम, माफी या अवसर की आवश्यकता होती है। कंजक पूजन ऐसा ही एक अवसर है जो साल में दो बार आता है(शरद नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि)।शास्त्रों में कहा गया है कि पूरी सृष्टि शिव और शक्ति का स्वरुप है। छोटी लड़कियां मासूम और शुद्ध होती हैं। वे मनुष्य के रूप में देवी के शुद्ध रूप का प्रतीक हैं। हिंदू धर्म के अनुसार कुंवारी लड़की शुद्ध बुनियादी रचनात्मक शक्ति का प्रतीक है। मूर्ति की पूजा से पहले इसकी प्राण प्रतिष्ठा करके देवी की शक्ति का आह्वान किया जाता है।

कन्या पूजन- छल-कपट से परे है छोटी कन्याएं

कहते हैं कि जो छोटी कन्याएं होती है वो देवी का रुप होती है उनमें छल-कपट नहीं होता। ये कन्याएं स्त्री ऊर्जा का चरम होती है। इसके अलावा उनमें अहंकार नहीं होता और वे मासूम होती हैं। इस बात की बहुत अधिक संभावना होती है कि कन्या पूजा के दौरान आप इन छोटी लड़कियों में देवी माता की शक्ति का अनुभव कर सकते हैं। नवरात्रि के दौरान आप कितने समर्पण के साथ देवी माता को याद करते हैं। यदि छोटी लड़कियों की पूजा करते समय यदि आप समग्र भाव से उनमें देवी का स्वरुप देखें या स्वयं को पूर्ण रूप से उनके चरणों में समर्पित कर दें तो आपको लगेगा कि आपने देवी के चरण छू लिए हैं।


Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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